नई दिल्ली: कोरोना के डर से अगर आप खा रहे हैं दवाएं. तो ये सबसे बड़ी भूल साबित हो सकती है. वैसे तो एंटीबायोटिक दवाएं रामबाण होती हैं लेकिन कोरोना वायरस का ये इलाज नहीं है. आपको बताते हैं बैक्टीरिया और वायरस का फर्क बैक्टीरिया यानी जीवाणु वायरस यानी विषाणु, विज्ञान की भाषा में बैक्टीरिय़ा और वायरस में ये फर्क होता है. लेकिन साधारण भाषा में अगर हम आपको समझाएं तो आप इसे ऐसे समझिए कि बैक्टीरिया अच्छे और बुरे दोनो हो सकते हैं. आदतों की तरह. बैक्टीरिया हमारे शरीर का हिस्सा होते हैं. ये आंतों में रहते हैं. अच्छे बैक्टीरिया खाना पचाने में मदद करते हैं.

जबकि बुरे बैक्टीरिया निमोनिया और टीबी जैसी बीमारियां दे सकते हैं. लेकिन वायरस हमेशा बुरे ही होते हैं. वायरस बैक्टीरिया पर हमला भी करते हैं. बैक्टीरियिल बीमारियों के इलाज में एंटीबायोटिक दवाएं काम आती हैं. दरअसल बैक्टीरिया को पहचान कर ही एंटीबायोटिक दवाएं बनाई जाती हैं. लेकिन वायरस की खासियत ये होती है कि उसको पहचानना या पकड़ना आसान नहीं है. वायरस अपनी संरचना बदलते रहते हैं. हमारे शरीर के डीएनए के साथ छेड़छाड़ करते हैं और अपना स्वरुप बदल लेते हैं.

इसीलिए वायरस से होने वाली यानी वायरल बीमारियों में लक्षणों का इलाज किया जाता है. हालांकि एंटी वायरल दवाएं भी होती हैं लेकिन वो कुछ ही मामलों में कारगर होती हैं. कुछ एक जाने पहचाने वायरस के खिलाफ ही काम करती हैं. क्योंकि ज्यादातर वायरस अपनी शक्लें बदलते रहते हैं.

इसीलिए जब कभी आपको वायरल बुखार हो तो आराम की सलाह दी जाती है. स्वाइन फ्लू हो या डेंगू या कोरोनावायरस. ये सभी वायरल बीमारियां हैं. सबसे ज़रुरी बात ये है कि वायरस वाली बीमारियों में एंटीबायोटिक दवाएं खाने से कोई फायदा नहीं होता, हां नुकसान ज़रुर हो सकता है.

भविष्य में कभी बैक्टीरियल बीमारी हुई तो हो सकता है कि तब काम में आने वाली एंटीबायोटिक दवाएं आप पर काम ना करें. इसलिए कोरोनावायरस से डरिए नहीं. जानकारी और जागरुकता से खुद को बचाइए.

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