पिछली बरसात में बाढ़ व महीनाें जलजमाव झेल चुके जिले के लाेगाें ने समझा था कि गर्मी में जलसंकट नहीं झेलना पड़ेगा। लेकिन, अत्यधिक बारिश के बावजूद इस वर्ष गर्मी की शुरुआत से ही सकरा, मुराैल व बंदरा के बाद शहर में भी जलसंकट शुरू हाे गया है। बूढ़ी गंडक नदी के किनारे के माेहल्लों में मार्च मध्य से भू जलस्तर तेजी से गिरने लगा जाे अप्रैल के पहले सप्ताह में 10 फीट तक नीचे चला गया है। स्थिति देख डीएम प्रणव कुमार ने जलसंकट वाले शहर के इलाकाें में नगर निगम व ग्रामीण इलाकाें में पीएचईडी के एक्जक्यूटिव इंजीनियर काे मांग के अनुसार टैंकर से पानी सप्लाई कराने का निर्देश दिया है।
बता दें कि बूढ़ी गंडक नदी किनारे स्थित शहर के सिकंदरपुर, बालूघाट, चंदवारा माेहल्ले से लेकर मुशहरी प्रखंड के राेहुआ गांव तक का जलस्तर तेजी से गिरा है। साथ ही नदी किनारे के प्रखंड सकरा, बंदरा व मुरौल में जलस्तर 11 फीट तक नीचे चला गया है। इन इलाकाें में भीषण जलसंकट शुरू हाे गया है। डीएम ने संबंधित अधिकारियाें काे इसकी दैनिक माॅनिटरिंग करने की भी जिम्मेदारी सौंपी है। कार्यपालक अधिकारी नगर पंचायत कांटी, साहेबगंज, मोतीपुर काे भी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
जिले में 4.71 लाख चापाकल, जिन्हें चालू रखने के लिए लगाए गए हैं 16 मरम्मत दल
जिले में अभी 4.71 लाख चापाकल चालू हाल में हैं। पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता डेविड चतुर्वेदी ने बताया कि इन सबकाे चालू रखने के लिए जिले में 16 मरम्मत दल बनाए गए हैं। इनकी प्रखंडों में तैनाती की गई है। आपात स्थिति के लिए विभाग ने 150 चापाकल किसी भी समय लगाने की स्वीकृति दी है। सकरा, मुराैल व बंदरा प्रखंड सर्वाधिक जलसंकट वाले क्षेत्र हैं। डीएम ने इन इलाकाें में आवश्यकता के अनुसार 9 जल टैंकरों से पानी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। साथ ही सभी चापाकल चालू रहे, इसके लिए माॅनिटरिंग करते रहने के लिए कहा है।
शहर में वार्डवार जलापूर्ति की माॅनिटरिंग करेगा नगर निगम
नगर निगम शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति याेजना की वार्डवार माॅनिटरिंग करेगा। उप नगर आयुक्त हीरा कुमारी ने बताया कि खासकर बूढ़ी गंडक नदी के तटवर्ती सिकंदरपुर, बालूघाट, चंदवारा आदि इलाके में जलस्तर तेजी से गिर रहा है। जिलाधिकारी के आदेश पर आवश्यकता के अनुसार टैंकरों के माध्यम से भी पानी पहुंचाए जाने की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही सभी वार्डाें में रोस्टरवार पाइपलाइन से जलापूर्ति कराई जा रही है।
Input: Dainik Bhaskar