ईरान (Iran) ने अमेरिका (America) से ब’दले की का’र्रवाई शुरू कर दी है. ईरान ने इराक (Iraq) में दो अमेरिकी बेस पर मि’साइल दा’गे हैं. ईरान के कुद्स आर्मी के कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद ये साफ हो गया था कि ईरान इसका ब’दला लेगा. ईरान ने इसका ऐलान भी किया था कि अमेरिका को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. अब अमेरिका-ईरान जं’ग में और तेजी आएगी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले के बाद ट्वीट किया है कि ‘सब ठीक है. हमारे पास दुनिया की सबसे ताकतवर आर्मी है.’ अमेरिका अब ईरान के इस हम’ले का भी जवाब देगा.
आमतौर पर यहां समझा जा रहा है कि ये अमेरिका और ईरान की बीच का झगड़ा है. इससे हमारे ऊपर क्या असर पड़ेगा? लेकिन ऐसा नहीं है. अमेरिका-ईरान की जंग का असर दुनियाभर में पड़ेगा. भारत भी इसके असर से अछूता नहीं है. आपने शायद गौर नहीं किया हो, अमेरिका-ईरान के झगड़े के साथ ही पेट्रोलियम के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले 5 दिन से लगातार पेट्रोल के दाम बढ़े हैं.
रोज बढ़ रही है पेट्रोल की कीमतें
बुधवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 75.74 रुपए प्रति लीटर रही. नवंबर 2018 के बाद ये पेट्रोल की सबसे ज्यादा बढ़ी हुई कीमत है. डीजल की कीमत भी बढ़ी है. बुधवार को दिल्ली में डीजल की कीमत 68.79 रुपए प्रति लीटर रही. 6 जनवरी को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 75.69 रुपए प्रति लीटर थी. इसके एक दिन पहले 5 जनवरी को 75.54 रुपए प्रति लीटर. 4 जनवरी को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत थी 75.45 रुपए प्रति लीटर. 3 जनवरी को ये 75.35 रुपए प्रति लीटर थी.
इसी तरह से 6 जनवरी को दिल्ली में डीजल की कीमत थी- 68.68 रुपए प्रति लीटर. इसके एक दिन पहले 5 जनवरी को ये 68.51 रुपए प्रति लीटर थी. 4 जनवरी को 68.40 रुपए प्रति लीटर और 3 जनवरी को 68.25 रुपए प्रति लीटर.
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी इसके दाम में आए अंतरराष्ट्रीय उछाल की वजह से आई है. अमेरिका ईरान तनाव के बाद तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 70 डॉलर तक पहुंच गई है. इसके अब लगातार बढ़ते जाने की संभावना जताई जा रही है. अमेरिका और ईरान के बीच की जंग थमती नहीं दिख रही है. इसका सीधा असर तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर पड़ेगा.भारतीय अर्थव्यवस्था अभी वैसे ही कमजोरी के दौर से गुजर रही है. ऐसे में पेट्रोलियम की कीमतों का बढ़ना हमारी मुश्किलें और बढ़ाएगा.
तेल पर हर महीने ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं पैसे
भारत अपनी जरूरत का 84 फीसदी तेल आयात करता है. इसके आयात के लिए डॉलर खर्च करने पड़ते हैं. इसका सीधा असर हमारे विदेशी जमापूंजी (फॉरेन रिजर्व) पर पड़ता है. तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल और अस्थिर माहौल इस पर नकारात्मक असर डालेगा. ऑयल टैंकर के भारत लाने का खर्च भी बढ़ जाएगा.
2018-19 में ईरान भारत का चौथा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश था. इसके साथ ही ईरान तेल व्यापार में भारत को बहुत सारी छूट देता रहा है. ईरान भारत को 60 डे क्रेडिट यानी 60 दिन तक भुगतान करने की छूट देता है. इसके अलावा मुफ्त बीमा और मुफ्त डिलीवरी की सुविधा भी देता रहा है. भारत ईरान को एक छूट ये भी देता है कि वो पूरा भुगतान अंतररराष्ट्रीय मुद्रा डॉलर में ना करके रुपये में कर सकता है. इसलिए भारत को ईरान से तेल खरीदने के लिए डॉलर नहीं खर्च करने पड़ते.
तेल के लिए कितने पैसे खर्च करता है भारत
मोटे तौर पर एक आंकड़े के मुताबिक अगर क्रूड ऑयल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में 10 डॉलर की बढ़ोत्तरी होती है तो भारत को हर महीने 1.5 बिलियन डॉलर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है. यानी करीब 108 करोड़ हर महीने का अतिरिक्त खर्च. भारत के लिए ये मोटी रकम है. जानकार बताते हैं कि इसकी वजह खुदरा महंगाई दर में 0.4 फीसदी की बढ़ोत्तरी होती है.
शेयर बाजार पर भी पड़ा है असर
अमेरिका ईरान जंग की वजह से शेयर बाजार पर भी असर पड़ा है. सोमवार को शेयर बाजार में निवेशकों के 3 लाख करोड़ रुपए डूब गए. सेंसेक्स में 788 पॉइंट की गिरावट दर्ज की गई. हालांकि मंगलवार को शेयर बाजार में बढ़त देखी गई. डॉलर के मुकाबले रुपए में भी गिरावट दर्ज की गई है. डॉलर की कीमत 72 रुपए से ऊपर चली गई हैं. सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है. प्रति दस ग्राम सोने की कीमत 41,730 रुपए पहुंच गया है. ये अब तक की सबसे ऊंची कीमतें हैं.
Input : News18