सदर अस्पताल में बच्चा वार्ड चालू नहीं होने पर शुक्रवार को इलाज कराने आए परिजनों ने जमकर हंगामा किया। इसके बाद वह निजी अस्पताल चले गए। मोतीपुर के मुकेश कुमार ने बताया, वह बच्चे काे इलाज के लिए लाए थे। अस्पताल के कर्मी ने उन्हें बताया कि पुराने महिला वार्ड में जाइए। वहां गए तो ताला बंद था। जानकारी दी गई कि यहां बच्चा वार्ड नहीं है। केवल नवजात का इलाज होगा, इसलिए अब निजी अस्पताल में जा रहे हैं। इस बीच बच्चा वार्ड चालू नहीं होने पर अधीक्षक डाॅ. शिवशंकर ने नाराजगी जताते हुए प्रबंधक से जवाब तलब किया है।
अधीक्षक ने कहा, सदर अस्पताल में शिशु वार्ड अभी नहीं चल रहा। केवल नवजात बच्चों का वार्ड है। प्रसव वाली माताओं के लिए एमसीएच है। यह बहुत दुखद है कि सदर अस्पताल में दो साल से शिशु वार्ड में ताला बंद है। पोषण पुनर्वास में बच्चे को समय पर नहीं मिला इलाज व भोजन : अधीक्षक ने पोषण पुनर्वास केंद्र का जायजा लिया और दत्तक गृह से आई बच्ची की देखभाल की जानकारी ली। इस दाैरान सामने आया कि उक्त बच्चे को समय पर दूध व पौष्टिक आहार का इंतजाम नहीं था। बीमार बच्चे का अलग वार्ड में इलाज नहीं हुअा। प्रबंधक से जवाब तलब व उपाधीक्षक से जो लापरवाह कर्मी हैं, उन पर सख्त एक्शन लेने के लिए कहा है।
दो साल में काम पूरा नहीं
महिला वार्ड के ऊपरी मंजिल पर दस बेड का शिशु वार्ड चालू करना था। इसके लिए ऑक्सीजन पाइप व एल्युमीनियम का गेट व रंग-राेगन हुअा, लेकिन छत से पानी टपकने की दिशा में काम नहीं हुआ। वहीं, पांच लाख रुपए खर्च हाे गए। अधीक्षक ने कहा, यह जांच का विषय है। जीएनएम व डाॅक्टर का रोस्टर बनाकर चालू नहीं किया गया।
सदर अस्पताल में बच्चा वार्ड व पोषण पुनर्वास केंद्र की अव्यवस्था पर सिविल सर्जन व वरीय अधिकारी को रिपोर्ट देंगे। रोस्टर का पालन हर हाल में सुनिश्चित करने का इंतजाम हो रहा है। कितने गार्ड कहां तैनात हैं यह भी देखेंगे। डॉ. शिवशंकर, अधीक्षक, सदर अस्पताल
Source : Dainik Bhaskar