हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. देवाधिदेव भगवान शिव को समर्पित यह महाशिवरात्रि का पर्व इस बार एक महासंयोग लेकर आ रहा है जो शिव भक्तों के लिए विशेष फलदायी होगा. इस बार यह महाशिवरात्रि 11 मार्च को पड़ रही है. इस दिन दोपहर बाद 2:39 बजे त्रयोदशी और चतुर्दशी का मेल होगा और यही समय शिवरात्रि का श्रेष्ठ पुण्यकाल होगा. त्रयोदशी की उदया तिथि में शिवयोग तो प्रदोष व रात्रि में सिद्ध योग का दुर्लभ संयोग होगा.
महाशिवरात्रि को क्यों कहते हैं कालरात्रि?
ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इस दिन मध्यरात्रि को भगवान शिव का ब्रह्मा से रूद्र रूप में अवतरण हुआ है, तथा प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष काल में भगवान शिव ने तांडव करते हुए अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से सम्पूर्ण ब्रह्मांड को समाप्त कर दिया था. इसी लिए इस रात्रि {महाशिवरात्रि} को कालरात्रि भी कहा जाता है.
इस महाशिवरात्रि को है यह दुर्लभ संयोग
साल भर में पड़ने वाली सिद्ध रात्रियों में से एक महाशिवरात्रि भी है. इस दिन पूरे ब्रहमांड में दिव्य ऊर्जा अपने चरम पर होती है. इस दिन किये गए जप –तप और दान-पुण्य के कर्म का कई गुना फल प्राप्त होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रतिदिन दिन कोई न कोई योग अवश्य मौजूद रहता है. इन कुल 27 योग में से एक शिव योग भी है. यह योग परम कल्याणकारी है तथा इसे शिव पूजा के लिए बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है. इस बार महाशिवरात्रि के दिन शिव योग बन रहा है जो कि एक दुर्लभ संयोग है.
इस चीज से करें रुद्राभिषेक
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ऐसे दुर्लभ संयोग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से शिव भक्तों को अनन्य फल प्राप्त होता है. इस दिन रुद्राभिषेक का भी महत्व है. जो शिव भक्त महाशिवरात्रि के दिन गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करता है उसे शिव की असीम कृपा मिलती है. इस दिन शहद और घी से रुद्राभिषेक करना शुभ फलदायी होता है. ऐसी मान्यता है कि दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से रुद्राभिषेक करने से धन लाभ की प्राप्ति होती और गरीबी से निजात मिलता है.