प्याज की बढ़ती कीमते जनता की आंखों से आंसू निकाल रही है। तो दूसरी और नेफेड (NAFED) की लापरवाहियों के चलते बफर स्टॉक के आधे से भी ज्यादा प्याज खराब हो गया। करीब 30,000 मैट्रिक टन प्याज बदहाल स्टोरेज प्रबंधन के चलते बेकार हो गया।
मूल्य स्थिरिकरण फंड के अंतर्गत नाफेड ने महाराष्ट्र और गुजरात से 57,372 मिलियन टन प्याज का बफर स्टॉक बनाया है जिसमें से उसने सिर्फ राज्यों और एजेंसियों को 26,700 मिलियन टन ही मुहैया कराया है। दिप्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘नाफेड द्वारा जो 53 फासदी प्याज खरीदा गया वो किसी काम में नहीं आया।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘इस साल के लिए नाफेड ने 60 हज़ार मिलियन टन बफर स्टॉक तैयार करने के बारे में सोचा था लेकिन ये केवल 57,372 मिलियन टन का ही हो पाया। जिसमें से 48,183 मिलियन टन और गुजरात से 9,189 मिलियन टन आया था।
नाफेड में सरकार के नॉमिनी अशोक ठाकुर ने प्याज की बर्बादी को लेकर कहा कि हम सामान्य मौसम में दो महीने के लिए प्याज का भंडारण करते हैं। एक महीने में 10 फीसदी प्याज खराब होने लगता है जो कि 2-3 महीने में बढ़कर 25 फीसदी तक पहुंच जाता है। बारिश होने के कारण हमें प्याज का रखरखाव नवंबर तक करना पड़ता है। जो कि सामान्य तौर पर सितंबर-अक्टूबर तक पहले होता था।’
उन्होंने कहा कि इस बार प्याज को कोल्ड स्टोरेड में नहीं रखा गया है। हम पारंपरिक तरीके से इसे फॉर्म स्टोरेज में रख रहे हैं लेकिन महाराष्ट्र में इस साल काफी बारिश हुई थी। दूसरी और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयातकों ने प्याज आयात के लिए ऑर्डर दे दिए हैं और इस महीने के अंत तक एक हजार टन प्याज घरेलू बाजार में आ जाएगा।
Input : Jansatta