ग़रीबो क तकलीफ़ भी साहब को रोमांचित करते है. वैसे साहब तो जिन्दाबाद है और ग़रीब खुद में इंकलाब है, ख़ैर रोल कैमरा एक्शन वाली मीडिया के हाथ इधर जबरदस्त चटक स्टोरी लगी है. ये स्टोरी इतनी चटकारी थी कि अमेरिका में भी धूम मचा दी.
ज्योति के दर्द और गरीबी को देख कर लगता है, इसे कहते है आपदा को अवसर में बदलना. जी हां, जो ज्योति अपने चोटिल पिता को मजबूरी में गुरुग्राम से दरभंगा लेकर आयी मीडिया ने उसे अपने फ़ायदे के लिये भुना लिया और सरकार ने इस नाकामियों को भी ख़ुद के लिये शाबासी में बदल दिया. जिस सत्ता को अपने नाकामी के लिये शर्म करना था वो इसपर गर्व कर रहे है. यहीं तो है आपदा को अवसर में बदलना.
ज्योति के घर पर अब मीडिया का जमावड़ा लगता है. ज्योति के छोटे से घर में बड़े-बड़े पत्रकार और ढ़ेर सारे लोग आ रहे है, इसी बीच अब शुरू हो चुका है बाल की खाल निकालने का खेल एक चर्चित मीडिया ने दावा किया है की ज्योति के पिता ने उनसे 1200 किलोमीटर के सफर के बीच ट्रक से मदद लेने की बात कही, हालांकि बाद में वो इसे इंकार करने लगे और ज्योति ने भी मना कर दिया.
1200 किलोमीटर के सफर तय करने पर शुरुआती दौर में ज्योति और उसके पिता तरह-तरह की बात कर रहे थे पर अब उन्होंने इतने मीडिया इंटरव्यू दे दिये है कि अब वो मंझ गये है कि उन्हें क्या बोलना है, लेकिन इसी बीच ये सवाल भी लोगो के जहन में आ गया है कि क्या ज्योति ने 1200 किलोमीटर के सफर में बीच मे ट्रक की मदद ली थी.
जिस डिजिटल मीडिया ने इस ख़बर को लिखा है, वो देश की नामी डिजिटल हैंडल है और उनका दावा है कि ज्योति के पिता ने मदद के नाम पर पूछे जाने पर उनसे रास्ते में ट्रक से मदद लेने की बात कही थी.
खैर अब ज्योति के घर पर सुबह 7 बजे से लोग जुटने लगते है तरह तरह के नेता, समाजसेवी और पत्रकार के लिये ज्योति का घर टूरिस्ट स्पॉट बन गया है, घर मे जगह कम होने के कारण ज्योति के पिता कहते है कि वो दुआर पर पंडाल बनवाने की सोच रहे है ताकि जो लोग आए वही पंडाल में बैठ कर मेरी बेटी को आशीर्वाद दे सके.
ज्योति के पिता सबका फोन उठा रहे है और सबको ज्योति से मिलवा रहे है ताकी कोई यह ना कहे कि नाम होने के बाद अहंकार आ गया है.