आईआरसीटीसी द्वारा प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर के जरिए ई-टिकट काटने वाले रैकेट के 1000 से अधिक दलालों को आरपीएफ ने चिह्नित किया है। ये दलाल मुजफ्फरपुर समेत पूरे उत्तर बिहार में फैले हैं। आरपीएफ मुख्यालय यात्रियों से माेटी रकम वसूलने वाले इन दलालों पर अंकुश लगा रहा है। इसे लेकर सोनपुर मंडल, हाजीपुर जोन और दिल्ली मुख्यालय में ई-टिकट में साइबर सेल में 8-8 आईटी एक्सपर्ट तैनात किए गए हैं। सभी अवैध रूप से ई-टिकट काटने वाले दलालों पर 24 घंटे नजर रख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आईआरसीटीसी ने आरपीएफ के इन आईटी एक्सपर्ट काे अपनी बुकिंग प्रणाली का निगरानी के लिए एक्सेस दिया है।
अब मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, सीतामढ़ी, वैशाली और समस्तीपुर समेत अन्य जिलों में गांव-गांव फोटोस्टेट सेंटर और साइबर कैफे में प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर इस्तेमाल कर ई-टिकट काटने वालाें की पहचान हाे रही है। मुख्यालय साइबर सेल इन बिचौलियों के बारे में संबंधित आरपीएफ पोस्ट को जानकारी दे रहा है। बीते 6 माह में 30 से अधिक टिकट दलाल गिरफ्तार हाे चुके हैं।
1000 दलालों की सूची मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, सीतामढ़ी और समस्तीपुर आरपीएफ पोस्ट को कार्रवाई के लिए मिली है। इन ई-टिकट बिचौलियों के तार दिल्ली, मुंबई आदि महानगरों से सीधे जुड़े हैं। वहां से इन्हें प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का लिंक मिलता है। फिर यहां ई-टिकट बुक हाेता है। बिचौलियों ने शहर के बदले गांवों में नेटवर्क फैलाया है।
पुलिस को गुमराह करने के लिए ईमेल का करते हैं उपयोग :
आरपीएफ के अनुसार पुलिस को गुमराह करने के लिए दलाल अब ईमेल का उपयोग करने लगे हैं। पहले सीधे ई-टिकट प्रिंट कर यात्रियों काे दे दिया जाता था। अब दबिश बढ़ने पर ईमेल के जरिए टिकट भेजा जाता है। साइबर पेट्रोलिंग का मिल रहा लाभ : अवैध तरीके से ई-टिकट काट यात्रियों से मोटी रकम वसूलने वालाें पर अंकुश के लिए आरपीएफ साइबर टीम काम कर रही है।
साइबर पेट्रोलिंग के जरिए दलालों पर नजर रखी जा रही है। संदिग्ध सूचना के बिचौलियों की जांच कर गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाती है। साइबर सेल इनिशियल स्टेज में होने के बावजूद भी बड़ी संख्या में दलालों चिह्नित और कार्रवाई करने में सक्षम है। यात्रियों को बिचौलियों के बदले खुद टिकट बुक कराना चाहिए, ताकि वे परेशानी से बच सकें।
Input: Dainik Bhaskar