शहरवासी मच्छरों का प्रकोप झेल रहे हैं। उनका जीना मुहाल हो रहा है। हालत यह है कि मच्छरों के आतंक से लोग दिन में भी मच्छरदानी का प्रयोग कर रहे हैं। जी हां, शहर के 60 हजार मकानों में रहने वाले पांच लाख लोग अब रात ही नहीं, दिन में भी उनका दंश झेल रहे हैं। वे मलेरिया, कालाजार, डेंगू, जापानी इंसेफेलाइटिस जैसे रोगों के शिकार हो रहे हैं।

#AD

#AD

मच्छरों पर नियंत्रण की जिम्मेदारी नगर निगम एवं मलेरिया विभाग की है। लेकिन, निगम मच्छर मारने की जगह मक्खी मार रहा है और मलेरिया विभाग का तो भगवान ही मालिक है। उसने कभी शहरी क्षेत्र में अभियान चलाना जरूरी नहीं समझा। निगम ने अभियान चलाने के नाम कई बार लाखों रुपये के उपकरण तो खरीदे, लेकिन उनका उपयोग नाममात्र के लिए किया गया।

Demo Photo

अधिकतर उपकरण वर्कशॉप की शोभा बनकर रह गए। मच्छर उन्मूलन न निगम के एजेंडे में शामिल रहा और न ही बजट में कभी इसके लिए राशि का प्रावधान किया गया। निकाय चुनाव के समय वार्ड पार्षदों ने अपने एजेंडे में शहर को मच्छरों से मुक्ति दिलाने की घोषणा सबसे ऊपर रखी थी। लेकिन, पार्षद बनने के बाद वे एक मच्छर भी नहीं मार सके। शहर की चार सरकार, मच्छर उन्मूलन अभियान दरकिनार

वर्ष 2002 से लेकर अब तक निगम में चार सरकार बनीं। पहले समीर कुमार, फिर विमला देवी तुलस्यान, वर्षा सिंह और अब सुरेश कुमार महापौर की कुर्सी पर बैठे। इस दौरान आधा दर्जन आइएएस समेत दो दर्जन से अधिक अधिकारियों ने मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की कुर्सी संभाली। लेकिन, कोई भी शहरवासियों को मच्छरों से मुक्ति दिलाने को गंभीर नहीं हुआ। प्रथम बोर्ड में महापौर समीर कुमार ने मच्छर उन्मूलन की जिम्मेदारी एक निजी एजेंसी को सौंपी थी, लेकिन वह बीच में ही पैसा उगाही कर फरार हो गई। दूसरे बोर्ड में महापौर विमला देवी तुलस्यान ने 28.50 हजार रुपये की दर से 5.70 लाख रुपये खर्च कर 20 फॉगिग मशीनों की खरीद की, लेकिन वे बिना चले खराब हो गई। तीसरे बोर्ड में महापौर वर्षा सिंह ने नालियों में दवा का छिड़काव कराने के लिए 50 स्प्रे मशीनें खरीदकर सभी वार्डो में भेजीं। एक दिन भी दवा का छिड़काव नहीं हुआ और सभी मशीनें गायब हो गईं। उसके बाद उन्होंने तीस लाख खर्च कर चार फॉगिग मशीनें और उनको ढोने के लिए चार ई-रिक्शा भी खरीदे। दो-चार बार अभियान चला उसके बाद मशीनों ने काम करना बंद कर दिया। वर्तमान बोर्ड के साढे़ तीन साल बीत गए, लेकिन महापौर एक मशीन नहीं खरीद पाए। नगर विकास व आवास मंत्री एवं स्थानीय विधायक सुरेश कुमार शर्मा ने निगम को 50 फॉगिग मशीनें खरीद कर सभी वार्डो में देने का निर्देश निगम को दिया था, लेकिन छह माह बीत गए एक भी मशीन की खरीद नहीं हो पाई है।

इलाज व वैकल्पिक उपायों पर लाखों खर्च : मच्छरों के काटने से शहरवासी मलेरिया, कालाजार, डेंगू, जापानी इंसेफेलाइटिस जैसे रोगों के शिकार होकर लोग न सिर्फ बीमार हो रहे, बल्कि जान तक जा रही हैं। बीमार होने पर इलाज के लिए लोगों को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ रही है। वहीं, मच्छरों से बचने के वैकल्पिक साधनों पर भी जेब ढीली करनी पड़ रही है। इधर महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि

स्प्रे मशीन की खरीद की गई है। शहर के सभी वार्डो में एंटी लार्वा दवा का छिड़काव किया गया है। फॉगिग मशीन की खरीद की प्रक्रिया चल रही है। मशीन आते ही पूरे शहर में तेजी से अभियान चलाया जाएगा।

Input : Dainik Jagran

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD