बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) से पूछा कि क्या अवैध निर्माण को गिराने में वह हमेशा इतनी ही तेजी दिखाती है जितनी कंगना रनौत का बंगला गिराने में दिखाई? हाई कोर्ट ने बीएमसी को यह बताने को कहा है कि आखिर कंगना रनौत के खिलाफ कार्रवाई कानून के उन प्रावधानों के तहत क्यों नहीं की गई जिसमें कॉर्पोरेशन को आरोपों का जवाब देने के लिए कंगना को पर्याप्त समय दिया जाता।

बेंच ने यह भी कहा कि प्रदीप थोराट के क्लाइंट (शिव सेना के संजय राउत) ने वास्तव में वही किया जो उन्होंने कहा, यह शिवसेना के मुखपत्र सामना के लेख के शीर्षक के संदर्भ में था, ‘उखाड़ दिया।’ यह लेख कंगना रनौत के पाली हिल बंगले के हिस्से को गिराए जाने के बाद 9 सितंबर को प्रकाशित हुआ था।

बेंच ने बीएमसी को यह भी बताने को कहा कि उसने ग्राउंड फ्लोर पर तोड़फोड़ क्यों कि जब वहां कोई काम नहीं चल रहा था। कोर्ट की ओर से यह टिप्पणी और निर्देश कंगना रनौत के वकील की ओर से यह बताने के बाद आया कि बीएमसी ने रनौत के बंगले में तोड़फोड़ के लिए मुंबई म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन की धारा 354 (ए) का इस्तेमाल किया, जो निर्माणाधीन साइटों से संबंधित है।

14 reasons why BMC has taken a bulldozer to Kangana Ranaut's office in  Mumbai

वरिष्ठ वकील बिरेंद्र सराफ ने दो जजों की बेंच को बताया कि परिसर में कोई निर्माण कार्य नहीं चल रहा था जब बीएमसी स्टाफ ने 5 और 7 सितंबर को अवैध निर्माण मिलने का दावा किया। कोर्ट ने बीएमसी को उस मुकादम का फोन भी जमा कराने को कहा है कि जिसने कंगना रनौत के बंगले में 5 सितंबर को अवैध कब्जे का पता लगाया ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उस अवैध निर्माण की कोई तस्वीर ली गई थी। बताया गया है कि इसी रिपोर्ट के आधार पर बीएमसी टीम 7 सितंबर को निरीक्षण के लिए पहुंची थी।

बिरेंद्र सराफ ने कहा कि तोड़फोड़ की असली वजह अवैध निर्माण नहीं कंगना का शिवसेना नेता संजय राउत के साथ सोशल मीडिया पर टकराव था। जस्टिस एसजे काठावाला और जस्टिस आरआई चागला की पीठ कंगना रनौत की अपील पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उन्होंने पहले 9 सितंबर को स्टे की मांग की थी। बाद में उन्होंने तोड़फोड़ से हुए नुकसान को लेकर 2 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा।

कंगना रनौत ने हाई कोर्ट से कहा कि उनके पास सबूत के तौर पर तस्वीरें हैं जो उनके दावे को मजबूत करते हैं कि बीएमसी की ओर से अवैध कहे जा रहे निर्माण को 2019 में पूरा कर लिया गया था। इन्हें जनवरी 2020 में ली गई तस्वीरों से साबित किया जा सकता है। तस्वीरें परिसर में हुई पूजा के दौरान ली गई थीं।

Source : Hindustan

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD