राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रहा है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. ग्राफिक और मैप से समझिए आखिर विवाद जमीन के कितने हिस्से को लेकर है?
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिन तक रोजाना सुनवाई की. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई की है. 9 नवंबर 2019 शनिवार को कोर्ट इस ऐतिहासिक मामले पर फैसला सुना सकता है. ग्राफिक और मैप से समझिए आखिर विवाद जमीन के कितने हिस्से को लेकर है और सरकार के अधिग्रहण में कितनी जमीन है?
अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद सरकार ने साल 1993 में सरकार ने 2.77 एकड़ के विवादित स्थल के अलावा आसपास की 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया था. इस 67 एकड़ में से 43 एकड़ राम जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम थी, जो बाद में अधिग्रहित कर ली गई.
साल 1992 बाबरी विध्वंस से पहले विवाद 2.77 एकड़ जमीन कुछ ऐसी दिखाई देती थी. इसमें अस्थाई रूप से रामलला विराजमान थे. सीता रसोई, सिंह द्वार, भंडार, हनुमान द्वार और राम चबूतरा ऐसे मौजूद था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में जमीन का बंटवारा कुछ ऐसे किया गया कि राम चबूतरा, सीता रसोई और भंडार निर्मोही अखाड़े को सौंपा गया. जबकि जमीन का बाकी हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधीन है.
गूगल मैप पर सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन को आप लाल बाउंड्री के जरिए देख सकते हैं. जबकि 2.77 एकड़ विवादत जमीन कुछ ऐसी दिखाई देती है.
Input : News18