कोविड-19 का संक्रमण पूरे विश्व को अपने चपेट में ले चुका है, चीन से निकले इस वायरस ने लगभग 200 देशों में अपनी जड़ें मजबूत कर ली है, पूरे विश्व के साथ भारत मे अबतक खबर लिखने तक तकरीबन 980 मरीज़ो की संख्या हो चुकी है, लेकिन संक्रमण काल में दुषप्रचार और नफरत की भावना भी बहुत तेज़ी से फैल रही है, कोरोना पीड़ित के सम्पर्क मे नहीं आना है ये बात बिल्कुल वाजिब है, क्योंकि कोरना का वायरस ड्रापलेट वायरस है ये एक दूसरे के संपर्क मे आने से फैल सकता है, लेकिन इसका बिल्कुल भी ये मतलब नहीं है कि हम कोरोना को हल्के में ले लेक़िन ये भी कही से वाज़िब नही है कि कोरोना मरीज को हीन भावना से देखा जाये, कोविड पॉजिटिव मरीज को लेकर नफ़रत फैलाई जाए.
हिन्दू पंचाग के अनुसार हम अभी चैत्र माह में है, ये वो महीना है जब मौसम भी अपने मिजाज़ में करवट लेता है, ये वो वक्त है, जब हम ठंड के मौसम से गर्मी में प्रवेश करते है, ऐसे वक्त पर अमूमन लोगो को सर्दी- खांसी की शिकायत भी हो जाती है, और ज्ञात हो की हर शर्दी खांसी कोरोना नहीं है, कोरोना की पुष्टि तब तक आप नहीं कर सकते जब तक आपमे इसके अन्य सिम्पटम ना दिखे, जैसे गले मे खराश, तेज़ बुखार और सांस लेने में तकलीफ जब ऐसे सिम्पटम दिखे तो हमे तुरंत इसका जांच करानी चहिये, औऱ ऐसे मरीज़ को घर मे एक अलग कमरा दे देना चाहिए, सावधान रहें ये जरूरी भी है लेक़िन किसी मरीज़ को हीन भावना से नहीं देखें, ऐसे में मरीज़ो को ढांढस दे ना कि उसका मानोबल गिराए.
संक्रमण के इस काल में खुद के बचाव के लिये संगरोध का अहम किरदार है, हम सब को समाजिक दूरी बरतना होगा तभी हम कोविड के चेन को तोड़ सकते है, जो तोड़ना है भी बहुत जरूरी, लेकिन सामाजिक दूरी का कही से भी सामाजिक बहिष्कार से तात्पर्य नहीं है, कोविड का संक्रमण इंसान की साख को नहीं पहचानता, ये संक्रमण किसी को भी अपने गिरफ्त में ले सकता है.
सरकार और प्रशासन इस बीमारी से लड़ने के लिये सख्त रुख अपना रहा है, ऐसे में हम भी सावधानी बरतें ताकी कोरोना के खिलाफ़ इस जंग को जीत सके लेकिन बिल्कुल भी सवेंदनहीनता का परिचय ना दे, मुश्किल इस घड़ी को हम सवेंदनशीलता से जीत सकते है ना कि सवेंदनहीनता से, मुश्किल इस घड़ी में स्वयं भी सुरक्षित रहे और सामाजिक दायित्व को भी समझे, ये समय नफ़रत के बीज बोने का नहीं है बल्कि प्यार से इस लड़ाई को जीतने का है.