कोरोना संक्रमण जहां दिन प्रतिदिन नए आकड़ों को छू रहा है, सूबे में हर जगह, हर अस्पताल में चीख पुकार निकलती हैं वहीं, मुजफ्फरपुर से एक ऐसी कहानी सामने आई है जो वाकई में किसी चमत्कार से कम नहीं है.कहा जाता है कि जिसने ठान लिया हो उसकी जीत सुनिश्चित है बाकी मानने से तो हार मिल ही जाती है. दरअसल, जिले के माड़ीपुर स्थित वैशाली कोविड केयर सेंटर से ऐसी तस्वीरे सामने आई है जहां जिले के दामोदरपुर के रहने वाले विकास सर्राफा ने कोरोना से अपनी जिंदगी की जंग जीत ली है.
कोरोना संक्रमण के बाद जहां लोग अपनी हिम्मत हार जाते हैं और सारी उम्मीदें छोड़ देते है, वहां विकास ने अपनी हिम्मत के चलते वैशाली कोविड केयर सेंटर के डॉक्टर गौरव वर्मा और विमोहन कुमार की देख रेख में अपनी जिंदगी को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया.
विकास का कहना है कि उचित इलाज और आत्मबल के साथ कोरोना को मत देना कोई बड़ी बात नहीं है. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उनकी हिम्मत को समय-समय पर बढ़ाया और उचित इलाज किया जिसका परिणाम है कि आज उन्हें एक नई जिंदगी मिली है. वहीं, दूसरी और विकास के परिजनों का कहना है कि ‘डॉक्टरों को यूं ही धरती के भगवान नहीं कहा जाता, अगर वे ठान ले और मरीज हिम्मत बनाए रखें तो शायद कोरोना लोगों की जिंदगी नहीं छीन पाएगा.’ बता दें कि विकास एक-दो दिन नहीं बल्कि 20 दिनों तक वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहे.
इधर, डॉ गौरव वर्मा का कहना है, ‘ये जिंदगी बचाने को लेकर सेवा का परिणाम ही है कि आज विकास को अस्पताल से छुट्टी मिली है. ऐसी महामारी के बीच जरूरत है कि परिजन अपना आपा ना खोए, साथ ही हमेशा मरीज का मनोबल बढ़ाने में सहयोग करें.’उन्होंने आगे कहा कि ‘इस केस के बाद अलग सा मनोबल मिल रहा है. वैसे तो यह दूसरा केस है जहां वेंटिलेटर से मरीज सही सलामत अपने घर वापस जा रहा है. लेकिन लगातार 20 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहकर ठीक होने का यह पहला केस है जिसे देखकर बेहद खुशी मिल रही है.’
वहीं, विमोहन कुमार का कहना है कि ‘समय-समय पर चेकअप और हिम्मत का कमाल है कि आज भगवान ने यह उपलब्धि दी है. बस जरूरत है कि लोग हिम्मत ना हारे साथ ही डॉक्टर भी अपनी जवाबदेही बखूबी निभाए. विकास को अस्पताल से छुट्टी मिलने पर डॉक्टरों ने गुलदस्ता देकर उनकी हिम्मत बढ़ाई और परिजनों को कोरोना गाइडलाइंस का पालन करने की सलाह दी.
Input: Zee Media