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खुदाई में निकला था मां गंगा का चमत्कारिक मंदिर, आज भी देवी की मूर्ति से निकलता है पानी

भारत को मान्यताओं का देश कहा जाता है। यहां पत्थरों को भी भगवान का दर्जा दिया जाता है। लोगों की इसी आस्था को कई बार देश के अलग-अलग हिस्सों में होने वाले चमत्कार सही साबित करते दिखते हैं। कुछ ऐसा ही अजूबा झारखंड में मौजूद एक चमत्कारिक मंदिर में देखने को मिलता है। जिसका नाम टूटी झरना मंदिर (Tuti Jharna Temple) है। ये प्राचीन मंदिर अंग्रेजों के काल में खुदाई के दौरान जमीन से निकाली गई थी। यहां मां गंगा की एक अद्भुत मूर्ति मिली थी, जिसकी नाभि से पानी निकलता है। वहीं एक शिवलिंग भी मिला था। हैरानी की बात यह है कि देवी मां की मूर्ति से निकलने वाला जल अपने आप उनके हाथों से होता हुआ शिवलिंग पर गिरता है। जिसे प्राकृतिक अभिषेक का स्त्रोत माना जाता है।
सदियों से चली आ रही ये प्रथा आज भी जारी है। मां गंगा की मूर्ति से पहले की ही तरह जल निकलता है। मान्यता है कि ये जल कभी भी किसी मौसम में सूखता नहीं है। ये देवी मां के चमत्कार को दर्शाता है। मंदिर के इस अद्भुत चमत्कार की कथा को सुन दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन को आते हैं और मूर्ति से निकलने वाले जल का सेवन करते हैं। भक्तों का दावा है कि ऐसा करने से उन्हें कई तरह के रोगों से छुटकारा मिलता है, साथ ही उनके कष्ट दूर होते हैं।
झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित इस मंदिर की खोज अंग्रेजों ने की थी। पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार सन् 1925 में अंग्रेज इस जगह पर रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे। तभी खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के नीचे एक गुम्बद—सी चीज दिखाई दी थी। बाद में मिट्टी को खोदने पर उन्हें पूरा मंदिर नजर आया था। मंदिर में मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा भी है। मंदिर परिसर में दो नल भी बहुत चमत्कारिक है। बताया जाता है कि इससे भी हमेशा पानी निकलता रहता है। इसके लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। लोगों के मुताबिक मां गंगा भक्तों की प्यास बुझाने के लिए हैंडपंप से निरंतर बहती रहती हैं। जो भक्त इस जल का सेवन करता है उसे कष्टों से मुक्ति मिलती है।
Source : Patrika
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बिना बेलपत्र अधूरी मानी जाती है भगवान शिव की पूजा, जा’निए महत्व

सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी परेशानी दूर हो जाती है. कई लोग सोमवार के दिन व्रत भी रखते हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भांग, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाते हैं. ऐसा मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और बिना बेलपत्र के उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं बेलपत्र के महत्व के बारे में और क्यों प्रिय है भगवान शिव को बेलपत्र.
बेलपत्र का महत्व
बेल की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं. बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं लेकिन इसे एक पत्ती गिना जाता है. बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. इससे चढ़ाने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. बिना बेलपत्र चढ़ाएं भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती हैं.
बेलपत्र चढ़ाते समय इन बातों का रखें ध्यान
लपत्र में एक साथ तीन पत्तियां जुड़ी होनी चाहिए. अगर बेलपत्र में दो या एक पत्ती है तो उसे बेलपत्र नहीं माना जाता है.
पत्तियां कहीं से टूटी – कटी नहीं होनी चाहिए. कोई भी पत्ते में छेद नहीं होना चाहिए.
भगवान को चिकनी तरफ से बेलपत्र चढ़ाएं और जल की धारा जरूर चढ़ाएं.
बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए.
बेलपत्र चढ़ाने से बिगड़े काम
कई बार बिगड़ते काम को बनाने के लिए भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से सभी परेशानियां ठीक हो जाती है.
कई बार न चाहते हुए शादी में परेशानी होने लगती है. इसके पीछे कई भी कारण हो सकता है. आप बेलपत्र का उपयोग कर इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं. आइए जानते हैं बेलपत्र का इस्तेमाल कर समय पर विवाह होगा
आपको 108 बेलपत्रों पर चंदन से राम लिखना होगा. इसके अलावा आप शिवलिंग पर ऊं नम: शिवाय कहते हुए बेलपत्र चढ़ाएं.
अगर आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं तो 108 बेलपत्रों को चंदन के इत्र में डूबाते हुए शिवलिंग पर चढ़ाएं. आप इसके मंत्र जाप कर स्वस्थ होने की प्रार्थना करें.
Source : TV9
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माता वैष्णो देवी धाम जाने वाले श्रद्धालु ध्यान दें, अब 24 घंटे मिलेगी यात्रा से संबंधित हर जानकारी

श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को अब चौबीस घंटे यात्रा से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध होगी। श्रद्धालु यात्रा से संबंधित जानकारी के साथ यात्रा के दौरान आ रही समस्याओं को लेकर अपनी शिकायत भी दर्ज करवा सकेंगे। उप-राज्यपाल ने गुरुवार को चौबीस घंटे सुविधा देने वाले हाई-टेक कॉल सेंटर का शुभारंभ किया है।
कॉल सेंटर सेवा शुरू होने से श्रद्धालुओं के प्रति श्राइन बोर्ड की जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ेगी। कॉल सेंटर के माध्यम से यात्री यात्रा की स्थिति, हेलीकॉप्टर, बैटरी से चलने वाली वाहन की उपलब्धता जान सकेंगे।
उप-राज्यपाल ने इस दौरान कहा कि बोर्ड श्रद्धालुओं की यात्रा को सुविधाजनक और सुखद बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है और आगे भी करेगा। हाई-टेक कॉल सेंटर में श्रद्धालु इमेल और एसएमएस की सुविधा भी है, वर्तमान में छह कॉल सेंटर हैं, जिन्हें भविष्य में बढ़ाकर 30 किया जाएगा। यात्री 01991-234804 नंबर पर संपर्क कर सकेंगे। इस दौरान उप-राज्यपाल के साथ सीईओ श्राइन बोर्ड, उपायुक्त रियासी व अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
Input: Amar Ujala
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क्यों की जाती है पूजा के अंत में आरती, क्या है इसका महत्व, यहां पढ़ें

हम सभी ने ईश्वर की आराधना करते वक्त आरती जरूर की होगी. आरती पूजा पाठ का एक अभिन्न हिस्सा है. माना जाता है कि सच्चे मन और श्रृद्धा से की गई आरती बेहद कल्याणकारी होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूजा पाठ में आरती का क्या महत्व है. शास्त्रों में पूजा में आरती का खास महत्व बताया गया है. हम आपको आज बताते हैं कि पूजा पाठ में आरती का क्या महत्व है.
धार्मिक मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि नहीं जानता लेकिन आरती कर लेता है, तो भगवान उसकी पूजा को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हैं. “स्कन्द पुराण” में आरती के महत्व की चर्चा सबसे पहले की गई है. आरती हिन्दू धर्म की पूजा परंपरा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है.
किसी भी पूजा, यज्ञ, अनुष्ठान के अंत में की आरती की जाती है. एक थाल में ज्योति और कुछ विशेष वस्तुएं रखकर भगवान के सामने घुमाते हैं. सबसे ज्यादा महत्व होता है आरती के साथ गाई जाने वाली स्तुति का. आरती की थाल को इस प्रकार घुमाना चाहिए कि ॐ की आकृति बन सके. आरती को भगवान के चरणों में चार बार, नाभि में दो बार, मुख पर एक बार और सम्पूर्ण शरीर पर सात बार घुमाना चाहिए.
यह ध्यान रखें कि आरती की थाल में कपूर या घी के दीपक दोनों से ही ज्योति प्रज्ज्वलित की जा सकती है. अगर दीपक से आरती करनी, तो ये पंचमुखी होना चाहिए.
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