राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ी मुहिम चलाने की योजना बनाई है। इसके तहत चुनावों में आपराधिक छवि के लोगों को प्रत्याशी बनाना अब राजनीतिक दलों को भारी पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत सभी दलों को अब उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटे के भीतर सभी का आपराधिक ब्योरा सार्वजनिक करना होगा। इतना ही नहीं, चुनाव आयोग इसे लेकर लोगों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाएगा।
इसमें मतदाताओं से साफ छवि वाले प्रत्याशियों को वोट देने की अपील भी की जाएगी। जो दल दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करेंगे, उन्हें जुर्माना देना होगा। खास बात यह है कि राजनीति को अपराधीकरण से मुक्त रखने की यह पहल चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अमल में शुरू की है।
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण पर चिंता जताते हुए कानून निर्माताओं से इसे रोकने के लिए कड़े कानून बनाने की अपील की थी। साथ ही आयोग को निर्देश दिया था कि वह सभी राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों का आपराधिक ब्योरा सार्वजनिक करने कहे। राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट के होम पेज पर आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार का परिचय प्रदर्शित करने का निर्देश दे। जो राजनीतिक दल इसका पालन न करे, उसकी जानकारी भी दे। यह कोर्ट की अवमानना होगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त, 2021 को अपने एक आदेश में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को ब्योरा सार्वजनिक नहीं करने वाले राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाया था। इसमें कांग्रेस, भाजपा, जदयू और राजद के अलावा लोजपा और भाकपा जैसे राजनीतिक दल भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर एक विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किया था।
आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लेकर मतदाताओं के बीच एक बड़ी मुहिम चलाने की तैयारी की गई है। यह मुहिम इंटरनेट मीडिया, वेबसाइट, प्रिंट और टीवी पर विज्ञापन और प्रचार सामग्री आदि के जरिये चलाई जाएगी। इसके साथ ही इस पर नजर रखने के लिए आयोग ने एक सेल भी गठित की है, जो राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों पर नजर रखेगी।
इस व्यवस्था के तहत यदि किसी राजनीतिक दल ने किसी आपराधिक छवि वाले व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया है तो उसे यह बताना होगा कि उसे उम्मीदवार बनाने के पीछे उसकी क्या मजबूरी थी। साथ ही उस पर दर्ज आपराधिक मामलों की मौजूदा स्थिति की भी जानकारी देनी होगी। गौरतलब है कि मौजूदा समय में सभी राजनीतिक दलों की ओर से आपराधिक छवि के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे जा रहे हैं।
Source : Dainik Jagran