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जयंती विशेष : सुषमा स्वराज ने महज 25 की उम्र में दिखाई थी ये दिलेरी

14 फरवरी को पूरी दुनिया जहां वेलेंटाइन डे मनाती है चहीं इसी तारीख को भारतीय राजनेता सुषमा स्वराज का जन्म हुआ था। सुषमा स्वराज वो नेता जिनके प्रभावी और धारदार भाषणों पर हर कोई प्रभावित हो जाया करता था और विपक्ष धराशायी हो जाया करता था। उन्होंने भाजपा में रहते हुए कई असंभव काम को संभव कर डाला। उन्होंने राजनीति में रहते हुए भी अपनी पारिवारिक जिंदगी और प्रोफेशनल लाइफ में वो संतुलन बना कर रखा जो एक नजीर बन चुका है। सुषमा स्वराज भले ही अगस्त 2019 में हम सब को सदा के लिए अलविदा कह गईं लेकिन राजनीति के शानदार करियर के लिए उन्हें सदा याद किया जाता रहेगा। 4 दशकों की राजनीति के बीच जो उन्होंने पहचान बनाई वो राजनीति में आने वाली कई पीढि़यों को प्रेरणा देती रहेगी। उनकी 69 वीं जयंती के अवसर पर, आइए उनके शानदार जीवन, करियर से जुड़ी रोचक बातें ….
देश की सर्वोच्च न्यायालय में उन्होंने वकालत की
सुषमा स्वराज का जन्म हरियाणा के अंबाला कैंट में 14 फरवरी 1952 को हुआ। वकालत की पढ़ाई के बाद उन्होंने देश की सर्वोच्च न्यायालय में उन्होंने वकालत की और 1970 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ीं। जुलाई 1975 में स्वराज कौशल के साथ उनका विवाह हुआ।सुषमा स्वराज के पति कौशल कोर्ट में ही प्रैक्टिस करते थे। उन्होंने आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में हिस्सा लिया। इसी समय पर इंदिरा गांधी के कट्टर नेताओं का केस लड़ने और उनका खुलकर साथ देने के लिए सुषमा स्वराज तैयार होते हुए हामी भरी थी। जो किस्सा काफी मशहूर है।
सुषमा स्वराज ने महज 25 की उम्र में दिखाई थी ये दिलेरी
बता दें उस समय जार्ज फडवीस को जेल में इसलिए डाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने इमरजेंसी यानी आपातकाल के खिलाफ उसरकारी संस्थानों और रेल ट्रैक को उड़ाने के लिए डायनामाइट की तस्करी की थी। उन पर विद्रोह और सरकार को उखाड़ फेकनें का आरोप लगा था। 1976 में उन्हें गिरफ्तार कर दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद किया गया था। तब सुषमा स्वराज बड़ौदा डायनामाईट केस में जार्ज फर्नांडीस सहित 25 अभियुक्तों की वकील बन कर उनका केस लड़ने की ठानी थी। महज 25 बरस की सुषमा स्वराज इंदिरा गांधी के घोर शत्रुओं का मुकदमा लड़ने को तैयार हो गई। वहीं 1977 के लोकसभा चुनाव में जार्ज ने जेल से ही नामांकन किया। जार्ज का वहां कोई घर का सदस्य नहीं था इसलिए सुषमा स्वराज ने जार्ज को चुनाव में जीत दिलाने की जिम्मेदारी अपनी कंधों पर ली।
जेल का फाटक टूटेगा, जार्ज हमारा छूटेगा नारा लगाकर किया था ये कमाल
सुषमा स्वराज ने प्रचार का नायाब तरीका अपनाते हुए नुक्कड़ नाटक किए जिसके बाद ये ऐसा दौर था मुजफ्फरपुर के लोगों ने परिवर्तन की लहर देखी। उस समय सुषमा स्वराज नारा लगाती थी कि जेल का फाटक टूटेगा, जार्ज हमारा छूटेगा। यह नारा आम लोगों की जुबान पर उस समय चढ़ गया था। जार्ज के परिवार का कोई नहीं था तो सुषमा स्वराज ने ही चुनाव प्रचार का बीड़ा थामा था। पूरे चुनाव के दौरान जार्ज एक बार भी अपने क्षेत्र में नहीं जा सके और उस दौर हाथों में हथकड़ी से जकड़े जार्ज की एक तस्वीर सर्कुलेट हुई। कुछ समय में ही ये फोटाे प्रतिरोध का प्रतीक चिन्ह बनकर लोगों पर असर किया और जिसका परिणाम ये हुआ कि लगभग तीन लाख वोटों से जार्ज ने चुनाव जीत हासिल की।
25 साल की उम्र में बनी थीं कैबिनेट मंत्री
सुषमा स्वराज जिन्होंने पहली नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया। सुषमा स्वराज स्वतंत्र भारत के इतिहास में पोर्टफोलियो की सेवा के लिए इंदिरा गांधी के बाद केवल दूसरी महिला थीं और निर्विवाद रहते हुए सबसे अधिक सफल विदेश मंत्री बनीं। स्वराज का राजनीतिक जीवन 25 वर्ष की आयु में शुरू हुआ, जब उन्हें 1977 के हरियाणा चुनावों में विधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया। उसी वर्ष, उन्हें हरियाणा की पूर्व मुख्यमंत्री देवी लाल की अध्यक्षता वाली जनता पार्टी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में चुना गया। 27 साल की उम्र तक, वह जनता पार्टी की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष बन गई।
सुषमा स्वराज बनी थीं दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री
1996 में राज्यसभा में अपना छह साल का कार्यकाल पूरा करने पर, स्वराज 1996 के चुनावों में दक्षिण दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से 11 वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सत्ता में आने के बाद, स्वराज को सूचना और प्रसारण विभाग दिया गया। सरकार 13 दिनों तक चली, हालांकि स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने से पहले अक्टूबर 1998 तक केंद्रीय मंत्री बनी रहीं। उन्होंने पद संभालने के बाद हफ्तों के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
विदेश मंत्री रहते हुए अपने तेवरों से पाक को झुकाया
12 वीं लोकसभा के लिए उनके फिर से चुने जाने पर, स्वराज को फिर से सूचना और प्रसारण विभाग दिया गया, जो उन्होंने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और संसदीय मामलों के मंत्री बनने से पहले 2000 से 2003 के बीच सेवा की। 2009 और 2014 के बीच, उन्होंने 15 वीं लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया। 2014 में जोरदार जीत के साथ भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में लौटने के बाद स्वराज को विदेश मंत्रालय मंत्रालय दिया गया था। वह निर्विवाद रूप से अब तक का सबसे सुलभ विदेश मंत्री था। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने एक भारतीय लड़की गीता को वापस लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो 15 साल से पाकिस्तान में फंसी हुई थी।पाकिस्तान को लेकर भी सुषमा का रुख हमेशा आक्रामक रहा। उन्होंने हमेशा पाकिस्तान को स्पष्ट कहा कि जब तक सीमा पार से जारी आतंकवाद पर लगाम नहीं लगेगी तब तक कोई बातचीत नहीं होगी। पाकिस्तान को सुषमा स्वराज के जबरदस्त तेवर के सामने झुकना पड़ा था।
Source : One India
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चुनावी रैली में बोलीं ममता बनर्जी- बीजेपी की वजह से पश्चिम बंगाल में बढ़े कोरोना केस

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की वजह से राज्य में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी चुनाव में प्रचार के लिए बाहरी लोगों को ला रही है और इस वजह से संक्रमण फैला है। राज्य में विधानसभा चुनाव के चार चरण हो चुके हैं और चार चरणों की वोटिंग अब भी बाकी है और संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के बावजूद सभी पार्टियां बड़ी-बड़ी रैलियां कर रही हैं, जिनमें कोरोना नियमों का जमकर उल्लंघन होता दिख रहा।
जलपाईगुड़ी एक चुनावी रैली में ममता ने कहा, “वे लोग (भाजपा नेता) चुनाव प्रचार के लिए बाहरी लोगों को लेकर आए हैं जिससे कोविड मामलों में वृद्धि हुई। हमने कोविड स्थिति पर काबू पा लिया था लेकिन उन्होंने इसे जटिल बना दिया।” ममता बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी की अगुआई वाली केंद्र सरकार राज्यों की इस अपील को नजरअंदाज कर रही है कि सभी लोगों को कोरोना का टीका दिया जाए, जिससे बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है।
निर्वाचन आयोग द्वारा 24 घंटे के लिए चुनाव प्रचार पर रोक लगाए जाने के फैसले के संबंध में उन्होंने कहा, “क्या हिंदुओं, मुस्लिमों और अन्य लोगों को एक साथ वोट देने के लिए कहना गलती है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में क्या कहना है जो हर चुनावी बैठक में मेरा मजाक उड़ा रहे हैं? उन्हें चुनाव प्रचार करने से क्यों नहीं रोका गया?”
प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर चुनावी रैलियों में झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता ने कहा, “केंद्र ने एनआरसी और एनपीआर विधेयकों को जीवित रखा है, लेकिन गृह मंत्री ने एक सभा में दावा किया था कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लागू करने की उनकी कोई योजना नहीं है।”
ममता ने कहा, ”उन पर विश्वास मत करो। अगर वे सत्ता में आए तो आपको भी असम में 14 लाख बंगालियों (पूर्वोत्तर राज्य में अंतिम एनआरसी के संदर्भ में) जैसा अनुभव हो सकता है। भाजपा एक खतरनाक पार्टी है जो बंगाल को विभाजित करने का प्रयास कर रही है।”
Input: Live Hindustan
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यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ कोरोना पॉजिटिव, बोले- वर्चुअली कर रहा हूं काम

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मुख्यमंत्री योगी ने खुद ट्वीट कर जानकारी दी है कि शुरुआती लक्षण दिखने पर मैंने कोविड की जांच कराई और मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मैं सेल्फ आइसोलेशन में हूं और डाॅक्टरों की सलाह का पूर्णतः पालन कर रहा हूं। सभी कार्य वर्चुअली संपादित कर रहा हूं।
शुरुआती लक्षण दिखने पर मैंने कोविड की जांच कराई और मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
मैं सेल्फ आइसोलेशन में हूं और चिकित्सकों के परामर्श का पूर्णतः पालन कर रहा हूं। सभी कार्य वर्चुअली संपादित कर रहा हूं।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) April 14, 2021
सीएम योगी ने ट्वीट कर बताया है कि प्रदेश सरकार की सभी गतिविधियां सामान्य रूप से संचालित हो रही हैं। इस बीच जो लोग भी मेरे संपर्क में आएं हैं वह अपनी जांच अवश्य करा लें और एहतियात बरतें। बता दें कि इससे पहले आज सुबह ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके अलावा योगी सरकार में मंत्री आशुतोष टंडन की भी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
शुरुआती लक्षण दिखने पर मैंने कोविड की जांच कराई और मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कल से ही आइसोलेट हैं सीएम :
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद को मंगलवार से ही आइसोलेट कर लिया था। वह अपना सारा कामकाज अपने आवास से वर्चुअली कर रहे थे। कोरोना स्थिति पर रोजाना होने वाली टीम 11 की बैठक उन्होने मंगलवार को वर्चुअली ही संबोधित किया था। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को ट्वीट करके बताया था कि उनके कार्यालय के कुछ अधिकारी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। यह अधिकारी उनके संपर्क में रहे हैं, अतः उन्होंने एहतियातन अपने को आइसोलेट कर लिया है एवं सभी कार्य वर्चुअली कर रहे हैं। आज सीएम की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई है।
Input: Live Hindustan
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अस्पताल के फ्रीजर में नहीं शव रखने की जगह? खुले में पड़े शवों का वीडियो वायरल

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सबसे बड़े अस्पताल भीमराव अंबेडकर में कोरोना का खौफनाक मंजर देखने को मिल रहा है। इस अस्पताल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें अब तक की कोरोना की सबसे खतरनाक तस्वीर देखने को मिल रही है। वीडियो में धूप में स्ट्रचैर पर रखे शव साफ देखे जा सकते हैं। वीडियो के मुताबिक अस्पताल में शवों को रखने के लिए जगह नहीं है, फ्रीजर भर चुके हैं। जिसके कारण कई शवों को स्ट्रैचर पर धूप में रखा गया है और कुछ को तो जमीन पर ही रख दिया है।
इस वीडियो को देखने के बाद पता चल रहा है कि कोरोना वायरस ने हेल्थ केयर सिस्टम को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। लाशों को इस तरह रखा गया है जैसे वो शरीर नहीं मानों कोई सामान हो जिनको स्टॉक करके रखा जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि कोरोना मरीजों के शवों को अंतिम संस्कार के लिए भेजने और उनके परिवारों को देने में देर हो रही है जिसके कारण शव गृह भर गया है। शवों को रखने के लिए जगह ही नहीं बची है।
कोरोना ने अस्पतालों का बुरा हाल कर दिया है। अस्पतालों में जिन मरीजों की कोरोना से मौत हो रही है उन्हें शव गृहों में भेजा जा रहा है। अस्पतालों में हालत यह है कि आईसीयू और ऑक्सीजन वाले बेड भी भर चुके हैं। अस्पताल में कोई भी बेड खाली नहीं है। कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही इस लड़ाई में कुछ अस्पताल घुटने टेकने पर मजबूर हो गए हैं।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक रायपुर की चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर मीरा बघेल कहती है, “कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता कि इतनी ज्यादा संख्या में मौतें होंगी। हमारे पास सामान्य स्थिति के हिसाब से पर्याप्त फ्रीजर हैं लेकिन अगर हम 10 से 20 के लिए तैयारी कर रहे हैं तो 50 से 60 लोगों की मौत हो रही है। एक साथ इतने अधिक फ्रीचर की व्यवस्था हम कैसे कर सकते हैं?”
Input: Live Hindustan
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