हिंदू धर्म में दिवाली (Diwali) के त्योहार का विशेष महत्व है. दिवाली के त्योहार (Festival) को हर कोई बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाता है. इस दिन लक्ष्मी, गणेश और भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है. इस साल 14 नवंबर को दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा. दिवाली (Diwali) के दिन लोग लक्ष्मीजी और भगवान गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं. माना जाता है कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी धरतीलोक पर आती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं. आज के अपने आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. साथ ही क्यों घर में साफ-सफाई की जाती है और दीये जलाए जाते हैं.
लक्ष्मी पूजा का महत्व
एक पौराणिक कथा के मुताबिक, एक गांव में साहूकार रहा करता था. उसकी बेटी रोजाना पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने के लिए जाती थी. साहूकार की बेटी जिस पीपल पर वह जल चढ़ाने जाती थी, उस पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास था. एक दिन लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी को साक्षात दर्शन दिए और कहा कि वे उसकी मित्र बनना चाहती हैं. इसके जवाब में लड़की ने अपने पिता से पूछकर बताने को कहा. वहां से लौटकर साहूकार की बेटी ने सारी बात पिता को बताई. पिता की हां के बाद अगले दिन वह लक्ष्मी जी की मित्र बन गई.
फिर एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले आईं और उसको पकवान खिलाए. इसके बाद लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी से पूछा कि वो उन्हें अपने घर पर आने का कब निमंत्रण देगीं. लेकिन साहूकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए उसकी बेटी लक्ष्मीजी को बुलाने से घबरा रही थी. एक दिन साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला लिया.
साहूकार ने अपनी बेटी को बत्ती वाला दीया लक्ष्मी जी के नाम से जलाने के लिए भी कहा. उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर साहूकार के घर आ गया. साहूकार की बेटी ने उस हार को बेचकर अच्छा भोजन बनाया. उसके थोड़े देर बाद मां लक्ष्मी भगवान गणेश के साथ साहूकार के घर आईं और साहूकार के स्वागत से प्रसन्न होकर उसपर अपनी कृपा बरसाई. लक्ष्मी जी की कृपा से साहूकार के पास किसी चीज की फिर कभी कोई कमी न हुई.