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जिंदा हैं तानाशाह किम जोंग उन, 20 दिन बाद बहन किम यो के साथ आए नज़र

प्योंगयांग. उत्तर कोरिया (North Korea) के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन (Kim Jong Un) ब्रेन डेड होने और हार्ट सर्जरी के दौरान मौत होने जैसी अटकलों के बीच शुक्रवार को सार्वजनिक तौर पर लोगों के सामने आ गए. उत्तर कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि किम 20 दिनों के बाद एक बार फिर लोगों के बीच पहुंचे और उसने बातचीत भी की.
#KimJongUn, top leader of the Democratic People's Republic of Korea (#DPRK), attended the ribbon-cutting ceremony of a phosphatic fertilizer factory on Friday, according to the official Korean Central News Agency (KCNA) on Saturday. https://t.co/kpwm9oauRT pic.twitter.com/uwwaxv4na9
— Global Times (@globaltimesnews) May 2, 2020
कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) के अनुसार किम जोंग उन प्योंगयांग के काफी नजदीक बनी एक फर्टिलाइजर फैक्ट्र्री का काम पूरा होने के मौके पर वहां पर पहुंचे थे. इस दौरान किम की बहन किम यो जोंग भी उनके साथ मौजूद थीं. हालांकि उत्तर कोरिया की मीडिया ने उनके इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी किया था.
मुस्कुराते नज़र आए किम जोंग
KCNA के मुतबिक किम जोंग के इस तरह जनता के सामने आने से उनकी सेहत को लेकर उठाए गए सभी सवालों के जवाब मिल गए हैं. सुप्रीम लीडर जो कि नॉर्थ कोरिया में सभी लोगों के नेता हैं ने फैक्ट्री का उदघाटन पर कई लोगों की जिंदगी सुधारी है. किम की जो तस्वीरें जारी की गयीं हैं उनमें वे मुस्कुराते हुए नज़र आ रहे हैं. किम ने इस पूरे प्लांट का दौरा भी किया और कई लोगों से मुलाक़ात भी की.
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को लेकर दावा किया जा रहा है कि उनका ‘ब्रेन डेड’ हो गया है. यानी वो कोमा में चले गए हैं. इससे पहले अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों ने दावा किया था कि किम जोंग की हार्ट की सर्जरी असफल रही और उनकी मौत हो गई है. हालांकि नॉर्थ कोरिया की तरफ से अधिकारिक तौर किसी भी दावे कि पुष्टि नहीं की गई थी.
कोरोना की वजह से खुद को छुपाया
किम जॉन्ग उन को लेकर दुनियाभर में चल रही खबरों के बीच दक्षिण कोरिया की तरफ से लगातार कहा गया है कि उन्हें कुछ नहीं हुआ है. एक दक्षिण कोरियाई मंत्री ने दावा किया कि संभव है किम जॉन्ग उन ने खुद को कोरोना के डर से छुपा रखा हो. हालांकि दुनियाभर से कटे हुए देश उत्तर कोरिया में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है.
2014 में भी गायब हुआ था किम
ऐसा पहली बार नहीं है जब किम जॉन्ग लोगों की नजरों से ओझल हुआ हो. साल 2014 में भी एक बार वो तकरीबन एक महीने के लिए गायब हो गया था. हालांकि उस वक्त दक्षिण कोरिया के मीडिया की तरफ से दावा किया गया था कि किम की तबीयत खराब है. खैर इन सारी खबरों के बीच करीब 25 दिन बीत चुके हैं लेकिन न किम जॉन्ग सामने आया है और न ही उसकी सरकार की तरफ से कोई स्पष्टीकरण दिया गया है. ऐसे में संभव है कि आने वाले दिनों में उत्तर कोरिया को लेकर और कयासबाजी सामने आए.
Input : News18
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वैक्सीन पाकर गदगद हुए ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो, हनुमान जी की तस्वीर ट्वीट कर कहा- धन्यवाद भारत

कोविशील्ड (Covishield) की 20-20 लाख खुराक लेकर दो विमान शुक्रवार की सुबह मुंबई हवाई अड्डे से ब्राजील (Brazil) और मोरक्को के लिए रवाना हुए. भारत (India) दुनिया के सबसे बड़े दवा निर्माता देशों में शामिल है और कोरोना वायरस (Corona Virus) का टीका खरीदने के लिए कई देशों ने इससे संपर्क किया है. कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान को लेकर ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो अभिभूत नजर आए. उन्होंने हनुमान जी की तस्वीर ट्वीट करके भारत को धन्यवाद दिया. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी शुक्रिया अदा किया.
– Namaskar, Primeiro Ministro @narendramodi
– O Brasil sente-se honrado em ter um grande parceiro para superar um obstáculo global. Obrigado por nos auxiliar com as exportações de vacinas da Índia para o Brasil.
– Dhanyavaad! धनयवाद pic.twitter.com/OalUTnB5p8
— Jair M. Bolsonaro (@jairbolsonaro) January 22, 2021
ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो (Jair M Bolsonaro) ने शुक्रवार को कहा, “नमस्कार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. ब्राजील इस महामारी के दौर में आप जैसे महान साथी को पाकर सम्मानित महसूस कर रहा है. कोरोना वैक्सीन को भारत से ब्राजील पहुंचाने के लिए धन्यवाद.” उन्होंने हिंदी में अलग से धन्यवाद भी लिखा.
बोलसोनारो ने पीएम मोदी को लिखा था पत्र
गौरतलब है कि जनवरी के पहले पखवाड़े में ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की खेप के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने भारत से जल्द से जल्द वैक्सीन की 20 लाख डोज उपलब्ध कराने की गुजारिश की थी. रिपोर्ट के मुताबिक वैक्सीन की अनुपलब्धता के चलते ब्राजील अन्य क्षेत्रीय देशों की तुलना में टीकाकरण के मामले में काफी पिछड़ रहा था.
ब्राजील पहुंचीं वैक्सीन की 20 लाख खुराकें
सीएसएमआईए की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार कोविशील्ड टीके की 20 लाख खुराक लेकर एक विमान छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (सीएसएमआईए) से ब्राजील के लिए और 20 लाख खुराक लेकर दूसरा विमान मोरक्को के लिए रवाना हुआ.’’
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भी दिया धन्यवाद
इससे पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने देश को उपहार के रूप में कोविड-19 के टीके की 20 लाख से अधिक खुराक उपलब्ध कराने पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद व्यक्त किया है. भारत ने गुरुवार को ‘कोविशील्ड’ टीके की 20 लाख से अधिक खुराक औपचारिक रूप से बांग्लादेश को सौंपीं थी. शेख हसीना ने ढाका विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के मौके पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन सम्मेलन में गुरुवार को कहा कि मैं उपहार के रूप में टीका भेजने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद व्यक्त करती हूं.
Input: tv9 Bharatwarsh
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घर में पड़े खाने के लाले, लेकिन इकॉनमी को लेकर पुरानी सरकारों पर दोष मढ़ जश्न मना रहे इमरान खान

पाकिस्तान में रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं, जिसकी वजह से आम जनता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन सबसे बेफिक्र प्रधानमंत्री इमरान खान जश्न मनाने में लगे हुए हैं। लोगों के लिए घर में पड़ खाने के लिए लाले के बीच पाकिस्तानी सरकार कई महीनों से इकॉनमी पर घिरने पर पुरानी सरकारों और कोरोना वायरस पर दोष मढ़ती रही। हालांकि, अब सरकार दोनों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए पीएम इमरान खान को श्रेय दे रही है। पीएम खान और उनकी सरकार के अर्थशास्त्रियों ने हाल में जनता और दुनिया को समझाने की कोशिश की है कि उनकी सरकार ने इकॉनमी पर बेहतर काम करने में सफलता हासिल की है।
पिछले साल नवंबर में, इमरान खान ने नेताओं और सिविल सोसाइटी के साथ एक बैठक में कहा था कि आर्थिक पुनरुद्धार में मुश्किल चरण खत्म हो गया है और इकॉनमी में सुधार हुआ है। इसके बाद, अगले महीने पीएम खान ने घोषणा की कि पाकिस्तान की इकॉनमी ने ‘उल्लेखनीय बदलाव’ किया है। यह सच है कि कोरोना महामारी की वजह से पाकिस्तान की इकॉनमी पर असर पड़ा है, लेकिन यह गिरावट साल 2018 के मध्य से ही शुरू हो गई थी। पाकिस्तान की जीडीपी 2019 में 1.9% बढ़ी, जो पिछले वर्ष के एक दशक के उच्च स्तर 5.8% से नीचे थी जब इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सत्ता में आई थी।
वहीं, पाकिस्तान की सरकार के बाहर कोई भी इकॉनमी को लेकर उतना आश्वस्त नहीं दिखाई दे रहा है। पीएम खान के दावे पर टिप्पणीकार खुर्रम हुसैन ने एक लेख में कहा है कि जब भी सरकार की ओर से आप बढ़ते एक्सपोर्ट की गाथा के बारे में सुनते हैं, तो ध्यान रखें कि उसी जुलाई से दिसंबर की अवधि में एक्सपोर्ट की तुलना में व्यापार घाटा और भी तेजी से बढ़ा है।
इसके अलावा, पाकिस्तान मुद्रास्फीति को भी नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहा है, जो कि 2020 में 10.7% थी। वहीं, यह 2019 में 6.8% और 2018 में 4.7% थी, जब इमरान खान सरकार सत्ता में आई थी। खाद्य कीमतों में हालिया बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि यह बढ़ोतरी आगे भी जारी रहने की आशंका है। ऐसे में पाकिस्तान ने बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए गेहूं, चीनी और कैनोला का इम्पोर्ट काफी हद तक बढ़ा दिया, जिससे उसका कराची बंदरगाह तक जाम हो गया।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इसका परिणाम यह हुआ है कि पाकिस्तान के सीमेंट निर्यात में पिछले महीने 18% 633,431 टन की गिरावट दर्ज की गई। नवंबर में 5% की गिरावट दर्ज की गई थी। पाकिस्तान पर बढ़ते कर्ज के कारण इकॉनमी पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। सितंबर 2020 के अंत तक, पाकिस्तान का कुल कर्ज और देनदारियां पाकिस्तानी रुपये में 44,801 बिलियन (280 बिलियन डॉलर) हो चुका था। तीन महीने में 245 बिलियन की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
पाकिस्तान के कुल कर्ज का लगभग 30% बाहरी उधार के जरिए से प्राप्त होता है और चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान 1.05 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी दिखाता है। पाकिस्तान को चालू वित्त वर्ष में कर्ज और देनदारियों को चुकाने के लिए पाकिस्तानी रुपये में 1,200 बिलियन के आसपास की जरूरत होगी।
वर्तमान में, पाकिस्तान कुल बजट का लगभग एक तिहाई कर्ज सर्विसिंग पर खर्च करता है। पीएम खान ने हाल ही में अपने पूर्व सरकारों को दोष देने के लिए पाकिस्तान पर कर्ज के बोझ के प्रभाव को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि हम जो भी टैक्स लेते हैं, उसमें से आधा तो पिछली सरकारों के समय लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए देना पड़ जाता है।
Input: Live Hindustan
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भारत में बने कोरोना टीके को पाकिस्तान ने दी मंजूरी पर मोदी से मांगने में आ रही है शर्म, जानिए कैसे निकाल रहे हैं जुगाड़

पाकिस्तान ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए जिस टीके को सबसे पहले मंजूरी दे दी है, उसे पाने के लिए वह तरह-तरह के जुगाड़ तलाश रहा है। असल में, पड़ोसी देश ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से तैयार किए गए कोविशील्ड को देश में टीकाककरण के लिए चुना है। लेकिन भारत में इसके उत्पादन की वजह से इमरान खान सरकार दुविधा में फंस गई है। एक तरफ उसके लिए नाक का सवाल है तो दूसरी तरफ जनता की जान का। पाकिस्तान की सरकार बीच का रास्ता तलाशने में जुटी है। एक तरफ उसे कोवाक्स प्रोग्राम के तहत वैक्सीन का इतंजार है तो इमरान ने खुद को वैक्सीन खरीद से दूर करते हुए राज्यों और प्राइवेट सेक्टर को दूसरे देशों से बात करने की छूट दे दी है।
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन के ऑनलाइन संस्करण में दी गई खबर के मुताबिक, ड्रग रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान (DRAP) ने एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 को इमर्जेंसी यूज के लिए मंजूरी दे ती है, जबकि चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्मा के टीके को अगले दो सप्ताह में मंजूरी दी जा सकती है।
डॉन ने लिखा है कि यह टीका पाकिस्तान को द्वीपक्षीय समझौते के तहत नहीं मिल सकता है, क्योंकि इसका निर्माण भारत में हो रहा है। लेकिन इस मंजूरी से कोवाक्स प्रोग्राम के तहत मिलने वाले टीके का रास्ता साफ हो गया है। डब्ल्यूएचओ की इस वैश्विक पहल से पाकिस्तान को 20 फीसदी आबादी के लिए मुफ्त टीका मिलेगा।
डॉन ने प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. फैजल सुल्तान से भी वैक्सीन को मिली मंजूरी की पुष्टि की है। हालांकि, उनसे जब पूछा गया कि इसका निर्माण भारत में हो रहा है तो क्या यह द्वीपक्षीय समझौते के तहत मिल पाएगा? डॉ. सुल्तान ने कहा कि रजिस्ट्रेशन का उपलब्धता या खरीद से मतलब नहीं है। उन्होंने कहा, ”हमने इसे मंजूरी इसलिए दी है क्योंकि इसका प्रभाव 90 फीसदी से अधिक है। हम वैकल्पिक बंदोबस्त से इसे लेने का प्रयास करेंगे। इससे अहम यह है कि इससे हम कोवाक्स के जरिए टीका ले पाएंगे, क्योंकि DRAP की मंजूरी के बिना यह संभव नहीं है।”
हालांकि, इरमान खान के विशेष सलाहकार का ध्यान जब भारत के साथ ट्रेड बैन की ओर खींचा गया तो उन्होंने कहा कि जीवनरक्षक दवाओं का आयात किया जा सकता है। डॉ. सुल्तान ने कहा, ”यह सच है कि जिस देश ने विज्ञान में निवेश किया है वे पहले अपने लोगों के लिए वैक्सीन का उत्पादन करेंगे। लेकिन हम इसे लेने का प्रयास करेंगे। हम कुछ और वैक्सीन को मंजूरी देने जा रहा है, जिसमें सिनोफार्मा का टीका भी शामिल है, क्योंकि हमारी आबादी बड़ी है और हमें कई देशों से वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी।” हालांकि, पाकिस्तान यह जानता है कि चीनी वैक्सीन भारतीय वैक्सीन के मुकाबले काफी महंगी है।
यूं नाक और जान बचाने की कोशिश में इमरान खान
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार जानती है कि कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ जंग जीतने के लिए उसे भारत से मदद लेनी ही होगी, क्योंकि दुनिया के बड़े-बड़े देश भी भारत से ही सहायता मांग रहे हैं। भारत में मंजूर दोनों ही टीके दुनिया के दूसरे टीकों से काफी सस्ते हैं, इसलिए भी इरमान खान सरकार इन्हें लेना चाहेगी। लेकिन पाकिस्तान सरकार के लिए मुश्किल यह है कि आतंकवाद और भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देते रहने की वजह से भारत के साथ रिश्ता बेहद खराब है और इमरान खान मोदी सरकार के सामने मदद की गुहार लगाने से हिचक रहे हैं। इस बीच पाकिस्तान सरकार ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश के तहत प्रांतीय सरकारों और निजी सेक्टर को विदेशों से टीका खरीदने की छूट दे दी है।
Input: Live Hindustan
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