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टिकट कैंसिल कराते वक्त रहें सावधान, नहीं तो खाली हो सकता है बैंक अकाउंट
नई दिल्ली. अगर किसी वजह से आपको रेलवे टिकट कैंसिल (Railway Ticket Cancellation) करना पड़ रहा है तो आपको सावधानी बरतनी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है. इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) ने ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के लिए अपने ग्राहकों को सावधान किया है. बीते कुछ समय में साइबर फ्रॉड के मामलों में इजाफा हुआ है. टिकट कैंसिल कराने के नाम पर ग्राहकों को साइबर ठग चूना लगा रहे हैं.
IRCTC ने ई-मेल भेजकर ग्राहकों को सावधान किया
दरअसल, टिकट कैंसिल कराने के लिए ग्राहकों से उनके बैंक डिटेल्स की अहम जानकारियां मांगने के बाद ये ठग बैंक अकाउंट में सेंध लगा रहे हैं. IRCTC ने अपने ग्राहकों को एक मेल में कहा है, ‘किसी भी कारण के लिए IRCTC आपसे आपके बैंक की कोई जानकारी नहीं मांगता है. अगर आप बैंक अकाउंट संबंधी जानकारी किसी के साथ साझा करते हैं तो आप फ्रॉड के शिकार हो सकते हैं.
किसी से न साझा करें ये जानकारी
मेल में IRCTC ने अपने ग्राहकों को सलाह दी है कि वे अपने बैंक अकाउंट नंबर, ATM कार्ड, PIN, TPIN, CVV और UPI डिटेल्स समेत अन्य जानकारियों को किसी के साथ साझा न करें. साइबर लगातार इस प्रयास में हैं कि ग्राहकों के बैंक अकांउट संबंध जानकारी पता करे उन्हें ठगा जा सके. IRCTC ने साफ किया कि हम कभी भी कोई फोन कॉल या एसएमएस के जरिए व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगते है.
ऐसे मे आपके लिए जरूरी है कि आप कुछ जरूरी बातों को विशेष ध्यान दें ताकि आप भी इस तरह के फ्रॉड से समय रहते बच सकें. रेलवे टिकट कैंसिल कराने की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑटोमेटिक होती है.1. ई-टिकट कैंसिलेशन के बाद रिफंड प्रोसेस पूरी तरह से ऑटोमेटिक होता है. रिफंड प्रोसेस टिकट कैंसिल कराने के बाद ही ऑटोमेटिक तरीके से शुरू हो जाता है. रिफंड की रकम भी अपने आप ही उसी खाते में डाली जाती है, जिस खाते की मदद से रेलवे टिकट बुक किया गया होता है. ऐसे में ग्राहक से टिकट का दाम चार्जेज काटने के बाद स्वत: ही भेज दिया जाता है.
Input : News18
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पैसों की जरूरत हो तो लोन की जगह लें ये सुविधा; होगा बड़ा फायदा

अक्सर जब पैसों की जरूरत होती है तो हम सब या तो दोस्तों या रिश्तेदारों से कर्ज लेते हैं या फिर बैंक के पास लोन के लिए अप्लाई करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी (overdraft facility) के बारे में सुना है। अगर नहीं तो ये जान लीजिए कि ये ऐसी सुविधा है जिसके तहत आप अपने खाते में मौजूद रकम से ज्यादा पैसा निकाल सकते हैं। रह गए न हैरान ! आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे मुमकिन है ! लेकिन यह बिल्कुल संभव है। आपको बस कुछ जरूरी शर्तें फॉलो करनी होंगी। हम आपको बताते हैं कि क्या है ये ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी और यह आपको कैसे मिलेगी।
क्या है Overdraft Facility
आमतौर पर हम सोचते हैं कि हम अपने बैंक अकाउंट से उतना ही पैसा निकाल सकते हैं, जितना उसमें जमा है। लेकिन, कई बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFC) अपने ग्राहकों को मौैजूद रकम से ज्यादा पैसे निकालने की सुविधा देती हैं। इसे ही ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी कहते हैं। इसका फायदा तब मिलता है जब आपको पैसे की अचानक जरूरत पड़ जाए। दरअसल, यह एक तरह का लोन ही है। इसके तहत आप बैंक अकाउंट में मौजूद बैलेंस से ज्यादा पैसे निकाल सकते हैं।
कब तक वापस करना होगा पैसा
आप जितना अमाउंट निकालते है, उसे एक निश्चित अवधि के भीतर चुकाना होता है। ऐसा न करने पर ब्याज भी लगता है। यह ब्याज रोजमर्रा आधार पर कैलकुलेट होता है। आपको कितना ओवरड्राफ्ट मिलेगा यानी इसकी लिमिट क्या रहेगी, यह बैंक या NBFCs तय करते है। अलग-अलग बैंकों और नॉन बैंकिंग कंपनियों में यह लिमिट अलग-अलग हो सकती है।
कैसे मिलती है यह फैसिलिटी
बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां अपने कुछ कस्टमर्स को यह सुविधा प्री-अप्रूव्ड देते हैं। जबकि कुछ ग्राहकों को इसके लिए अलग से आवेदन करना होता है। आप बैंक की ब्रांच या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए भी अप्लाई कर सकते हैं। कुछ बैंक इस सर्विस के लिए फीस भी लेते हैं। इसलिए बेहतर है कि ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के लिए अप्लाई करने से पहले प्रोसेसिंग फीस के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें। आमतौर पर बैंक सैलरी अकाउंट के बदले भी ओवरड्राफ्ट देते हैं। आपकी ओवरड्राफ्ट लिमिट सैलरी का 2 से 3 गुना हो सकती है। इस तरह के ओवरड्राफ्ट सुविधा के लिए आपका सैलरी अकाउंट उसी बैंक में होना चाहिए. जिससे आप ओवरड्राफ्ट लेना चाहते हैं।
कितने तरह की होती है फैसिलिटी
ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी दो तरह की होती है, एक सिक्योर्ड और दूसरी नॉन अनसिक्योर्ड। सिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट वह है, जिसमें सिक्योरिटी के तौर पर कुछ गिरवी रखा जाता है, जैसे FD, शेयर, घर, सैलरी, इंश्योरेंस पॉलिसी आदि। अगर आपके पास कुछ भी सिक्योरिटी के तौर पर देने के लिए नहीं है तो भी आप ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी ले सकते हैं, लेकिन इसका तरीका अलग है। क्रेडिट कार्ड से पैसा निकालना अनसिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट का उदाहरण है। पर्सनल लोन के मुकाबले ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी अच्छा विकल्प है। तय अवधि से पहले भी बिना कोई चार्ज दिए आप बैंक को पैसे वापस कर सकते हैं। ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी में आपको ब्याज भी केवल उतने ही समय का देना होता है, जितने वक्त तक आपने ओवरड्राफ्ट अमाउंट अपने पास रखा है।
Source : Dainik Jagran
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मटके में भी मशरूम उगा कर किसान कमा सकते हैं बंपर मुनाफा

मशरूम की खेती से कई किसान बंपर मुनाफा कमा रहे हैं. इससे प्रेरित होकर अन्य किसानों भी इसकी खेती की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है. मशरूम की खेती की सबसे खास बात है कि बाजार में ये हाथों-हाथ बिक जाता है. साथ ही इससे बिस्किट, नमकीन जैसे कई अन्य तरह के प्रोडक्ट बनाकर बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
बता दें कि मशरूम की खेती करने में पहले लोग हिचकते थे. उनका मानना था कि इसकी खेती करना बेहद खर्चीला है. इसके लिए बकायदे सेटअप तैयार किया जाता है. लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि कैसे कम खर्च में अपने घर पर मटके में ऑयस्टर मशरूम ( ढींगरी मशरूम) को उगा सकते हैं.
साल में कभी भी करें ऑयस्टर मशरूम की खेती
हरियाणा के हिसार जिला के सलेमगढ़ गांव के रहने वाले 24 वर्षीय विकास वर्मा बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती करते हैं. वह अपने फार्म में सबसे ज्यादा ऑयस्टर मशरूम की खेती करते हैं. उनके मुताबिक इस मशरूम की खेती साल भर की जा सकती है. अन्य प्रकार के मशरूमों की खेती के मुकाबले इसमें नुकसान भी कम होता है.
मटके में ऐसे करें मशरूम की खेती
विकास बताते हैं कि ज्यादातर लोग मशरूम की खेती करने के लिए आयताकार सांचे बनाते हैं. यह प्रकिया थोड़ी खर्चीली है. ऐसे में किसान मटके में भी मशरूम उगा सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले आपको एक मटका लेना होगा. मटके में चारों तरफ छोटे-छोटे छेद कर दें. इसके बाद, उस मटके के अंदर नमी युक्त भूसा भरें. इस दौरान मटके के अंदर मशरूम का बीज भी डाल दें. इसके बाद, उन छेदों को रूई की मदद से बंद कर दें. मटके का मुंह किसी मोटे कपड़े से बांध दें, ताकि नमी मटके के बाहर न निकल सके.
इसके बाद उस मटके को अंधेरे कमरे में 12 से 15 दिन के लिए रख दीजिए. करीब 15 दिनों में मशरूम के स्पॉन बीज, पूरी तरह से फैलकर विकसित हो जाएंगे.लगभग 3 हफ्ते बाद कपड़े को हटाकर मटके को देखें.आपको छेद में से मशरूम के छोटे-छोटे सफेद बड दिखाई देंगे. जब बड गुच्छे में तब्दील होकर ऊपर की तरफ मुड़ने लगे तो इसकी तुड़ाई करना शुरू कर दें.
कम हो जाएगी किसानों की लागत
इस तकनीक का इस्तेमाल करने के दौरान किसानों को एक तो खर्च कम आएगा. दूसरा मटके के अंदर का तापमान हमेशा ठंडा रहता है. ऐसे में मशरूम के विकास के लिए ये काफी फायदेमंद साबित हो सकता है, जिससे किसान बढ़िया मुनाफा हासिल कर सकता है.
Source : Aaj Tak
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क्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए अच्छी खबर, अब UPI के जरिए भी कर सकेंगे पेमेंट

अब क्रेडिट कार्ड यूजर्स भी डेबिट कार्ड की तरह UPI से पेमेंट कर सकेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को इसका ऐलान किया है. आरबीआई यूपीआई के काम करने के तरीके में एक बड़ा बदलाव करने जा रही है.
इस सुविधा के तहत सबसे पहले स्वदेशी रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक किया जा सकेगा. इसके बाद वीजा और मास्टरकार्ड जैसे अन्य कार्ड होल्डर इसफा फायदा उठा पाएंगे. अब तक, ग्राहक केवल अपने डेबिट कार्ड को UPI से लिंक कर सकते थे.
ऑनलाइन पेमेंट का नया जरिया मिलेगा
यह ऐलान करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा, “अब तक सिर्फ डेबिट कार्ड के जरिए सेविंग्स /करेंट अकाउंट्स को UPI ट्रांजेक्शन के लिए लिंक किया जा सकता था. अब यूपीआई प्लेटफॉर्म पर क्रेडिट कार्ड को जोड़ने का प्रस्ताव है. शुरुआत में रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ा जा सकेगा” उन्होंने कहा कि इस सुविधा से कस्टमर्स को यूपीआई प्लेटफॉर्म के जरिए पेमेंट के लिहाज से दूसरे विकल्प भी उपलब्ध होंगे. कस्टमर जल्द ही इस सुविधा का लाभ उठा पाएंगे.
कई कस्टमर को मिलेगा फायदा
यूपीआई देश में पेमेंट करने का सबसे लोकप्रिय जरिया बन गया है. आज देश में करीब 26 करोड़ लोग यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं. वहीं, 5 करोड़ से ज्यादा व्यापारी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक करने से कस्टमर को पेमेंट का नया ऑप्शन मिलेगा. देश में क्रेडिट कार्ड यूजर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है. देश में अब कई छोटी-बड़ी दुकानों पर यूपीआई का इस्तेमाल किया जा रहा है.
आरबीआई ने बढ़ाई रेपो रेट
आरबीआई गवर्नर ने आज रेपो रेट बढ़ाकर अब 4.90 फीसदी करने की घोषणा की है. केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2023 में खुदरा महंगाई दर 7.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके किए गए UPI लेनदेन के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) कैसे लागू होगा, क्योंकि प्रत्येक लेन-देन के लिए व्यापारी लेन-देन की राशि का एक निश्चित भुगतान करता है, जिसे बाद में बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडरों के बीच बांटी जाती है.
Source : News18
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