सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए 24 घंटे रखेंगी निर्जला उपवास खगड़िया : अखंड सौभाग्य के लिए किया जाने वाला व्रत हरितालिका तीज तथा चौठचंद पर्व आज बुधवार को मनाया जायेगा. भाद्र शुक्ल तृतीया बुधा के चित्रा नक्षत्र को तीज व्रत रखा जाता है।
जिसमें महिलाएं पतियों के सुख- सौभाग्य, निरोग्यता के लिए माता गौरी की पूजा करती हैं. संसारपुर गांव निवासी पंडित अजय कांत ठाकुर ने बताया कि बुधवार सुबह से लेकर शाम के 6:46 मिनट तक यह पूजा की जायेगी. बुधवार के दिन ही चौठचंद भी है।
इसकी तैयारी घर घर में पूरी कर ली है. तीज एवं चौरचन पर्व को लेकर बाजारों में काफी भीड़ देखी गयी. मंगलवार को महिलाएं गंगा स्नान कर हाथों में मेंहदी लगायी. जिले में चौठचंद पर्व की खरीदारी को लेकर महिलाओं की काफी भीड़ देखी गयी. सुहागिनों के लिए अहम पर्व है तीज हरियाली तीज, कजरी तीज और करवा चौथ की तरह यह तीज सुहागिनों का व्रत है. पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत सभी सुहागिनें निष्ठा से करती है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर को पाने के लिए माता पार्वती ने किया था, जिसमें उन्होंने अन्न और जल तक ग्रहण नहीं किया था. इसलिए यह व्रत महिलाएं निर्जला रखती हैं.
इसमें महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है. क्या है पूजन विधि तीज पर्व के दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर एक चौकी पर रंगीन वस्त्रों के आसन बिछाकर शिव और पार्वती की मूर्तियों को स्थापित करेंगी. साथ ही इस व्रत का पालन करने का संकल्प लेगी. संकल्प करते समय अपने समस्त पापों के विनाश की प्रार्थना करते हुए कुल, कुटुम्ब एवं पुत्र पौत्रादि के कल्याण की कामना की जाती है.
आरंभ में श्री गणेश का विधिवत पूजा करेगी. गणेश पूजन के पश्चात् शिव-पार्वती का आह्वान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, दक्षिणा तथा यथाशक्ति आभूषण आदि से पूजन किया जाता है. क्या है पूजन विधि तीज पर्व के दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर एक चौकी पर रंगीन वस्त्रों के आसन बिछाकर शिव और पार्वती की मूर्तियों को स्थापित करेंगी. साथ ही इस व्रत का पालन करने का संकल्प लेगी. संकल्प करते समय अपने समस्त पापों के विनाश की प्रार्थना करते हुए कुल, कुटुम्ब एवं पुत्र पौत्रादि के कल्याण की कामना की जाती है.
आरंभ में श्री गणेश का विधिवत पूजा करेगी. गणेश पूजन के पश्चात् शिव-पार्वती का आह्वान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, दक्षिणा तथा यथाशक्ति आभूषण आदि से पूजन किया जाता है. तिथि व शुभ मुहूर्त यह भाद्र पद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, जो गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले होता है. इस बार पूजा करने की तिथि 12 सितंबर (बुधवार ) को है. सूर्योदय के बाद से शाम के 6:46 मिनट तक पूजा होगी।
Input : Prabhat Khabar