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तेजस्वी ने CM को बताया बिहार का किम जोंग उन

पटना. सोशल मीडिया (Social Media) पर किसी जनप्रतिनिधि और सरकारी अधिकारी पर अमर्यादित टिप्पणी करने पर कानूनी कार्रवाई का निर्देश देने वाली बिहार पुलिस (Bihar Police) ने चरित्र सत्यापन को लेकर एक नया आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत अगर कोई व्यक्ति विधि व्यवस्था की स्थिति में सड़क जाम और विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसके खिलाफ अगर पुलिस चार्जशीट दाखिल कर देती है तब ऐसा शख्स किसी भी तरह के सरकारी ठेके में भाग लेने या फिर सरकारी नौकरी में योगदान करने के काबिल नहीं माना जाएगा. बिहार सरकार के इस फरमान के बाद सियासत तेज हो गई है. जबकि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इसे किम जोंग उन (Kim Jong Un) का फरमान करार दिया है.
तेजस्वी यादव ने ट्वीट में लिखा है, ‘मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते हैं अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी. मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे. बेचारे 40सीट के मुख्यमंत्री कितने डर रहे हैं?
आदेश पत्र के बाद मची खलबली
बिहार के डीजीपी एस के सिंघल के आदेश से निकले इस आदेश पत्र के बाद से खलबली मच गई है. दरअसल माना जा रहा है कि पुलिस मुख्यालय इस तरह का आदेश निकाल कर लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करने में जुटा है. राजधानी पटना में विभिन्न मुद्दों पर विरोध-प्रदर्शन करने वाले सड़क पर उतरते हैं तो फिर उन्हें नौकरियां सरकारी ठेके से वंचित कर दिया जाना कितना उचित होगा?
दरअसल पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई थी इसमें डीजीपी भी बतौर सदस्य शामिल हुए थे. इस बैठक में यह फैसला लिया गया था कि सरकारी ठेके में चरित्र सत्यापन जरूर देना होगा. अटकलें लगाई जा रही हैं कि पटना के इंडिगो स्टेशन हेड रूपेश हत्याकांड के बाद सरकार ने इस तरह का फैसला लिया है. एक महीने के अंदर राज्य पुलिस मुख्यालय का यह दूसरा आदेश विपक्षी पार्टियों के लिए एक मुद्दा बन गया है.
Source : News18
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व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम डाउन, यूजर्स को मैसेज भेजने में हो रही परेशानी

शुक्रवार देर रात को व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक मैसेंजर डाउन हो गया. यूजर को व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक मैसेंजर्स यूज करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है. रात के करीब 11 बजे कई व्हाट्सएप यूजर्स ने मैसेज भेजने और रिसीव करने में परेशानी की शिकायत की है.
व्हाट्सऐप डाउन होने की ख़बर तो किसी बड़े भूकंप के आने से भी बड़ी बन जाती है! 🤔#WhatsAppDown
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) March 19, 2021
हे ऊपरवाले कम से कम एक दिन के लिए बंद रखना। दुनिया को भी पता चले बिना व्हाट्सएप इंस्टाग्राम के जिंदगी कैसी होती है।#whatsappdown
— #आंदोलनजीवी Devashish Jarariya (@jarariya91) March 19, 2021
लोग व्हाट्सएप डाउन पर तो ऐसे राजू रोना कर रहे जैसे बड़ी भीड़ लगी हो इनके व्हाट्सएप में लोग मरे जा रहे हो इनसे बात करने के लिए😹
— How Dare You Isolated Monk ? (@IsolatedMonk) March 19, 2021
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नीतीश कुमार ने मान लीं उपेंद्र कुशवाहा की शर्तें, इसी हफ्ते JDU में हो जाएगा रालोसपा का विलय

पटना. बिहार के सियासत में बहुत जल्द लव कुश समीकरण की बड़ी तस्वीर देखने को मिलेगी, जब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) एक साथ एक पार्टी के रूप में सामने दिखेंगे. पिछले कुछ महीने से उपेन्द्र कुशवाहा को लेकर JDU लगातार प्रयास कर रहा था और इस प्रयास में JDU के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह, नीतीश कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच कड़ी का काम कर रहे थे.
एक अणे मार्ग स्थित सीएम आवास में वशिष्ठ नारायण सिंह के सहयोग से उपेन्द्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के बीच पांच बार मुलाकात हुई है. खबर है कि दो दिन पहले कुशवाहा और नीतीश कुमार की मुलाकात जब हुई तो उस बैठक में भी वशिष्ठ नारायण सिंह मौजूद थे. उसी बैठक में बात लगभग फाइनल हो गई. सूत्र बताते हैं कि कुशवाहा की जो मांगें थीं उसमें से अधिकांश नीतीश कुमार ने मान ली हैं.
राजनीतिक हलके के बीच कुशवाहा और नीतीश कुमार के एक साथ आने की खबर पर तब और मुहर लग गई, जब उपेन्द्र कुशवाहा और वशिष्ठ नारायण सिंह एक साथ IGIMS पहुंचे और कोरोना का टीका लिया. उस वक़्त जब NEWS 18 ने दोनों नेताओं से पूछा कि ये महज़ संयोग है या फिर मज़बूत होते सम्बंध का असर है, इस सवाल पर दोनों नेता मुस्कुराते रहे. कुशवाहा ने बोला कि हमारा सम्बंध दादा से काफी पुराना है और जहां तक बात नीतीश जी की है तो हम अलग कब थे कि साथ होने की बात हो रही है? वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि कुशवाहा जी हमारे पुराने साथी रहे हैं. हमारे साथ बहुत जल्द आ जाएंगे और ये भी मानिए कि आज से ही हमारे साथ आ गए हैं.
सूत्र बताते हैं कि बहुत जल्द यानी 14 या 15 मार्च को JDU और RLSP का विलय हो सकता है. कुशवाहा की जो मांगें थीं यानीं उनके सहयोगियों का बेहतर सामंजस्य हो जाए और उनकी भूमिका क्या होगी, इन तमाम सवालों का जवाब नीतीश कुमार ने दे दिया है. और अब दोनों दलों का एक होना महज औपचारिकता ही शेष है.
Source : News18
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बंगाल चुनाव में भाजपा के लिए फायदेमंद हैं मिथुन चक्रवर्ती, जानें सियासी गुणा-गणित

अभिनेता से नेता बने मिथुन चक्रवर्ती पश्चिम बंगाल की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं, जो फिल्मों से लेकर राजनीतिक जीवन में कई अहम किरदार निभा चुके हैं। कभी वामपंथी झुकाव वाले मिथुन तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रहे हैं। अब उन्होंने भाजपा का झंडा थाम लिया है। मिथुन की यह अपील कि बंगाल में रहने वाले सभी बंगाली हैं और वे उनके साथ खड़े हैं, भाजपा के लिए विधानसभा चुनावों में मददगार हो सकती है।
मिथुन भारतीय सिनेमा में बंगाल के सबसे सफल सितारों में एक हैं। वह गांव-गरीब और मजदूरों के हीरो माने जाते हैं। उनके ज्यादातर प्रशंसक छोटे शहरों और गांवों से जुड़े हैं। मिथुन के जरिये भाजपा बंगाल में गांव-गरीब और मजदूरों तक पहुंच बनाना चाहती है। अभिनेता के भाजपा में आने से पार्टी को काफी मजबूती मिली है, क्योंकि उसे पश्चिम बंगाल की क्षेत्रीय अस्मिता से जुड़े ऐसे विशिष्ट लोगों की जरूरत थी, जिससे वह खुद को बंगाली भद्रलोक में स्थापित कर सके। साथ ही वहां की जड़-जमीन के साथ अपना नाता स्थापित कर पाए। इस कड़ी में मिथुन का आना उसके लिए राजनीतिक रूप से लाभ का सौदा हो सकता है।
सितारों पर दांव की रणनीति
मिथुन के भाजपा में शामिल होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि वह किस तरह से पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकते है। इसे समझने के लिए आपको ममता बनर्जी के टिकट गणित को समझना होगा। ममता ने इस बार के चुनाव में फिल्मी दुनिया से पांच अभिनेत्री और दो अभिनेताओं को उतारा है। चूंकि, मनोरंजन की दुनिया में मिथुन दा की जबरदस्त पैठ है। ऐसे में भाजपा ने बहुत बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेला है। यह कितना असरदार साबित होगा, ये तो दो मई को ही पता चलेगा।
सियासी प्रतिभा का लोहा मनवाया
दरअसल, मिथुन चक्रवर्ती के अभिनय के दीवाने तो करोड़ों हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक प्रतिभा के कद्रदान भी कम नहीं हैं। कॉलेज के दिनों में कम्युनिस्ट पार्टी के करीबी रहे मिथुन साल 2014 में ममता की पार्टी में शामिल हुए और राज्यसभा सांसद भी बने। दो साल बाद 2016 में राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा देने के बाद से मिथुन दा ब्रेक पर चल रहे थे, लेकिन अब उनका ब्रेक खत्म हो गया है।
Source : Hindustan
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