देश के अन्य महानगरों के एयरपोर्ट की तुलना में दरभंगा एयरपोर्ट की बढ़ती लोकप्रियता यात्रियों की आवाजाही को लेकर चर्चा में है। दरभंगा एयरपोर्ट को आल वेदर एयरपोर्ट बनाने की कवायद भी की जा रही है। लेकिन, इसमें हो रही देरी के कारण जिस रफ्तार से यात्रियों की संख्या आम दिनों में होती है, वो बारिश या फिर ठंड के दिनों में उतनी ही तेजी से घटने लगती है। कारण, दरभंगा एयरपोर्ट पर आइएलएस (इंस्टूमेंटल लैंडिंंग सिस्टम) का नहीं होना है।
आइएलएस सिस्टम होने से लो विजिवलिटी में भी विमानों की लैंडिंग और टेक आफ हो सकती है। फिलहाल इस सुविधा नहीं होने के कारण दरभंगा एयरपोर्ट पर बारिश और घने कोहरे में विमानों की रफ्तार पर ब्रेक लग जाता है। फ्लाइटें रद होने लगती है या फिर देरी से विमानों की आवाजाही होती है। इन दिनों जिले में भारी बारिश की चेतावनी का अलर्ट जारी कर दिया गया है। सोमवार से ही जिले में भारी बारिश हो रही है। इसका असर आम जनजीवन के साथ विमान सेवा भी दिखता है। ऊपर से ठंड का मौसम आ रहा है। सो, कोहरे के कारण विमान सेवा प्रभावित होने की प्रबल संभावना है। अगले दो से तीन महीने कोहरे की वजह से विमान सेवा प्रभावित हो सकती है।
शुरुआती दौर में जब दरभंगा एयरपोर्ट से विमानों का संचालन किया गया था, उस वक्त महज तीन फ्लाइटें उड़ान भरा करती थी। इनमें दरभंगा से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू की सेवा शामिल थी। लेकिन, यात्रियों की बढ़ती भीड़ और मांग को देखते हुए सेवा प्रदात्ता कंपनी ने अन्य महानगरों के लिए इसे विस्तारित किया। उसके बाद दूसरी सेवा प्रदात्ता कंपनी इंडिगो ने यहां से अपनी विमान सेवा शुरू की। तीन विमानों के साथ शुरू हुआ हवाई सेवा की संख्या अब 18 तक पहुंच गई है। इधर, सरकार ने भी दरभंगा एयरपोर्ट की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इसे अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने का फैसला लिया। इसे कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई है। बावजूद इसमें अभी वक्त लगेगा।
वर्ष 2022 के अंत तक शुरू हो सकती नए सिविल एनक्लेव निर्माण की प्रक्रिया
दरभंगा एयरपोर्ट के नए सिविल एनक्लेव व रनवे विस्तार को राज्य सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद उम्मीदों को पंख लग गए है। लेकिन, इससे कम से कम आठ महीने का वक्त लगेगा। जानकार बतातें है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद भी प्रक्रिया शुरू होने में कम से कम सात से आठ महीने का वैधानिक समय लगेगा। कारण, पहले सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण की प्रक्रिया होगी। इसमें कम से कम छह महीने का वक्त लगेगा। इसके बाद जिला स्तर पर गठित कमेटी रिपोर्ट का रिव्यू करेेगी, जिसमें कम से कम दो महीने का वक्त लगेगा। इसके बाद निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी।
Source : Dainik Jagran
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