जल्द ही बिहार में इलाज के लिए पांरपरिक चिकित्सा नीति भी अपनाई जाएगी. एक बार फिर रोगों के निदान और उपचार के लिए आयुर्वेद का सहारा लिया जाएगा. बिहार सरकार कई जिलों में फिर से आयुर्वेदिक चिकित्सा कॉलेज खोलने की योजना बना रही है. यहां पर फिर से आयुर्वेद का ज्ञान दिया जाएगा. अगर सब कुछ संभव होता है तो बिहार की धरती से आयुर्वेद का डंका एक बार फिर बजेगा.

अभी बंद पड़े हैं कॉलेज

जानकारी के मुताबिक, बिहार सरकार भागलपुर, दरभंगा और बक्सर में फिर से आयुर्वेदिक चिकित्सा कॉलेज खोलने की योजना बना रही है. इन कॉलेजों में फिर से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की पढ़ाई करवाई जाएगी. बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए गंभीर है. बता दें अभी तीनों ही जिलों में मौजूद आयुर्वेदिक कॉलेज बंद पड़े हुए हैं.

पटना में भी अस्पताल बनेंगे

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की ओर से बताया गया है कि भागलपुर दरभंगा और बक्सर में आयुर्वेदिक चिकित्सा कॉलेज खोलने को लेकर सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया कि पटना और गोपालगंज में अभी 50- 50 बेडों वाली आयुर्वेदिक अस्पताल खोलने का काम जारी है.

उन्होंने बताया कि पटना सिटी के नवाब मंजिल में आयुष अस्पताल का निर्माण शुरू हो गया है. इस अस्पताल का निर्माण डेढ़ सालों में पूरा हो जाएगा. यहां आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथिक और योग पद्धति से इलाज किया जाएगा. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के सहयोग से गोपालगंज में आयुष अस्पताल बनाया जा रहा है.

प्रदेश में सभी करा सकेंगे इलाज

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि आयुष डॉक्टरों और जीएनएम के तैनाती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. मंगल पांडे ने कहां की बिहार के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और वेलनेस सेंटर पर भी अब आयुर्वेदिक डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी. उन्होंने कहा कि अब प्रदेश के सभी लोगों को आयुर्वेदिक इलाज का ऑप्शन दिया जाएगा.

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