जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया है। वह मंगलवार (31 दिसंबर) को रिटायर हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने रावत के नाम पर मुहर लगा दी है। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि देश की मजबूत सुरक्षा के लिए सरकार ने फैसला लिया है और बिपिन रावत को सीडीएस नियुक्त किया गया है। बता दें कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ पद का काम तीनों सेनाओं के बीच सामंजस्य बैठाना होगा।
मोदी सरकार ने इस पद की घोषणा की थी। इस पद के लिए रिटायरमेंट की उम्र 62 तय की गई थी लेकिन इसे बढ़ाकर 65 साल कर दिया गया है। बिपिन रावत इस पद को पाने की रेस में सबसे आगे चल रहे थे। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने, उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और दक्षिणी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सतिंदर कुमार सैनी भी इस रेस में शामिल थे।
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सरकार ने तय किया है कि यह पद फोर स्टार वाले सैन्य अधिकारी हो को दिया जा सकता है। सीडीएस अन्य सेना प्रमुखों के समान ही होंगे। हालांकि, प्रोटोकाल की सूची में सीडीएस को सेना प्रमुखों से वरिष्ठ बनाया गया है। वेतन सेना प्रमुख के ही समान होगा। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ सैन्य मामलों के विभाग के प्रमुख होंगे, जिसका सृजन रक्षा मंत्रालय करेगा और वह इसके सचिव के रूप में काम करेंगे।
सीडीएस के जरिए अन्य देशों से युद्ध की स्थिति तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय कायम किया जा सकेगा। इससे दुश्मनों का सक्षम तरीके से मुकाबला करने में मदद मिलेगी। दरअसल, सशस्त्र बलों की ऑपरेशनल प्लानिंग में कई बार खामियां सामने आईं।
वहीं सैन्य उपकरण की खरीद को लेकर पनपने वाले विवादों में भी सीडीएस चीफ की भूमिका अहम होगी। कई मौकों पर देखा गया है कि तीनों सेनाएं अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से सरकार के सामने सैन्य उपरकरण की मांग रखती हैं। लेकिन किसे सबसे पहले और सबसे ज्यादा जरूरत है इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में सीडीएस की भूमिका यहां पर अहम हो जाएगी। सीडीएस अपने विवेक और अनुभव से यह सुनिश्चित करेंगे की तीनों सेनाओं में से किसे पहले और कितने सैन्य उपरकरणों की जरूरत है।
Input : Jansatta