लक्ष्मी नारायण मंदिर बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर लक्ष्मी नारायण को समर्पित है। साथ ही यहां पर वेंकटेश्वर, राधा कृष्ण, मां सरस्वती, श्री राम, शिव, सूर्य और श्री गणेश जैसे विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं। यह दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह लक्ष्मी नारायण मंदिर बिरला श्रृंखला का सबसे पहला मंदिर है। अतः इसे बिरला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। आज इस लेख के जरिए हम आपको यह बताएंगे कि इस मंदिर का निर्माण कैसे और कब हुआ था।
जानें कब हुआ था लक्ष्मी नारायण मंदिर बिड़ला मंदिर का निर्माण:
इस मंदिर को मूल रूप से 1622 में वीर सिंह देव ने बनवाया था। फिर सन् 1793 में पृथ्वी सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया। फिर सन् 1938 में भारत के बड़े औद्योगिक परिवार, बिड़ला समूह ने इस मंदिर का विस्तार और पुनरोद्धार कराया। इस मंदिर का उद्घाटन 1939 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। गांधी जी ने इस मंदिर का उद्घाटन इस शर्त पर किया थआ कि इस मंदिर में हर जाति के लोगों को जाने की अनुमित दी जाएगी। इस मंदिर के दोनों तरफ भगवान शिव, कृष्ण और बुद्ध के मंदिर जो इनको समर्पित हैं।
लक्ष्मी नारायण मंदिर में नवरात्रि और दीपावली के समय भव्य आयोजन किया जाता है। साथ ही साथ यह मंदिर जन्माष्टमी के आयोजन के लिए भी प्रसिद्ध है। दीपावली पर इस मंदिर की साज सज्जा देखने लायक होती है। इस मंदिर के मुख्य बरामदे में लक्ष्मी नारायण की भव्य मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर परिसर में भगवान शिव, गौतम बुद्ध और भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर भी मौजूद है। स्थित हैं।
लक्ष्मी नारायण मंदिर में क्या है खास:
यह मंदिर तीन मंजिला है। इस मंदिर की वास्तुकला नागारा शैली में बनाई गई है। आचार्य विश्वनाथ शास्त्री की अध्यक्षता में इस मंदिर का निर्माण किया गया है। बनारस के लगभग 100 कुशल कारीगरों ने इस मंदिर में मौजूद मूर्तियों की नक्काशी की थी। यह मूर्तियां जयपुर से लाए गए संगमरमर से बनाए गए हैं।
कहां है स्थित:
यह मंदिर गोल मार्किट के नजदीक, मंदिर मार्ग, कनॉट प्लेस पर स्थित है। यहां के लिए नजदीकी मेट्रो स्टेशन आर के आश्रम मार्ग है। इस मंदिर के दर्शन का सर्वश्रेष्ठ समय प्रातःकाल अथवा सायंकाल की आरती का है। यहां पर सुबह 6 बजे से लेकर रात 10 बजे तक दर्शन किए जा सकते हैं। यहां पर किसी भी तरह का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।