केंद्र सरकार के सारे नियमो को ताक पर रख कर लाखो युवाओं का जीवन बर्बाद कर रही है बिहार सरकार। जी हाँ हम बिहार सरकार है,हमारे सामने न कोर्ट न संस्था और न केंद्र सरकार का आदेश चलता है।न एनसीटीइ न ऐनाआइओएस न केंद्रीय मंत्री और न किसी सदन के आदेश की चिंता करते है हम।
कितना भी हाइकोर्ट चिल्ला ले सुप्रीम कोर्ट डॉट दे हम पर क्या फर्क पड़ता है,क्योकि बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है।
आइये आपको बिहार में चल रही एक ऐसी ही क्लाइमेक्स घटना के बारे में बताते है,जिसने NIOS से डीएलएड पास शिक्षको को पिछले 6 महीने से उन्हें करियर खत्म का डर दिखाकर उनका जीना हराम कर दिया है।
चलिये अब इसके पीछे के कारणों की विस्तृत बाते आपको बताते है। घटना कुछ ऐसी है कि वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट के त्वरित आदेश पर केंद्र सरकार ने दोनों सदनों में इस बात को पास कराते हुए की वर्तमान में निजी और सरकारी अप्रशिक्षित शिक्षको को न्यूनतम फ़ीस लेते हुए NIOS बोर्ड को यह आदेश दिया की डीएलएड जो दो वर्षीय कोर्स है उसे 31 मार्च से पहले पूरी कर ले।फिर NIOS ने NCTE से स्वीकृति लेकर इस पुरे प्रशिक्षण कार्यक्रम को ससमय यानि मई 2019 में अंतिम परिणाम देकर उसे पूरा भी कर दिया।
इस कार्यक्रम के बारे में NIOS निदेशक,NCTE और केंद्रीय मंत्री ने अपने कई कागजात और वीडियो में स्पष्ट रूप से इस कोर्स के बारे में यह बता चुके है कि यह 2 वर्षीय शिक्षक एलिमेंट्री कोर्स है जो की एक दम रेगुरलर की तरह ही मान्य है और इस प्रमाण पत्र का प्रयोग किसी अन्य स्कूलों चाहे वह सरकारी नियोजन ही क्यों न हो किया जा सकता है।
यहाँ तक की जुलाई महीने में आयोजित सीटीईटी के परीक्षा में हजारो शिक्षको ने अपने योग्यता के आधार पर पास भी कर ली ,जो की सीटीईटी ने योग्यता एनसीटीइ के निर्देशानुसार रखी थी।
मगर तमाशा तब शुरू हो गया जब बिहार में शिक्षा विभाग ने शिक्षक बहाली की पहली प्रक्रिया विज्ञापन की घोषणा की।हर जिले की DEO,प्रिंट मीडिया, एवं बीएड अभ्यर्थियों ने यह अफवाह फैलाना शुरू कर दिया की यह डिग्री बिहार शिक्षक नियोजन में मान्य नही है।फिर क्या था डिलेड अभ्यर्थियों में एक हलचल सी मच गई।कुछ अभ्यर्थी प्रमाण पत्र निर्गत एवं इस अफवाह की पुष्टि के लिए शिक्षा विभाग के सचिव से मिले तो उन्होंने भी शुरुआती समय में मिला जुला जबाब दिया मगर फिर बाद में सभी जिले के शिक्षा अधिकारियों ने शिक्षा अपर सचिव का रिफ्रेंस देते हुए इस डिग्री को अमान्य कहने लगे।
इस बात की पुष्टि मैंने खुद मुजफ्फरपुर जिला अधिकारी से भी की थी।उन्होंने ने तो यहाँ तक कह दिया की हम न आवेदन देने के लिए कह सकते है और न मना कर सकते है।उन्होंने एक बात और कही की आवेदन तो इन अभ्यर्थियों का ले लिया जाएगा मगर स्क्रूटनी में छटनी कर दिया जाएगा।
सवाल यहाँ उठता है कि क्या जानबूझकर लाखों युवाओ के साथ यह कैसा मजाक किया जा रहा की जिसमे अभ्यर्थी एक माह तक हजारों रुपये और महीनो दिन अपना कीमती समय बर्बाद कर दे और फिर उनके फॉर्म को निरस्त कर दिया जाए?
जब यही करना है तो विभाग पहले ही साफ़ साफ़ क्यों नही बता देती।
यहाँ तक की इस कोर्स के बारे में यह भी अफवाह फैलाया जा रहा है कि यह कोर्स 18 माह का ही है जबकि 2017-19 के अंधिकाश कोर्स को 31 मार्च तक ही पूरा कर लिया गया तो इसका क्या मतलब समझा जाए की सभी कोर्स अमान्य है क्या?
सवाल यहाँ यह है कि आखिर जिस डिग्री को केंद्र सरकार,NIOS बोर्ड,NCTE ने खुद मान्यता दे रखी है जिस डिग्री के बारे में सब कुछ साफ़ साफ़ कर रखा है।तो फिर लाखों युवाओ के भविष्य के साथ शिक्षा विभाग ये गंदी राजनीति क्यों कर रही है?
सवाल यह भी है कि आखिर पिछले 6 महीने से डीएलएड शिक्षक मानसिक रूप से परेशान और व्यथित हो गए तो फिर राज्य के नुमाइंदे क्यों चुप है?
सवाल यह भी है कि आखिर राज्य सरकार को किसने हक़ दिया की ओ केंद्र सरकार और एनसीटीई के मान्यता प्राप्त कोर्स को अमान्य कर दे?
सवाल यह भी है कि जिस डिग्री से सरकारी शिक्षक मान्य हो सकते है तो फिर निजी शिक्षक सरकारी शिक्षक क्यों नही?
अंत में इतना ही कहूँगा की आज बिहार के लाखों युवा गूंगी सरकार के सामने बेबस और लाचार है मगर सुनने वाला कोई नही।आइये इनके इंसाफ के लिए हर कोई मिलकर एक कदम बढाइये नही तो आगे पता नही आपकी भी बारी आ सकती है। क्योकि ये सियासत है साहब इन्हें जोर से बोलकर सुनाना पड़ता है।
इसलिये इनलोगों ने 30 अगस्त को बहरी सरकार को अपनी आवाज सुनाने के लिये शांति पूर्वक एक धरना प्रदर्शन का आयोजन शिक्षा विभाग के सामने रखा है।
साथ दीजिये सच के साथ और बोलिये नही तो एक दिन आपको सदा सदा के लिए चुप करा दिया जाएगा।क्योकि सत्ता सिर्फ युवाओ का इस्तेमाल करती है न की उनका निर्माण।