टोक्यो ओलंपिक भारत के लिए यादगार रहा. भारत ने अपने ओलंपिक इतिहास के सबसे सात 7 पदक टोक्यो में ही जीते. वहीं, ट्रैक एंड फील्ड का पहला गोल्ड भी यहीं मिला और यह करिश्मा भारत के नीरज चोपड़ा ने किया. उन्होंने 87.58 मीटर जेवलिन थ्रो (भाला फेंक) के साथ भारत की झोली में गोल्ड मेडल डाला और देश का 100 साल पुराना इंतजार खत्म हुआ. नीरज से पहले मिल्खा सिंह और पीटी उषा इस मुकाम को हासिल करने के करीब पहुंचकर चूक गए थे. लेकिन नीरज ने वो कमी पूरी की और देश को एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक दिलाया. उनसे पहले अभिनव बिंद्रा ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में शूटिंग की व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड जीता था.
बता दें कि नीरज एक एथलीट होने के साथ ही सेना में सूबेदार हैं. आइए जानते हैं कि उनके आर्मी करियर से जुड़ी 5 दिलचस्प बातें
-नीरज चोपड़ा को 2016 में खेल कोटे के तहत भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर शामिल किया गया था. उनकी मूल यूनिट 4 राजपूताना राइफल्स है. आमतौर पर सेना में किसी भी खिलाड़ी को सीधे नायब सूबेदार रैंक में भर्ती नहीं किया जाता है. लेकिन नीरज का खेल रिकॉर्ड शानदार था. इसी वजह से उन्हें सीधे नायब सूबेदार का रैंक दिया गया.
-नीरज को पुणे में मिशन ओलंपिक विंग और आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण के लिए चुना गया था. मिशन ओलंपिक विंग होनहार खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय सेना की पहल है.
-2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में भाला फेंक में कांस्य पदक जीतने वाले सूबेदार काशीनाथ नाइक नीरज चोपड़ा के शुरुआती ट्रेनर थे.
-नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक से पहले भी जर्मन कोच उवे हॉन की देखरेख में ट्रेनिंग कर चुके हैं और 2018 के कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं.
-कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने के बाद नीरज को सेना ने सूबेदार के पद पर पदोन्नत किया था. उन्हें 2018 में अर्जुन पुरस्कार और भारतीय सेना के विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया था.
थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और भारतीय सेना के सभी रैंकों ने सूबेदारों ने भी नीरज चोपड़ा को भाला फेंक में देश को पहला गोल्ड मेडल दिलाने पर बधाई दी. सेना ने अपने आधिकारिक हैंडल से इस बात को लेकर ट्वीट किया था. इसके अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने भी नीरज ने न सिर्फ आर्म़्ड फोर्सेस, बल्कि देश की भी उन पर गर्व करने का मौका दिया है.
Source : News18