BIHAR
पश्चिम बंगाल में बिहारियों पर ह’मला, कोलकाता से पटना आ रही बस को बनाया निशा’ना

पश्चिम बंगाल में बिहार के लोगों पर ह’मला और पि’टाई करने का मा’मला सामने आया है. घट’ना पश्चिम बंगाल के बर्धमान इलाके की है जहां असा’माजिक तत्वों ने बिहारी यात्रियों को निशा’ना बनाते हुए उन पर हम’ला बोला और उनके साथ मार’पीट की.
20-25 की संख्या में थे हम’लावर
इस माम’ले में पटना के जक्कनपुर थाने में शिकायत दर्ज कराया गया है. पीड़ित यात्रियों की बस जब पटना पहुंची तो वहां लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी. जानकारी के मुताबिक घट’ना को अंजाम देने वाले असा’माजिक तत्व 20-25 की संख्या में थे. यात्रियों ने पुलिस को बताया कि सभी बंगाल टाइगर बस से कोलकाता से पटना आ रहे थे इसी दौरान उनकी बस को निशा’ना बनाते हुए हम’ला किया गया.
शराब के नशे में थे हमलावर
पीड़ित लोगों के मुताबिक हमला करने वाले लोग शराब के नशे में थे. बस को उस वक्त निशाना बनाया गया जब यात्री बर्द्धमान में एक होटल पर रूकी और लोग खाने के लिए नीचे उतरे. इसी दौरान शराब के नशे में पहुंचे कुछ युवकों ने गाड़ी में बिहार का नंबर देखा तो बिदक गए और लाठी-डंडे लेकर मारपीट करने लगे.
लूटपाट का भी आरोप
पीड़ित लोगों की मानें तो उनके साथ मारपीट और लूटपाट भी की गई है जिस कारण कई यात्रियों को चोट आई है. एक यात्री ने बताया कि उसकी सोने की चेन छीन ली गई. कुछ लोगों का कहना है कि होटल संचालक ने पहले से ही योजना बना रखी थी और बड़े ही सुनियोजित ढंग से इस घटना को अंजाम दिलवाया गया है. पुलिस फिलहाल मामले की जांच में जुटी है.
Input : News18
BIHAR
पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चे कर रहे हैं दिहाड़ीः बिहार के मजदूरों में 4.04 फीसदी किशोर

पढ़ने-लिखने की उम्र में बिहार के किशोर घर की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं। कुल कामगारों में 16 से 18 वर्ष वाले कामगारों की भागीदारी 4.04 फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। संख्या के लिहाज से देखें तो लगभग 12 लाख किशोर अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर अपने घर का खर्च उठा रहे हैं। असंगठित क्षेत्र के कामगारों की ओर से अब तक हुए निबंधन से इसका खुलासा हुआ है। देशभर में असंगठित क्षेत्र के कामगारों का निबंधन हो रहा है।
ई-श्रम पोर्टल पर खुद से या सहज वसुधा केंद्र के माध्यम से कामगारों का निबंधन हो रहा है। देश में अब तक 27 करोड़ 92 लाख 95 हजार कामगारों का निबंधन हो चुका है। बिहार में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के निबंधन की संख्या दो करोड़ 84 लाख पार कर गई है। पोर्टल पर कामगारों के निबंधन का सिलसिला अभी जारी है। अनुमान है कि बिहार में साढ़े तीन करोड़ असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं जिनका निबंधन होना है। निबंधन के अनुसार बिहार में 4.04 फीसदी कामगार किशोर उम्र के हैं जबकि इसी श्रेणी का राष्ट्रीय औसत मात्र 2.92 फीसदी है। यानी, राष्ट्रीय औसत से अधिक बिहार के किशोर असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
वहीं 18 से 40 वर्ष के बीच असंगठित कामगारों का राष्ट्रीय औसत 61.68 फीसदी है जबकि बिहार का औसत 65.29 फीसदी है। 40 से 50 वर्ष वाले कामगारों का राष्ट्रीय औसत 22.15 फीसदी है तो बिहार का औसत 19.91 फीसदी है। जबकि 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले कामगारों का राष्ट्रीय औसत 13.25 फीसदी है तो बिहार का औसत 10.76 फीसदी है।
कृषि में सबसे अधिक काम कर रहे लोग
बिहार कृषि प्रधान राज्य है। इस कारण निबंधित कामगारों में सबसे अधिक कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। कुल निबंधित कामगारों में एक करोड़ 40 लाख 56 हजार कामगार कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इसके बाद घरेलू कार्य में 41 लाख 91 हजार, निर्माण क्षेत्र में 28 लाख 33 हजार, कपड़ा उद्योग में 16 लाख 72 हजार तो विविध क्षेत्र में 10 लाख 19 हजार से अधिक कामगार जुड़े हुए हैं।
महिला कामगार हैं अधिक
बिहार में महिला कामगारों का औसत भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। महिला कामगारों का राष्ट्रीय औसत 52.84 फीसदी है जबकि बिहार की 55.90 फीसदी महिलाएं असंगठित क्षेत्र में काम कर रही हैं। वहीं पुरुष कामगारों का राष्ट्रीय औसत 47.16 फीसदी तो बिहार का औसत 44.10 फीसदी है।
Source: Hindustan
BIHAR
पटना में जंग का मैदान बना राजीव नगर, दोनों तरफ से जारी है ईंट पत्थर से लड़ाई, सिटी एसपी सहित 5 घायल

राजधानी पटना के राजीव नगर स्थित नेपाली नगर जंग का मैदान बना हुआ है। यहां पुलिस और स्थानीय लोगों में जंग छिड़ी है। दोनों तरफ से जारी पत्थरबाजी मेु सिटी SP सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। नेपाली नगर में 70 अवैध मकानों को तोड़ने पहुंची पुलिस को स्थानीय नागरिकों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा।
देखिए किस तरह छतों से पुलिस वालों पर पत्थर चला रहे लोग. pic.twitter.com/a1u4Tnz7lC
— Utkarsh Singh (@UtkarshSingh_) July 3, 2022
बुलडोजर एक्शन के दौरान सिटी एसपी अम्बरीश राहुल पर भी जमकर पथराव हुआ। जिसमें 5 पुलिसकर्मी सहित सिटी एसपी घायल हो गए हैं। स्थानीय लोगों के गुस्से का अंंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मकान तोड़ रही जेसीबी को स्थानीय लोगों ने तोड़ डाला।
प्रदर्शनकारियों के हमले में घायल हुए सिटी SP pic.twitter.com/sn9r1gm1MO
— Utkarsh Singh (@UtkarshSingh_) July 3, 2022
भारी संख्या में पुलिस बल तैनात
प्रशासन की ओर से भारी तादाद में पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है। दंगा रोधी बल के साथ प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाओं अभियान चलाया। जिसका स्थानीय लोगों ने जम का विरोध किया। हालत ये है कि अभी माहौल तनाव पूर्ण बना हुआ है। दोनों तरफ से ईंट पत्थर चलाए जा रहे हैं। फिलहाल प्रशासन लोगों को काबू करने का प्रयास कर रहा है।
Source: NBT
MUZAFFARPUR
आपके प्रिय कालेज ने पूरे किए 123 वर्ष, 72 छात्र व पांच प्राध्यापकों से मुजफ्फरपुर में शुरू हुआ था सफर

अब न लंगट सिंह हैं और न उनकी मिट्टी की नश्वर काया…पर यह लंगट सिंह महाविद्यालय (एलएस कालेज) मजबूत स्तंभ-सा खड़ा है। यहां जबतक शिक्षक-शिक्षार्थी सत्य धर्म का, पवित्र चिंतन, मनन करते रहेंगे, अपने आचरण में उन सपनों को ढालेंगे, वातावरण में बाबू लंगट सिंह का जीवन संगीत गूंजता ही रहेगा। ये पंक्तियां बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अवकाश प्राप्त रीडर डा. सुरेंद्रनाथ दीक्षित ने अपनी पुस्तक बिहार रत्न बाबू लंगट सिंह और कालेज की विकास यात्रा में लिखी हैं। उन्होंने पुस्तक में बताया है कि कालेज की स्थापना तीन जुलाई 1899 में होने के प्रथम दो वर्षों में 72 विद्यार्थी और पांच प्राध्यापक ही थे। स्थापना काल के चार-पांच वर्ष बाद यहां विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 150 हो चली थी। वर्तमान में यह वटवृक्ष हो चुका है। अभी करीब 10 हजार विद्यार्थी और एक सौ प्राध्यापक इस कालेज में हैं।
शुरू में सिर्फ इंटर कला स्तर की पढ़ाई वाले इस कालेज में अब कला, वाणिज्य और विज्ञान संकाय के साथ ही दर्जनभर वोकेशनल कोर्स भी संचालित हो रहे हैं। नैक से ग्रेड ए प्राप्त करने वाला यह बीआरए बिहार विश्वविद्यालय का इकलौता कालेज भी है। प्राचार्य डा.ओमप्रकाश राय बताते हैं कि कालेज अपनी पुरानी विरासत को प्राप्त करने के लिए प्रयास कर रहा है। यहां के छात्र-शिक्षक देशभर में परचम लहरा रहे हैं।
आजादी के आंदोलन में राजनीति का मुख्य गढ़ रहा
आजादी के आंदोलन में एलएस कालेज राजनीति का मुख्य गढ़ हुआ करता था। 1942 में अगस्त क्रांति से ठीक एक महीने पूर्व यहां आइईएस डा.हरिचांद प्राचार्य बनकर आए थे। उस समय कालेज में अनेक छात्र-छात्राआं ने देशभक्ति के उदात्त भवों से प्रेरित होकर अगस्त क्रांति की उफनती ज्वालाओं में खुद को झोंक दिया था। इसी आंदोलन से निकलने के बाद वे प्रदेश और देश के नेता भी बने। तिरहुत प्रक्षेत्र के श्याम नंदन मिश्र, रामसागर शाही, रामदेव वर्मा, ललितेश्वर प्रसाद शाही, त्रिवेणी प्रसाद ङ्क्षसह व भुवनेश्वर चौधरी के नाम उल्लेखनीय हैं। देश की आजादी से लेकर पुनर्निर्माण तक में इनकी भूमिका रही। 1942 में ही देशभर में शुरू हुए भारत छोड़ो आंदोलन में यहां के विद्यार्थियों ने बड़ी भूमिका निभाई थी। कालेज से आंदोलनकारियों के जुड़ाव की जानकारी मिलने के बाद ब्रिटिश सरकार ने कालेज के ड्यूक और लंगट छात्रावास को खाली करवाकर यहां गोरी फौज का अस्थायी आवास बना दिया था।
Source: Dainik Jagran
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