निर्यात को तैयार मुजफ्फरपुर की शाही लीची को पहली बार राज्य से फाइटोसेनेटरी सर्टिफिकेट मिल गया। इसी के साथ राज्य में यह सुविधा शुरू हो गई। लीची दुबई भेजी जा रही है। वहां अब वह ‘बिहार की लीची’ के नाम से जानी जाएगी। दूसरे कृषि उत्पादों का निर्यात भी आसान हो गया।

निर्यातकों को फाइटोसेनेटरी सर्टिफिकेट के लिए अब दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। लिहाजा अब यहां से कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा। इसी के साथ सोमवार को शाही लीची का एक लॉट लंदन भी गया। यह लॉट एपीडा के सहयोग से लंदन गया। कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने इस पर प्रसन्नाता जताई है। साथ ही उम्मीद है कि अब बिहार से निर्यात बढ़ेगा।

यह सुविधा बिहार में शुरू होने से राज्य से निर्यात होने वाला हर उत्पाद विदेशों में भी बिहार के नाम से ही जाना जा सकेगा। लिहाजा, वहां से ऑडर भी बिहारी निर्यातकों को मिलेंगे। पहले बिहार के उत्पाद भी कोलकाता से यह सर्टिफिकेट लेकर भेजे जाते थे। लिहाजा उन उत्पादों के लिए विदेशी ऑडर भी बंगाल को ही मिलते थे। क्योंकि वहां वह उत्पाद ‘बंगाली उत्पाद’ के नाम से प्रचलित होते थे।

कृषि सचिव डॉ. एन सरवण कुमार शुरू से ही यह सुविधा पाने के लिए प्रयासरत थे। इस प्रमाण पत्र के लिए जरूरी सभी यंत्र बिहार में पहले से मौजूद थे। लिहाजा उनके लगातार प्रयास के बाद केन्द्र सरकार ने 19 मार्च को सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार दे दिया। इसका लॉगिन आईडी भी जारी कर दिया है।

किसी भी कृषि उत्पाद के निर्यात के लिए फाइटोसेनिटरी सर्टिफिकेट जरूरी होता है। बिहार सरकार को यह अधिकार नहीं होने कि कारण निर्यातक को पहले कोलकाता या मुंबई से यह प्रमाण पत्र लेना होता था। जांच के लिए उत्पाद को वहां ले जाना कठिन समस्या थी। लिहाजा निर्यातक बिहार के उत्पादों में रुचि नहीं ले रहे थे। समस्या देख कृषि सचिव कुमार ने गत वर्ष ही पौधा संरक्षण विभाग को केन्द्र से लॉगिन आईडी लेने कि लिए अनुरोध करने को कहा था। तब से राज्य के अधिकारी लगातार पत्र लिखते रहे, लेकिन केन्द्र के अधिकारी इसमें रूचि नहीं ले रहे थे। 18 मार्च को कृषि सचिव ने सभी पत्रों का हवाला देते हुए खुद पत्र लिखा और बिहार के किसानों की समस्या से अवगत कराया तो तुरंत कार्रवाई हो गई।

सर्टिफिकेट देने के पहले अधिकारी देखते हैं कि उत्पाद में कोई ऐसी कीट तो नहीं है, जो निर्यात वाले देश के लिए हानिकारक हो या फिर आयात करने वाले देश में प्रतिबंधित हो। अगर सबकुछ आयात करने वाले देश के अनुकूल हुआ तो निर्यातक को उत्पाद उस देश में भेजने का सर्टिफिकेट मिल जाता है। अलग-अलग देश की जरूरत के अनुसार हर कंसाइनमेंट की अलग जांच होती है।

Input: live hindustan

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