पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मंगलवार दोपहर पंचतत्व में विलीन हो गए। मुखर्जी का अंतिम संस्कार दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। ‘कोरोना काल’ की वजह से श्मशान घाट पर पूर्व राष्ट्रपति का परिवार और रिश्तेदार पीपीई किट में मौजूद रहा।

मुखर्जी का सोमवार की शाम सेना के दिल्ली स्थित रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया था। वह 84 वर्ष के थे। उन्हें गत 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसी दिन उनके मस्तिष्क की सर्जरी की गई थी। इस दौरान, उनकी कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी।

पूर्व राष्ट्रपति के निधन के बाद, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने मंगलवार को उनके अंतिम दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को उनके सरकारी निवास 10, राजाजी मार्ग लाया गया था।

मुखर्जी को श्रद्धांजलि देने वालों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और हर्ष वर्धन, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी आदि शामिल थे।

वहीं, केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर 31 अगस्त से छह सितंबर तक सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे। लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे मुखर्जी सात बार सांसद भी रहे। बीजेपी-नीत केंद्र सरकार ने साल 2019 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा था।

पश्चिम बंगाल में जन्में इस राजनीतिज्ञ को चलता-फिरता ‘इनसाइक्लोपीडिया’ कहा जाता था और हर कोई उनकी याददाश्त क्षमता, तीक्ष्ण बुद्धि और मुद्दों की गहरी समझ का मुरीद था। मुखर्जी भारत के एकमात्र ऐसे नेता थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर न रहते हुए भी आठ वर्षों तक लोकसभा के नेता रहे। वे 1980 से 1985 के बीच राज्यसभा में भी कांग्रेस पार्टी के नेता रहे।

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