नालंदा. सरकार द्वारा संचालित स्कूलों की शिक्षा और स्वच्छता व्यवस्था अक्सर सवालों में रहती है. खासकर जिला मुख्यालयों से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालत और भी बुरी रहती है. लेकिन, इस मिथक को नालंदा जिले के गिरियक प्रखंड में पोखरपुर स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय तोड़ रहा है और लोगों का सरकारी स्कूलों के प्रति नजरिया बदल रहा है.

प्राइवेट स्कूलों को भी हर क्षेत्र में मात दे रहा है नालंदा का यह सरकारी विद्यालय

दरअसल पोखरपुर का यह सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों से भी हर मामले में बेहतर है और वह भी कम संसधानों में. यहां के स्टूडेंट्स  इंग्लिश, हिंदी और संस्कृत भी फर्राटेदार बोलते हैं. निजी विद्यालयों की तरह ही बच्चों के ड्रेस कोड होते हैं और अनुशासन के मामले में भी ये अव्वल साबित हो रहा है.

ड्रेस कोड में आना, अच्छी पढ़ाई करना, स्कूल में लाइब्रेरी, खेलकूद समेत अन्य पठन-पाठन के कार्य यहां छात्रों के प्रतिदिन की दिनचर्या है. इस स्कूल की पढ़ाई इतनी अच्छी है कि पिछले छह सालों में 64 बच्चे सिमुलतला व नवोदय समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए चयनित हुए हैं.

नालंदा के इस स्कूल के अध्यापक भी निजी स्कूलों की तरह ही एप्रोच रखते हैं.

पास के इलाके के निजी स्कूलों के लिए यह सरकारी स्कूल अब चुनौती बन गया है. दरअसल अच्छी पढ़ाई और व्यवस्था की वजह से अभिभावक निजी स्कूलों से अपने बच्चों का नाम कटवाकर यहां दाखिला ले रहे हैं. हालांकि सीट व शिक्षक कम रहने के कारण नामांकन कम हो पा रहा है.

प्रधानाध्यापक आलोक कुमार ने बताया कि इस विद्यालय में कुल 313 स्टूडेंट्स हैं. जिसमे 121 छात्र व 192 छात्रा को पढ़ाने के लिए 15 शिक्षक व शिक्षिका भी हैं. उन्होंने बताया कि कई बार राष्ट्रपति अवार्ड के लिए नाम भी मांगा जा चुका है.

Input : News18

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