राज्य ब्यूरो, पटना : मौसम की मार से त्रस्त किसानों को राज्य सरकार बड़ी राहत देने जा रही है। कृषि विभाग ने बाढ़ एवं बारिश के कारण परती रह गई खेती योग्य जमीन पर मुआवजा देने का निर्णय किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद ऐसा पहली बार होने जा रहा है। परती जमीन पर मुआवजा के लिए 17 जिलों को शामिल किया गया है। ये ऐसे जिले हैं, जहां किसान पिछले तीन बार से फसल लगाते आ रहे हैं, लेकिन इस बार जमीन परती रह गई है। वहीं बाढ़ या अतिवृष्टि के कारण नष्ट हुई फसलों की भरपाई के लिए 30 जिलों के किसानों को इनपुट अनुदान देने का फैसला किया है। परती भूमि के लिए छह हजार आठ सौ रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा मिलेगा। अनुदान प्रति किसान अधिकतम दो हेक्टेयर के लिए देय होगा। न्यूनतम एक हजार रुपये अनुदान दिया जाएगा।
17 जिलों में परती जमीन पर मुआवजा : मुजफ्फरपुर, नालंदा, बक्सर, सारण, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, सहरसा, अररिया और कटिहार में विभिन्न कारणों से बड़े क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि परती भी रह गई है।
ऐसा होगा मापदंड
फसल क्षति के लिए असिंचित क्षेत्र में छह हजार आठ सौ रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित के लिए 13 हजार पांच सौ रुपये प्रति हेक्टेयर और शाश्वत फसल (गन्ना सहित) के लिए 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से कृषि इनपुट अनुदान दिया जाएगा। अनुदान सभी प्रभावित रैयत एवं गैर रैयत किसान को देय होगा।
इन जिलों में अतिवृष्टि
मुजफ्फरपुर, पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, भभुआ, गया, जहानाबाद, सारण, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, खगड़िया, भागलपुर, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया और कटिहार।
सरकार मुसीबत की घड़ी में किसानों के साथ खड़ी है। परती रह गए खेतों के लिए किसानों को सरकार हरसंभव सहायता देगी। फसल क्षतिपूर्ति में राशि की कमी को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। सरकार के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का है। – अमरेंद्र प्रताप सिंह, कृषि मंत्री, बिहार
Source : Dainik Jagran
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