मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में उम्रकैद की सजा काट रहे मुख्य दोषी ब्रजेश ठाकुर ने निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। दिल्ली के साकेत कोर्ट ने 11 फरवरी 2020 को ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोग को दोषी करार दिया था। अधिवक्ता निशांक मत्तो के माध्यम से दायर चुनौती याचिका में ब्रजेश ठाकुर ने कहा कि साकेत कोर्ट ने जल्दबाजी में सुनवाई की और यह उनके निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन है। उसने दावा किया कि निचली अदालत ने पक्षपातपूर्ण तरीके से सजा का फैसला सुनाया। दुष्कर्म के मामले में पोटेंसी टेस्ट मूलभूत तथ्यों में से एक है, लेकिन बिहार पुलिस से लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी तक ने ब्रजेश का पोटेंसी टेस्ट नहीं कराया।
अपील याचिका में कहा गया कि निचली अदालत यह तथ्य देखने में नाकाम रहा कि दुष्कर्म के मामले में अभियोजन को सबसे यह स्थापित करना अनिवार्य है कि आरोपित पोटेंट (जनन-क्षमता) है और उक्त आरोप को करने की क्षमता रखता है। गौरतलब है कि ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ बालिका गृह की आधा दर्जन लड़कियों ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था।