मिर्जापुर का नया सीज़न निराश करने वाला है. समाज में ब्राह्मण विरोध और बिहार के प्रति पूर्वाग्रह सोच को बल देने वाले सभी डायलॉग मिर्ज़ापुर के नये सीजन में देखने को मिल जायेगा. मिर्जापुर के नये सीजन के पांचवा एपिसोड जिसका नाम लगड़ा रखा है. इसमे डायलॉग के माध्यम से भरपूर जातिवादी टिप्पणी की कई गयी है.

पांचवे एपिसोड के आख़री सीन में अखंडानंद त्रिपाठी के पिता कहते है कि समाज में जाति व्यवस्था इसलिये बनायी गयी ताकि सारा पावर ब्राह्मणों के हाथों में रहे. इसके साथ- साथ जोधा अकबर फ़िल्म के बाबत से राजपूत समाज पर भी टिप्पणी करते है. मिर्जापुर के लेखक और निर्माता इस नये सीजन के माध्यम से अपनी घटिया सोच का परिचय देते है. इस सीरीज़ के कई डायलॉग से आपकों लगेगा कि इसका उद्देश्य एक खास विचार के लोगों को केंद्रित है.

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बिहार के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित लेखक ने मिर्जापुर के नये सीज़न के माध्यम से बिहार के पिछड़ेपन का मज़ाक बनाने के साथ- साथ बिहार की मनगढ़ंत आपराधिक छवि पेश कर देश के सामने बिहार को अराजक और गुंडा राज वाला प्रदेश दिखाने का नीच प्रयास किया है, ऐसा लगता है कि बिहार के प्रति हीन भावना रखने वाले निर्माता और लेखक ने इस फ़िल्म को किसी ख़ास एजेंडा के तहत बनाया है.

मिर्जापुर के नए सीजन में जबरदस्ती जातिवादी एजेंडा को घुसाया गया है और साथ ही बिहार को आज के दौर में बहुत पीछे दिखाने का भी प्रयास है.

फ़िल्म की कहानी काल्पनिक है इसलिये बिहार का ग़लत चित्रण करना शायद आप हज़म कर भी लीजिये लेक़िन जबरदस्ती जाति विशेष को लेकर डायलॉग बोलना एक एजेंडा का हिस्सा लगता है जिसका उद्देश्य समाज में जात विशेष के प्रति नफऱत का भाव पैदा करना है.

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मिर्जापुर जैसे प्रसिद्ध वेब सीरीज़ के माध्यम से ब्राह्मण के प्रति जो दूषित डायलॉग दिया गया है, इससे एक समुदाय विशेष आहत है. ऐसा डायलॉग और बिहार के प्रति पूर्वाग्रह से शिकार मिर्जापुर के टीम को पुनः विचार कर इस सीन को सीरीज़ से जल्द हटाना चाहिये.

अगर पुराने सीजन के तुलना में हम नये सीजन की बात करें तो यह नया सीजन बोरिंग है. अगर आपने यह सिरीज अब-तक नहीं देखा है तो आपको बता दे की पिछले सीजन के तुलना में इस सीजन में ऐसी कोई विशेषता नहीं है, जिस कारण इसे देखी जाए फिर भी अगर आप फुर्सत में है तो टाइम-पास के लिये देख सकते है.

पूर्वांचल की कहानी बताने वाले इस सीरीज के पूर्वाग्रह से ग्रसित निर्माता को पूर्वांचल की विशेषता- लोक कला और संस्कृति नहीं दिखती. अगर दिखती तो थोड़ा सा जगह यहां के लोक- गीत और अन्य चीज़ो को भी देते.

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...