बिहार में पिछले एक महीने से निरंतर हो रही बारिश, बाढ़ और उससे उत्पन्न जल प्लावन के कारण उत्तर बिहार के अधिकतर जिलों में मछली पालन उद्योग को खासा नुकसान पहुंचा है। मछलियां बाढ़ में बह जाने से 4000 करोड़ रुपए की क्षति का अनुमान है। दरभंगा, मधुबनी, गोपालगंज, सुपौल, सीतामढ़ी, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण आदि जिलों में मछली पालन उद्योग को काफी नुकसान पहुंचा है।

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आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक राज्य में करीब तीस लाख मछली पालक परिवार इस बाढ़ और जल प्लावन से प्रभावित हुए हैं। अब तक करीब दो लाख टन मछलियों के नुकसान होने का आकलन है। वैसे राज्य सरकार सभी प्रभावित जिलों में अपने स्तर से सर्वे कराकर क्षति का आकलन करेगी। सरकार ने प्रभावित मछुआरों को मदद करने का भी निर्णय लिया है। मत्स्य जीवी समितियों के मुताबिक इस बार गत वर्षों के मुकाबले अधिक क्षति हुई है। मत्स्य बीज उत्पादक, हेचरी आदि सभी प्रकार के मछलीपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों में अधिकतर तालाबों और पोखरों से मछलियां बह गई हैं। मछलीपालन एवं इसके कारोबार से जुड़े करीब 30 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं। बाढ़ के कारण करीब दो लाख टन मछलियों की क्षति का अनुमान है। इसकी अनुमानित कीमत चार हजार करोड़ रुपए बताई जाती है। बाढ़ से मखाना और सिंघाड़ा उत्पादन के कारोबार को नुकसान पहुंचा है।

कैसे हुआ नुकसान
भारी बारिश और तेज जलभराव से सारे तालाब, पोखर भर गए। फिर उफनती नदियों की धार से मछलियां बाहर बह गईं।

तालाब-पोखरों की संख्या
बाढ़ से मछली पालन वाले करीब 20 हजार तालाब और पोखरों को नुकसान पहुंचा है। इनमें सर्वाधिक दरभंगा जिले के 2347 पोखरे, समस्तीपुर में 1192 ,मुजफ्फरपुर में 1552, सीवान 1111, वैशाली में 898 वैसे पोखर हैं, जिनकी बंदोबस्ती हो चुकी है। पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, वैशाली, छपरा, सिवान से लेकर सुपौल, सहरसा समेत कोसी क्षेत्र व कुल डेढ़ दर्जन जिलों में बाढ़ से अधिकांश तालाबों की मछलियां बह गईं।

क्या कहता है संघ
इस साल आई बाढ़ से 22 जिले प्रभावित हुए हैं । वहां पर करीब तीन लाख टन मछलियों को नुकसान पहुंचा।  इसकी अनुमानित कीमत पांच हजार करोड़ रुपए होती है। कहा कि मछलियों के प्रजनन का यही सीजन होता है और इसी सीजन पर मछलियों के अंडे आदि बह गए। बीमा नहीं होने के कारण मछुआरों का काफी नुकसान हुआ है। – ऋषि देव कश्यप, बिहार राज्य मत्स्य जीवी सहकारी संघ  

क्या कहते हैं मंत्री
बाढ़ आने के कारण मछलियां बह गईं। तालाब में गाद भी भर गए हैं। करीब एक दर्जन जिले प्रभावित हैं। मत्स्य जीवी समितियों के माध्यम से सर्वे कराकर नुकसान का आकलन किया जाएगा। आपदा प्रबंधन के नियमों के तहत पीड़ित मछुआरों की पूरी मदद की जाएगी। बाढ़ से कितने प्रखंड के कितने तालाबों को नुकसान पहुंचा है , इसका आकलन करा कर मछुआरा समाज को मदद दी जाएगी। – प्रेम कुमार, पशुपालन मंत्री
 

Input : Hindustan

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