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बिहार : मोबाइल पर पब्जी खेल रहे किशोर बेटे को मां-बाप ने डांटा तो गुस्से में फं’दा लगा दे दी जा’न
भागलपुर में हबीबपुर थाना क्षेत्र के दाउदबॉट मोहल्ले में मोबाइल पर पब्जी खेल रहे किशोर बेटे को मां-बाप ने डांटा तो इकलौते किशोर बेटे ने गले में फं’दा डालकर खुद’कुशी कर ली। अधिवक्ता रामविलास यादव का इकलौता बेटा पियूष कुमार इसी साल प्रथम श्रेणी से इंटर की परीक्षा पास की थी। घ’टना की सूचना मिलने पर पुलिस दाउदबॉट पहुंचकर घट’ना की जांचकर श’व को कब्जे में ले लिया। यूडी रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने श’व को पोस्ट’मार्टम के लिए भेज दिया।
सजौर थाने के रतनगंज गांव के अधिवक्ता राम विलास यादव कुछ साल पहले दाउदबॉट में जमीन खरीदकर मकान बनाए थे। पत्नी बेबी भारती और बेटा-बेटा के साथ रहते थे। पत्नी घर पर ही सिलाई सेंटर चलाती है। पांच से अधिवक्ता को लकवा मार देने के बाद से वह घर में ही रहते हैं। परिवार वालों का कहना है कि इंटर परीक्षा के बाद पियूष दिनभर मोबाइल पर पवजी गेम खेलते रहता था। खाने और सोने की भी उसे चिंता नहीं थी। गुरुवार रात छत पर गेम खेल रहा था। मां ने कई बार आवाज लगाकर खाने के लिए बुलाई लेकिन वह नहीं आ रहा था। कह रहा था मूड ठीक नहीं है। टेंशन में हूं। मां के डांटने के बाद पिता ने भी बेटे को फटकार लगाई। उसके बाद वह कमरे में बंद हो गया। सुसाइड नोट लिखकर गले में गमछा बांधकर पंखे से लटक गया। सुबह घटना की जानकारी मिलने पर घर में कोहराम मच गया। हबीबपुर पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया। पोस्टमार्टम हाउस में सुसाइडल नोट मिला।
स्वभाव से जिद्दी स्वभाव का था पियूष
भागलपुर। परिवार वालों के मुताबिक पियूष स्वभाव से जिद्दी था। पढ़ाई भी करता था तो उसे खाने-पीने की चिंता नहीं रहती थी। पढ़ने में बहुत तेज था। मैट्रिक और इंटर प्रथम श्रेणी से पास किया था। बहन रेशम भारती की शादी हो चुकी है। घर में पियूष मां-पिता के साथ रहता था। पार्ट वन में नामांकन के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। मां-पिता को बेटे के अफसर बनने का सपना था लेकिन पता नहीं था कि जिद्दी स्वभाव के पियूष को डांटना महंगा पड़ जाएगा।
इकलौते पियूष की मौत से मचा कोहराम
भागलपुर। इकलौते पियूष की मौत से घर में कोहराम मच गया। मोहल्ले के लोगों की घर पर भीड़ जुट गई। रिश्तेदार भी गोड्डा और बांका से घर पहुंचे। इकलौते बेटे की मौत से मां-पिता का बुरा हाल हो गया था। मां बार-बार बेटे को वापस लाने की रट लगा रही थी। मामा अमन कुमार ने कहा कि उम्मीद नहीं थी कि भांजा इतना कठोर कदम उठा लेगा। वह काफी समझदार लड़का था। एएसआई अजय कुमार ने परिवार वालों को समझा बुझाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
सुसाइड नोट में जताई नाराजगी
भागलपुर। पियूष ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं पूरे होशो हवास में सुसाइड करने जा रहा हूं। इसके पीछे किसी का कोई हाथ नहीं है। इसका पूरी तरह से मैं जिम्मेदार हूं।बस एक बात सभी माताओं और पिताओं से कहना चाहता हूं कि अपने बच्चों पर कभी किसी चीज का दवाब न डाले। इससे बच्चे अच्छे नहीं और खराब हरो जाते हैं। शायद यह बात मेरी मां नहीं समझ पाई।
एसएसपी ने अभिभावकों से की अपील
भागलपुर। एसएसपी आशीष भारती ने कहा कि पियूष पवजी गेम में डूब गया था। एक सैनिक के शहीद होने से वह दुखी था। गेम के तनाव में आकर उसने खुदकुशी कर ली है। उन्होंने अभिभावकों से अपील किया कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखे। ज्यादा गेम न खेलने दें। बच्चे मोबाइल के आदि हो गए हैं तो उन्हें प्यार से समझाए। गेम देखकर या छोटी सी बात को लेकर कठोर कदम न उइाए।
Input : Hindustan
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बिहार की लड़की की मदद के लिए आगे आए सोनू सूद, कहा- ‘सामान बांधिए प्रियांशु, नई शुरुआत करते हैं

अभिनेता सोनू सूद ने एक बार फिर से अपनी दरियादिली दिखाई है. इस बार सोनू सूद सीवान के जीरादेई प्रखंड के बनथू श्री राम गांव की रहने वाली प्रियांशु के मदद के लिए आगे आए हैं. प्रियांशु की खबर मीडिया में चलने के बाद सोनू सूद ने ट्विटर के माध्यम से इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने लिखा की “चलिए अब दोनो पैरों से नई शुरुआत करें. सामान बंधिए प्रियांशु” हालांकि प्रियांशु के परिजनों को इस ट्वीट की खबर नहीं थी.
एक किलोमीटर चलकर जाती है स्कूल
दरअसल प्रियांशु दिव्यांग है जिस कारण से उसे स्कूल जानें में परेशानी होती है. प्रियांशु हर दिन एक किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ाई करने के लिए स्कूल जाती है. प्रियांशु ने मीडिया में उसकी खबर आने के बाद बताया था की स्कूल जाने के लिए अच्छी सड़क नहीं है. अगर उसे कृत्रिम अंग मिल जाए तो वह चल कर स्कूल जा सकती है. मीडिया में यह खबर आने के बाद जिलाधिकारी ने गंभीरता दिखाते हुए बिहार राज्य शिक्षा परियोजना के तहत बैसाखी और ट्राईसाइकिल उपलब्ध कराया.
कम उम्र में हो गई थी हादसे का शिकार
प्रियांशु बहुत ही कम उम्र में एक हादसे का शिकार हो गई थी. उस हादसे में प्रियांशु ने अपना बायां पैर गंवा दिया था. लेकिन उसने अपना हौसला नहीं खोया और प्रतिदिन एक पैर से चलकर दो किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए स्कूल जाती है. वह बनथू श्री राम गांव के ही एक स्कूल में कक्षा पांचवी में पढ़ती है. प्रियांशु के शिक्षक भी दिव्यांग हैं और उन्होंने अपनी देखरेख में ही प्रियांशु का नि: शुल्क नामांकन करवाया है.
परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं
प्रियांशु के परिवार के पास जब मदद की खबर पहुंची तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्हें उम्मीद जगी है कि अब आने वाले समय में 11 साल की प्रियांशु अपने दोनों पैरो से चल सकेगी. प्रियांशु के एक पैर से स्कूल जाने का वीडियो सामने आने के बाद कई लोगों ने सोनू सूद से मदद करने के लिए कहा था. और सोनू सूद मदद करने के लिए आगे भी आयें.
Source : Prabhat Khabar
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चुपके से आई यूपी की पुलिस टीम, बिहार से ले गई तीन युवकों को

यूपी के लखनऊ में एक हत्याकांड में संलिप्तता पाए जाने के बाद एसआइटी (यूपी) की टीम ने बड़हरिया थाना क्षेत्र के अटखंबा गांव में शनिवार की सुबह तीन युवकों को गुपचुप तरीके से दबोच लिया और उन्हें अपने साथ लेकर यूपी चली गई। एसआइटी टीम में एक जवान पुलिस के वेश में था जबकि शेष सादे लिबास में थे। तीनों युवकों को हिरासत में लेकर जाने के बाद गांव में हड़कंप मच गया। गांव में चर्चाओं का बाजार गर्म था। वहीं स्वजन इस मामले में पुलिस कुछ भी नहीं बताए जाने को लेकर चिंतित हो गए।
यूपी की एसआइटी टीम आई थी बिहार
मामले में एसपी शैलेश कुमार सिन्हा ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि यूपी की एसआइटी टीम ने संपर्क किया था तीनों युवकों को पूछताछ के लिए टीम अपने साथ हिरासत में लेकर गई है। इधर घटना की सूचना जैसे ही बड़हरिया थानाध्यक्ष को हुई वह मौके पर पहुंचा कर जांच में जुट गए। गांव में लगे सीसी कैमरा की मदद से उन्होंने सभी की पहचान की। थानाध्यक्ष ने बताया कि बड़हरिया थाना क्षेत्र के अटखंमबा गांव के तीन लड़कों को सिविल ड्रेस में आई यूपी पुलिस अपने साथ लेकर चली गई। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि पांच लोग सिविल ड्रेस में और एक पुलिस की वर्दी में थे। प्रारंभिक जानकारी मिली है कि लखनऊ में कुछ माह पहले किसी की हत्या हुई थी और उसी संदर्भ में तीनों की संलिप्तता पाई गई है। इसमे दो सगे भाई भी शामिल हैं। यूपी पुलिस ने जिन तीन युवकों को उठाया है उसमें मंजर इकबाल, काशिफ हसन व सरफराज अहमद शामिल है।
यूपी एसआइटी टीम ने पहले मंजर को पकड़ा
थानाध्यक्ष ने बताया कि फुटेज देखने से यह प्रतीत हो रहा था कि सभी यूपी की एसआइटी टीम के सदस्य थे। टीम ने पहले मंजर को पकड़ा इसके बाद सौ मीटर की दूरी पर मौजूद दोनों भाई काशिफ एवं सरफराज को पकड़ा लिया। दोनों भाई अलीगढ़ में हाफिज की पढ़ाई करते थे। लाकडाउन के समय से सिवान में थे। वहीं मंजर नोएडा में बीटेक करता है। चार दिन पूर्व सिवान आया था। बताया कि दोनों भाई पर अलीगढ़ में केस भी है। कहते हैं अधिकारी मामले में पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार सिन्हा बताया कि लखनऊ पुलिस आई थी। उन तीनों को लखनऊ के किसी मर्डर केस के सिलसिले में संलिप्तता पाए जाने पर अपने साथ लेकर गई है।
Source : Dainik Jagran
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बिहार : मां ने दी बेटी को मुखाग्नि, ससुराल में संदिग्ध मौत के बाद खुद ही किया अंतिम संस्कार

गया में पहली बार एक मां ने अपनी शादीशुदा बेटी को मुखाग्नि दी। मोक्ष नगरी गयाजी के विष्णुपद स्थित श्मशान घाट पर दिल्ली में रहने वाली सावित्री देवी ने शुक्रवार की देर शाम अपनी बेटी सपना को मुखाग्नि दी। बेटी की ससुराल वालों ने हत्या कर दी थी। उसकी 3 साल की बेटी रस्म पूरा नहीं कर सकती थी तो मां ने जिम्मेदारी ली।
सपना के पिता की मृत्यु 8 साल पहले हो चुकी है। उसकी मां ने उसकी शादी करवाई थी।
6 साल पहले की थी बेटी की शादी
विष्णुपद थाना क्षेत्र के चांदचौरा मोहल्ले के रहने वाले हेमंत चौधरी उर्फ डब्बू चौधरी की शादी 6 साल पहले सपना चौधरी से हुई थी। सपना की मौत गुरुवार को हो गई थी। पुलिस ने उसके शव को हेमंत के घर से बरामद किया था।
सपना के गले में गहरे नीले निशान थे और बदन पर भी कई जगह चोट के निशान भी थे। बताया जा रहा है कि पति-पत्नी के बीच एक-दूसरे की केयर ना करने और मायके वालों के हस्ताक्षेप को लेकर बीते दो वर्ष से अनबन चल रही थी। सपना की मौत के समय उसकी 3 साल की बच्ची दूसरे कमरे में सो रही थी। सपना के मारे जाने की भनक उसकी मां जो दिल्ली में रहते ही उसे लग गई।
मां के बयान पर पति हुआ गिरफ्तार
सावित्री देवी ने अपनी बेटी की हत्या का आरोप उसके ससुराल वालों पर लगाया है। जिस पर कार्रवाई करते पुलिस ने दामाद हेमंत को गिरफ्तार कर लिया है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। इस बीच दिल्ली से मृतका की मां सावित्री देवी भी गया पहुंच गईं। शव के पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शुक्रवार को शव परिजनों को सौंपना चाहा तो मायके और ससुराल पक्ष के बीच शव को लेने और दाह संस्कार के लिए बहस शुरू हो गई।
बिना सिले हुए कपड़ों में बेटी को दी मुखाग्नि
अंत में मोहल्ले वालों के हस्तक्षेप के बाद शव, मृतका की मां को सौंप दिया गया। विधिवत तरीके से शव को श्मशान घाट लाया गया। जब मुखाग्नि देने की बात आई तो सावित्री ने आगे बढ़ कर कहा कि मुखाग्नि तो मैं ही दूंगी। यह सुनते ही वहां मौजूद ब्राह्मण व अन्य लोग एक क्षण के लिए चुप्पी साध गए, लेकिन दूसरे पल ही सावित्री को कहा गया कि आपके और भी बच्चे हैं।
उनसे मुखाग्नि दिलवा दीजिए, लेकिन सावित्री देवी नहीं मानीं। इसके बाद उन्हें बिना सिले हुए वस्त्र पहनाए गए और फिर विधिवत तरीके से अपनी बेटी को सावित्री देवी ने मुखाग्नि दी।
Source : Dainik Bhaskar
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