स्मृति शेष/कुमार हर्षवर्द्धन : बिहार के दिग्गज नेता रघुवंश बाबू नहीं रहे। वे अपनी मृत्यु से कुछ समय पूर्व तक वे राजद में थे लेकिन दो दिनों पूर्व पार्टी से नाता तोड़ लिया था। हालांकि में राजद वे उनका कद पार्टी सुप्रीमो के बराबर था बावजूद उनका सम्मान सभी दल के नेता करते थे। वे अपनी बात बड़े ही बेबाकी से जोरदार तरीके से रखने वाले नेता थे। कभी रघुवंश बाबू लालू प्रसाद के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाते रहे थे। दो दिन पहले जब उन्होंने पार्टी छोड़ने का एलान किया था तो लालू प्रसाद ने भावुक होकर उन्हें नहीं जाने की अपील की थी।

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रघुवंश बाबू का जीवन काफी सादगी भरा था। वे दिखावा पसन्द नहीं करते थे। उनकी आवाज जितनी बुलन्द थी अन्दर से वे उतने ही नरम थे। आम से लेकर खास कार्यकर्ता की भी पहुंच उन तक थी। उनके निधन से बिहार की राजनीति में एक बड़ी शून्यता आ गई, जिसकी भरपाई करना निकट भविष्य में फिलहाल तो नहीं दिख रहा।

रघवुंश बाबू करीब पांच दशक से सक्रिय राजनीति में रहे। राजद में वह सवर्ण चेहरा के रूप में स्थापित थे। राजपूत समुदाय से आने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह लालू प्रसाद की तरह ही देसी अंदाज में भाषण देने वाले वक्ता के रूप में चर्चित रहे।

फिजिक्‍स के प्रोफेसर थे

एक समय वे राजद में लालू प्रसाद यादव के बाद नंबर दो नेता माने जाते थे। फिजिक्‍स के प्रोफेसर रहे रघुवंश प्रसाद सिंह राजनीति में सादगी से रहते हैं। एक बार मंत्री के रूप में वह दिल्ली के कनॉट प्लेट में चले गये थे जहां दुकानदार उन्हें पहचान नहीं पाया था और एक सामान की अधिक कीमत ले ली थी।

वैशाली से 5 बार सांसद चुने गए

74 वर्षीय रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपना राजनीतिक सफर जेपी आंदोलन में शुरू किया। 1977 में वह पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर बिहार में कर्पूरी ठाकुर सरकार में मंत्री भी बने। वे वैशाली लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद रह चुके हैं। लेकिन इस बार वे अपने ही क्षेत्र से जदयू नेता से चुनाव हार गये थे।

देवेगौड़ा सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे थे

प्रोफेसर रहे रघुवंश प्रसाद का लालू प्रसाद से संबंध जेपी आंदोलन से रहा है और दोनों एक दूसरे के बेहद करीब भी रहे। जब 1990 में लालू प्रसाद मुख्यमंत्री बने तो रघुवंश प्रसाद सिंह को विधान पार्षद बनाया क्योंकि वह विधानसभा चुनाव हार चुके थे। जब एच डी देवेगौड़ा पीएम बने तो लालू प्रसाद ने उन्हें ग्रामीण विकास मंत्री बनवाया।

लालू के चुनाव हारने पर राष्ट्रीय पहचान मिली

रघुवंश प्रसाद सिंह की राष्ट्रीय राजनीति में पहचान अटल बिहारी वाजपेई सरकार के दौरान बतौर राजद नेता मिली। तब लालू प्रसाद बिहार के मधेपुरा से लोकसभा चुनाव हार गये थे। रघुवंश प्रसाद सिंह लोकसभा में पार्टी के नेता बने। सरकार को घेरने वाले सबसे प्रखर आवाज बने थे।

मुजफ्फरपुर जेल में उनसे मिला था

मुझे रघुवंश बाबू से मिलने का सौभाग्य मुजफ्फरपुर जेल में मिला, जब वे आपातकाल में मीसा के तहत बन्द थे। जेल में भी वे सभी के प्रिय थे। चाहे वह किसी भी संगठन से जुड़ा हो। क्योंकि सभी जेपी आंदोलनकारी ही थे।

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