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बेंगलुरू में आईफोन बनाने की यूनिट हुई शुरू, आईफोन होगा सस्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। Make In India के तहत भारत में पहली बार एप्पल के आईफोन बनना शुरू हुए हैं। दुनिया की प्रमुख मोबाइल कंपनी Apple ने भारत में iphone SE और iphone 6S के साथ ही iphone 7 का निर्माण शुरू किया है। एप्पल के इस फैसले से कई प्रमुख ग्लोबल टेक कंपनियों का भारत के प्रति विश्वास बढ़ेगा और वे आने वाले दिनों में भारत का रुख कर सकती हैं। आईफोन ने संकेत दिया है कि कंपनी भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में डेवलप करने की इच्छुक है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एप्पल ने कहा कि हमें गर्व है कि हम अपने स्थानीय ग्राहकों के लिए बेंगलुरू में आईफोन 7 बना रहे हैं। इससे भारत में हमारे दीर्घावधि प्रतिबद्धता और मजबूत हुई है। ताइवान की कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफेक्चरिंग कंपनी विस्टर्न बेंगलुरु में मार्च से आईफोन 7 डिवाइस बना रही है। विस्टर्न बेंगलुरू प्लांट में ही आईफोन एसई और आईफोन 6एस बनानी है। पूरे मामले से करीब से जुड़े लोग हालांकि इस संभावना को नकारते हैं कि भारत में आईफोन 7 बनाने से कीमतों में कमी आएगी। उनका कहना है कि भारत में विनिर्माण से जो बचत होगी उसका इस्तेमाल कंपनी आक्रामक बिक्री और मार्केटिंग में खर्च करेगी।
इससे पहले सरकार ने विस्टर्न को अपने विनिर्माण संयंत्र के विस्तार के लिए 5000 करोड़ रुपये निवेश करने की मंजूरी दी थी। इस निवेश का मकसद एप्पल की हाईएंड डिवाइस को भारत में ही तैयार करना है।
Input : Money Bhaskar
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नोबेल पुरस्कार से ज्यादा चर्चा में रहा अभिजीत और डुफ्लो का इंडियन लुक, जीत लिया दिल

पंजाबी स्टाइल का बंद गले का कोट और धोती, ये थाा नोबेल पुरस्कार ग्रहण करने वाले डॉक्टर विनायक बनर्जी आउटफिट। स्वीडन के स्टॉकहॉम कंसर्ट हॉल में मौजूद सभी पुरुष जहां सूट में थे वहीं भारतीय मूल के बनर्जी और नीली साड़ी पहने उनकी पत्नी इस्थर डुफ्लो अपनी इसी आउटफिट की वजह से यहां सबसे अलग दिखाई दे रहे थे। इस यादगार पल के वक्त बनर्जी की मां, उनके बेटे भाई समेत उनके कुछ दोस्त भी वहां पर मौजूद थे। इन दोनों के इस आउटफिट ने जहां कंसर्ट हॉल के लोगों को चौंकाया होगा वहीं हर भारतीय को गर्व करने का मौका भी दे दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि इस पोशाक ने बता दिया कि भारतीय कहीं भी रहें लेकिन अपनी मूल सभ्यता और संस्कृति का निर्वाहन करना नहीं भूलते।
Watch Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer receive their medals and diplomas at the #NobelPrize award ceremony today. Congratulations!
They were awarded the 2019 Prize in Economic Sciences “for their experimental approach to alleviating global poverty.” pic.twitter.com/c3ltP7EXcF
— The Nobel Prize (@NobelPrize) December 10, 2019
आपको बता दें कि इस मौके को यादगार बनाने के लिए हजारों किमी दूर कोलकाता की प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी ने एक थ्री डी वाल बनाई थी, जिसमें 1998 में अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अमर्त्य सेन और बनर्जी को दिखाया गया था। भारतीय मूल के प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी (Abhijit Vinayak Banerjee) और उनकी पत्नी डुफ्लो को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। आपको बता दें कि अभिजीत की मां भी अर्थशास्त्री हैं।
आपको जानकर हैरत हो सकती है लेकिन ये सच है कि अर्थशास्त्र में नोबेल पाने वाले अभिजीत का पसंदीदा विषय पहले मैथ्स हुआ करता था। ये सब्जेक्ट उनके दिल और दिमाग पर छाया हुआ था। ये भी कहा जा सकता है कि वो इसको लेकर काफी हद तक जुनूनी थे। यही वजह थी कि देश के प्रतिष्ठित आईएसआई (Prestigious Indian Statistical Institute) में एडमिशन लिया था। लेकिन कुछ दिन बाद ही उनका रुझान अर्थशास्त्र की तरफ हो गया और उन्होंने इस इंस्टिट्यूट को बाय-बाय कह दिया। उनकी मां झीमा अभिजीत को एक्सीडेंटल इकोनामिस्ट बताती हैं। जब बनर्जी को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा हुई थी तब उनकी मां ने भी बताया था कि वह मैथ्स में आगे जाना चाहते थे लेकिन फिर अचानक उन्होंने अपनी फील्ड बदल ली।
क्यों छोड़ा आईएसआई
अभिजीत का मैथ्स को छोड़कर अर्थशास्त्र की तरफ रुझान बढ़ने की एक वजह उनकी काफी ज्यादा ट्रेवलिंग थी। पहले पहल ये बात समझ में आना जरा मुश्किल है। लेकिन अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने ट्रेन से काफी यात्राएं की थीं। इस दौरान उन्होंने भारत को और यहां की अर्थव्यवस्था को काफी करीब से देखा और समझा। साथ ही उनके मन में इसकी वजह जानने और इसकी बारीकियां समझकर इसको दूर करने का ख्याल भी आया। यही वजह थी कि आईएसआई जैसे इंस्टिट्यूट में दाखिला लेने के बाद भी उन्होंने इसको छोड़कर प्रेसीडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र को चुना और इसी राह पर आगे बढ़ निकले।
अभिजीत ने नोबेल पुरस्कार पाते समय जो पोशाक पहनी वह भारत और भारतीयता के प्रति उनके गहरे लगाव को दर्शाती है। यह उनकी पसंद भी है। उन्हें ज्यादातर कुर्ता पहनने का शौक है। उनके दूसरे शौक में क्लासिकल म्यूजिक सुनना है। अक्सर खाल समय में वह यही सुनते हैं। इसके अलावा अभिजीत को स्पोर्ट्स में भी काफी दिलचस्पी है।समय मिलने पर वह क्रिकेट से लेकर टेबल टेनिस तक में हाथ आजमाने से नहीं चूकते हैं। इसके अलावा उन्हें खाना बनाना काफी पसंद है। बंगाली और मराठी खाना वो बहुत अच्छा बनाते हैं।
Abhijit Banerjee receives his nobel in desi swag. Ditches bow and tails, dons dhoti. pic.twitter.com/8aeOen4AOH
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) December 11, 2019
आपको बता दें कि 1983 में दिल्ली के जेएनयू में एडमिशन रिफॉर्म को लेकर जो प्रदर्शन हुए थे उनमें उन्हें जेल तक की हवा खानी पड़ी थी। इस दौरान वह करीब दस दिनों तक जेल में रहे थे। इसी वर्ष भारत के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के लिए न्याय योजना का अंतिम खाका तैयार किया था। इसको पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। अभिजीत और डुफ्लो द्वारा दिए गए गरीबी से निपटने के सिद्धांतों को कई देशों ने अपने यहां पर लागू भी किया है। इसका इन देशों को फायदा भी हुआ है। एस्थर डुफ्लो अर्थशास्त्र में नोबेल पाने वाली दुनिया की दूसरी महिला हैं। वहीं एस्थर और अभिजीत ऐसे छठे दंपत्ति हैं जिन्हें ये सम्मान मिला है।
He did it right. https://t.co/RIwcGXdQrX
— Avik (@Avikynwa) December 11, 2019
How good does he look! A Bengali man in a dhoti kurta at such a huge platform. Congratulations and thank you! #AbhijitBanerjee #NobelPrize https://t.co/izwFhIiQ0t
— Pashmi Dutta (@pashmidutta) December 11, 2019
Wow! Abhijit dressed for the occasion as Bengali bhadralok an Mrs Duflo, the second woman in sari (after mother Teresa) to receive nobel!
— GPR FIX (@gpr90662b) December 10, 2019
Dhoti & Saree is a swag ❣️#NobelPrize #AbhijitBanerjee https://t.co/FDP8TQuz89
— Abhijit Karande (@abhiasks) December 11, 2019
Every Indian will feel proud to see these pictures of #AbhijitBanerjee in ‘Dhoti’ and #EstherDuflo in ‘Sari’ at the Nobel award ceremony in Stockholm today. Thanks @iqbaldhali for giving us quick glimpse of the ceremony. Congratulations again. #NobelPrize pic.twitter.com/HsHVPFfWtk
— Ramesh Pandey IFS (@rameshpandeyifs) December 10, 2019
Abhijit Banerjee wearing Bengali dhoti to receive the Nobel is very, very cool https://t.co/Ign5l9KOHF
— Shivam Vij (@DilliDurAst) December 11, 2019
#AbhijitBanerjee
What a moment!!
When the whole India is forgetting its cultural value person like Abhijeet Banerjee is showing respect to India's tradition in the world stage.
Huge respect for this person🎉🎉🎉🎉🎉🎉 pic.twitter.com/TVLHQafkI5— Aishik Sinha (@SinhaAishik) December 11, 2019
Elegance.. a rare trait these days.. 🙂
Congratulations 🙂 #NobelPrize #AbhijitBanerjee https://t.co/7PufmTd9Gf
— Pankaj Gautam (@IAmPankajGautam) December 11, 2019
Fir bhi dil hai #Hindustani. Abhijit Banerjee, Esther Duflo today receive Nobel prize in Indian traditional attire. Pic: AFP. pic.twitter.com/8IPkrE9MhC
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) December 11, 2019
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तीन सूत्री माँग को लेकर हक-ए-हिंदुस्तान मोर्चा ने जिला अधिकारी को सौपा ज्ञापन

हक-ए-हिंदुस्तान मोर्चा ने तीन सूत्री माँगो को लेकर जिलाधिकारी,मुज़फ़्फ़रपुर को ज्ञापन सौंपा है.मोर्चा ने औराई- कटरा को चचरी मुक्त बनाने के साथ ही शहर को जाम से निजात दिलाने का मांग किया है.
मुज़फ़्फ़रपुर जिलाधिकारी को हक-ए-हिंदुस्तान मोर्चा ने तीन सूत्री मांग को लेकर ज्ञापन सौपा.मोर्चा ने औराई-कटरा को चचरी मुक्त बनाने के साथ ही ज़िले में अविध तरीके से चल रहे नर्सिंग होम ,जांच घर पर नकेल कसने का मांग किया है.इसके साथ ही मोर्चा ने शहर को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने की मांग की है.मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक तमन्ना हाशमी ने बताया कि पूर्व से इन मुद्दों को लेकर मोर्चा लगातार आंदोलन कर रही है.ज़िला प्रशासन जल्द ही इन तीन मुद्दों पर जल्द ही गंभीरता से विचार नही करेगी तो पूरे जिले में मोर्चा उग्र आंदोलन व आमरण अनशन करेगी.जिसकी जिम्मेदारी ज़िला प्रशासन की होगी.
गौरतलब है कि ज़िले के औराई और कटरा प्रखंड को चचरी मुक्त बनाने के लिए मोर्चा लगातार आंदोलन कर रही है.
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शपथ ग्रहण के बाद हिचकाेला खाते मंत्री ने जिस रूट पर राेड शाे किया था, वहां गड्ढे आज भी जस के तस

नगर विधायक सुरेश शर्मा ने जब सूबे के नगर विकास एवं आवास मंत्री पद की शपथ ली थी, ताे शहरवासियाें की उम्मीदें काफी बढ़ गई थी। शपथग्रहण के बाद पहली बार 2 अगस्त 2017 काे शहर में राेड शाे के दाैरान उन्हाेंने स्वयं भी स्मार्ट सिटी का सपना पूरा कराने का वादा किया था। जर्जर सड़काें व जलजमाव जैसी समस्याओं से निजात दिलाने की बात कही थी। उस दिन उनका स्वागत फकुली से ही शुरू हाे गया था। जिस मार्ग से उनका काफिला गुजरा, लाेगाें का अपार समर्थन मिला था। मंत्री खुली जिप्सी से हाथ जाेड़ कर लाेगाें का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। उस दिन मधाैल से रामदयालुनगर की ओर आगे बढ़ते ही मंत्री की जिप्सी गड्ढाें में हिचकाेले खाने लगी थी।
उसके 2 वर्ष 3 महीने और 25 दिन गुजर गए। आज भी मधाैल से रामदयालुनगर तक 1.9 किलाेमीटर की दूरी में सड़क व गड्ढे में फर्क करना मुश्किल है। शहर की अधिकतर सड़काें की स्थिति जस की तस बनी हुई है। बल्कि,और जर्जर हाे गई हैं। मधाैल-रामदयालुनगर समेत जवाहरलाल राेड, क्लब राेड, बेला राेड, मिठनपुरा- पक्कीसराय राेड समेत अधिकतर प्रमुख सड़काें में भी इतने गड्ढे बन गए हैं कि उन्हें गिनना मुश्किल है। कफेन से रामदयालुनगर तक की सड़क की स्थिति बेहद जर्जर है। जहां कई स्थानों पर 15 से 24 सेंटीमीटर तक गड्ढे हैं।
यह तस्वीर 2 अगस्त 2017 की है। नगर विकास मंत्री बनने के बाद पहली बार सुरेश शर्मा अपने शहर आए थे और रोड शो किया था।
NHAI का तर्क- वैसा संवेदक नहीं मिल रहा जाे 2 किमी रोड बनाए
NHAI का तर्क है कि उस स्टैंडर्ड का संवेदक नहीं मिल रहा है, जाे महज दाे किलाेमीटर सड़क बनाने में दिलचस्पी दिखाए। पांच बार पहले भी टेंडर निकाला गया। मानक के अनुसार किसी ठेकेदार ने टेंडर नहीं डाला। अब साढ़े 14 कराेड़ की लागत से 1.9 किलाे मीटर सड़क चाैड़ीकरण व मजबूतीकरण के साथ एक ब्रिज का टेंडर निकालने की प्रक्रिया चल रही है।
इधर, पूर्व विधायक विजेंद्र ने उठाए सवाल, कहा- 9 वर्षों में सुरेश शर्मा ने कुछ नहीं किया
पूर्व विधायक विजेंद्र चाैधरी का कहना है कि 2 साल क्या, सुरेश शर्मा ने ताे 9 वर्षाें में कुछ नहीं किया। नगर विधायक हाेने के साथ शहर के हाेकर वे शहर का विकास नहीं कर सके। उनके विधायक व मंत्री रहते किसी राेड का गड्ढा नहीं भरा गया। रामदयालुनगर-मधाैल राेड की दुर्दशा से मुजफ्फरपुर ही नहीं पूरे प्रदेश की छवि खराब हाे रही है। नेपाल से पटना जानेवाले जब रामदयालुनगर एनएच पर पहुंचते हैं ताे बिहार की काफी बुरी छवि बनती है।
मंत्री शर्मा बाेले- 15 दिसंबर तक मधाैल से रामदयालु तक जर्जर सड़क हाेगी माेटरेबल
नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि मधाैल से रामदयालुनगर तक जर्जर सड़क बनाने के लिए NHAI के प्राेजेक्ट डायरेक्टर से बात हुई है। उन्हाेंने टेंडर में किसी के शामिल नहीं हाेने के कारण फिर टेंडर निकालने की बात कही है। लेकिन, हमने उस प्रक्रिया में अधिक समय लगने के कारण तत्काल सड़क काे माेटरेबल करने के लिए बाेला है। हमारी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी से भी बात हुई है। विस का सत्र खत्म हाेने के बाद इस पर विशेष रूप से लगूंगा। 15 दिसंबर तक माेटरेबल कराने के प्रयास में जुटे हैं।
इनपुट : दैनिक भास्कर
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