मुजफ्फरपुर। एलएस कॉलेज में भोजपुरी में पीजी की पढ़ाई शुरू की जाएगी। इसको लेकर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय ने पत्र जारी कर दिया है। पत्र में कहा गया है कि 2016 और 2018 में हुई सीनेट और सिंडिकेट की बैठक में एलएस कॉलेज में भोजपुरी में पीजी की पढ़ाई के लिए अनुमति मिल गई थी।
भोजपुरी विभागाध्यक्ष डॉ.जयकांत सिंह जय ने बताया कि पीजी की पढ़ाई शुरू करने को लेकर बहुत पहले से प्रयास हो रहा था। इसी को लेकर राजभवन ने पत्र जारी किया है। च्वाइस बेस्ड पाठ्यक्रम के तहत पढ़ाई शुरू करने की बात कही गई है। जबकि, यह पाठ््यक्रम पहले ही विवि में जमा है। इसे जल्द ही उपलब्ध करा दिया जाएगा।
कई विवि में शिक्षक नहीं
बताया कि 1971 में कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई शुरू हुई थी। जानकारी के अनुसार वीकेएसयू, जय प्रकाश विवि और एनओयू में पढ़ाई होती है पर शिक्षक नहीं हैं। इन विश्वविद्यालयों में हिंदी के शिक्षक ही भोजपुरी में भी क्लास लेते हैं। वहीं एलएस कॉलेज में भोजपुरी के लिए प्राध्यापक की नियुक्ति है। ऐसे में कक्षाओं का संचालन बेहतर तरीके से हो पाएगा।
लेखनी से पेश कर रहे हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
वर्तमान समय में हिंदू अच्छे गजल लिखते हैं और सबसे अच्छी बात यह है कि पहले वे तालिम हासिल करते हैं और फिर अपनी लेखनी से ङ्क्षहदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हैं। नगमों में है चर्चा तेरा इसी का जीता जागता उदाहरण है। ये बातें बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में रविवार को आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में शिक्षाविद् डॉ.रिपूसूदन श्रीवास्तव ने कहीं।
उन्होंने कहा कि रामउचित पासवान की दोनों पुस्तकें समाज को दिशा प्रदान कर रहीं हैं। डॉ.महेंद्र मधुकर ने सात सुरों में तेरी अदा समेत दोनों रचनाओं की तारीफ की। कहा कि मंचासीन कवियों को साहित्य को बचाने के लिए पहल करनी पड़ेगी। वर्तमान समय में साहित्य के प्रति युवा पीढ़ी को जागरूक करना होगा। ताकि इसकी ऐतिहासिकता कायम रह सके।
डॉ.गजेंद्र कुमार ने अपनी पंक्तियों के माध्यम से वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य और राजनेताओं पर तंज कसा। अन्य वक्ताओं ने भी दोनों पुस्तकों की सराहना की। लेखक रामउचित पासवान ने सभी साहित्यकारों का धन्यवाद दिया। मौके पर डॉ.शिवदास पांडेय, डॉ.रामइकबाल शर्मा, कर्नल अजय कुमार राय, डॉ.अबुजर कमालुद्दीन, डॉ.ओपी राय समेत अन्य मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन राजेश चौधरी ने किया।
Input : Dainik Jagran