सावन के हर संडे को गंगाधाम से बाबाधाम तक दर्शनार्थियों का हुजूम देखने को मिलता है. गंगाधाम मतलब सुल्तानगंज, तो बाबाधाम मतलब देवघर. जी हां, मुजफ्फरपुर की कृष्णा रानी अब ‘कृष्णा बम’ बन गई हैं. सावन की हर सोमवारी को वे डाक बम के रूप में देवघर पहुंचकर बाबा पर जलाभिषेक करती हैं. वे 38 वर्षों से लगातार देवघर में बाबा को जलाभिषेक कर रही हैं.
रविवार को ही वो सुल्तानगंज पहुंचकर दोपहर लगभग ढाई-तीन बजे के आसपास उत्तरवाहिनी गंगा का जल भरती हैं और चल पड़ती हैं बाबा नगरिया. और उनके साथ चल पड़ता है भक्तों का हुजूम.
सुल्तानगंज से देवघर लगभग 108 किलोमीटर के बीच लोग उनके इंतजार में पलक पावड़े बिछाए रहते हैं. 68 वर्ष की उम्र में भी उनकी रफ्तार किसी से कम नहीं रहती है. उन्हें देखकर कितने कांवरिया उनकी ही रफ्तार में रम जाते हैं. भक्त बोल बम कहना भूल जाते हैं और ‘कृष्णा बम’ के जयघोष से इलाका गूंज उठता है.
पूरे कांवरिया पथ पर अब कृष्णा बम की खास पहचान बन गई है. वे सुल्तानगंज में जल भरने के बाद 12 से 14 घंटे में देवघर पहुंच जाती हैं. उनके दर्शन के लिए आधा घंटा पहले से कांवरिया मार्ग में दोनों तरफ लोग लाइन में लग जाते हैं और उनके दर्शन के लिए बेचैन रहते हैं. यहां तक कि उनके पैर छूने के लिए भी लोग लालायित रहते हैं.
हर जगह यह देखने को मिलता है, सुल्तानगंज, असरगंज, मासूमगंज, तारापुर, रामपुर नहर, कटोरिया, सुइया पहाड़ से लेकर दुम्मा व दशर्निया तक. खासकर सुल्तानगंज से रामपुर नहर तक तो उन्हें देखने के लिए जबर्दस्त भीड़ रहती है. चूंकि उस समय तक दिन ही रहता है. भगदड़ और किसी अन्य अनहोनी घटना से बचने के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार के द्वारा उन्हें कुछ वर्षों से पूरे कांवरिया पथ पर सुरक्षा भी मुहैया कराया जाता है.
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