मुजफ्फरपुर जिले के सरकारी और निजी अस्पतालाें में ब्लड सेपरेशन मशीन नहीं है. ऐसी स्थिति में जिन डेंगू मरीजों का प्लेटलेट्स कम हुआ, उनके इलाज की व्यवस्था यहां नहीं हो पाएगी. मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए डॉक्टर पटना के सरकारी या निजी अस्पतालों में रेफर करेंगे. पिछले दो दिनों में जिस तरह शहर में डेंगू के मरीज मिले हैं. उससे डेंगू मरीजों के बढ़ने की आशंका बढ़ गयी है.
आने वाले समय में ऐसे मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है. मरीज के ब्लड में प्लेटलेट्स कम होने पर यहां के डॉक्टरों के पास रेफर करने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं होगा. यह स्थिति पिछले पांच वर्षों से बनी हुई है. एसकेएमसीएच में वर्ष 2016 में ब्लड सेपरेशन मशीन लगाया गया था, लेकिन कुछ दिनों के बाद ही यह खराब हो गया. इसके बाद इसे बनवाने की व्यवस्था नहीं की गयी, जबकि कई बार इसके लिए सामाजिक संगठनों ने एसकेएमसीएच प्रबंधन को पत्र लिखा, लेकिन ब्लड सेपरेशन मशीन को दुरुस्त नहीं कराया गया.
हर साल दर्जनों मरीज पटना में कराते हैं इलाज- अस्पतालों में सेपरेशन मशीन नहीं होने के कारण हर साल मरीजों को पटना में इलाज कराना पड़ता है. इससे परिवारों की मानसिक परेशानी तो बढ़ती ही है, इलाज में भी काफी रुपया खर्च हो जाता है. पिछले साल डेंगू से संक्रमित हुए शहर के शिक्षक गोपाल कुमार का प्लेटलेट्स एक लाख से घटकर 30 हजार तक पहुंच गया था.
उन्हें प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए पटना रेफर किया गया. वे यहां एक निजी अस्पताल में छह दिनों तक भर्ती रहे. उन्हें अस्पताल का करीब 90 हजार बिल चुकता करना पड़ा. रक्तदाता समूह के प्रिंसू मोदी कहते हैं कि ब्लड सेपरेशन मशीन नहीं होने के कारण हर साल दर्जनों मरीज यहां से पटना जाते हैं. यहां से पटना जाकर हमलाेग मरीजों को रक्त देते हैं तब उसमें से प्लेटलेट्स निकाल कर मरीज को चढ़ाया जाता है.
वहीं एसकेएमसीएच के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ संजय कुमार ने बताया कि ब्लड सेपरेशन मशीन फिलहाल खराब है. इसे बनाने के लिए मुख्यालय को लिखा गया है. उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक इसे दुरुस्त कर लिया जाएगा.
शहर के ब्लड बैंक में 192 यूनिट रक्त उपलब्ध- शहर के ब्लड बैंक में फिलहाल 192 यूनिट रक्त उपलब्ध है. सबसे कम यूनिट ओ पॉजीटिव और बी नगेटिव ग्रुप की है. कोरोना के बाद से ब्लड डोनेशन कैंप में कमी के कारण ब्लड बैंकों में रक्त संग्रहण काफी कम हो रहा है. शहर में छह ब्लड बैंक अभी चल रहे हैं, लेकिन ब्लड की किल्लत बनी रहती है. कई बार कई ग्रुप का ब्लड उपलब्ध नहीं हो पाता. इमरजेंसी में मरीज के परिजनों को मरीज के ग्रुप का ब्लड डोनर खोजना पड़ता है.
Source: Prabhat Khabar
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