खादी को अपना बनाने की राष्ट्रीय कोशिश के बीच शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय का’रा, मुजफ्फरपुर के स’जायाफ्ता बंदी खादी वस्त्र तैयार कर रहे हैैं। बंदी जीवन काटने के बाद सामाजिक स्तर पर बेहतर जीवन जीने की खातिर मिले प्रशिक्षण ने बं’दियों के इस कार्य को प्रदेश स्तर पर पहचान दिलाई है। इनके द्वारा तैयार किए गए वस्त्र का उपयोग स्थानीय स्तर पर किया जा रहा है।

वहीं प्रदेश के विभिन्न जेलों में डिमांड के अनुरूप वस्त्र (कुर्ता-पाजामा, गमछा, व बिछावन के चादर) की आपूर्ति की जाती है। बताते हैैं कि यहां के वस्त्र की डिमांड सत्याग्रह भूमि मोतिहारी केंद्रीय कारा, राजधानी पटना के बेउर समेत सूबे के अधिकांश जेलों में हैै।

सूत कताई से लेकर सिलाई तक तमाम काम में दक्ष बंदी करते काम

सरकार की योजना के अनुरूप विभिन्न तरह के अपराधों की सजा काट रहे बंदियों को रोजगार परक कार्यों का प्रशिक्षण लगातार दिया जा रहा है। इसके तहत यहां बंद 33 बंदियों ने सूत कताई से लेकर वस्त्र तैयार करने का काम सीखा है। इनके द्वारा पहले सूत तैयार किया जाता है। फिर हस्तकरघा पर वस्त्र तैयार किए जाते हैैं। गमछा व बिछावन का चादर बनाने के अलावा ये थान में खादी वस्त्र बनाते हैैं। इससे सजा काट रहे दूसरे बंदियों की टोली वस्त्र (कुर्ता-पाजामा) तैयार करती है।

केंद्रीय कारा में 120 बंदियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

खुद के अपराध की सजा काट जेल से निकलने के बाद संबंधित व्यक्ति रोजगार पा सके इसके लिए बंदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सरकार की योजना के अनुरूप शहीद खुदीराम केंद्रीय कारा में बंद 120 सजायाफ्ता बंदियों को विभिन्न तरह का प्रशिक्षण मिल रहा है। कारा अधीक्षक राजीव कुमार सिंह ने बताया कि 30-30 को प्लंबरिंग व सिलाई और 60 को बढ़ई की ट्रेनिंग दी जा रही है।

यहां बता दें कि जेल में कुल 771 महिला व पुरुष सजायाफ्ता बंदी हैैं। उनके बीच से चयनित बंदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनका प्रशिक्षण पूरा होने के बाद जेल में होनेवाले कार्यों में इन्हें लगाया जाएगा। साथ ही सजा काटने के बाद जब ये निकलेंगे तो रोजगार पा सकेंगे।

इस बारे में शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा के जेल अधीक्षक राजीव कुमार सिंह ने कहा‍ कि ‘जेल में विभिन्न तरह के आपराधिक कृत्य की सजा काट रहे बंदियों की जीवनशैली में बदलाव के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण प्राप्त बंदी वस्त्र तैयार करते हैं। उनके द्वारा तैयार वस्त्रों का उपयोग स्थानीय स्तर पर किया जा रहा है। साथ ही सूबे के विभिन्न जेलों में मांग के अनुरूप आपूर्ति की जाती है। बंदियों को उनके काम का पारिश्रमिक कारा नियम के अनुरूप दिया जाता है।

Input : Dainik Jagran

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD