अभी एक साल पीछे झाँक कर देखियेगा, तबाही का वो मंजर याद आ जायेगा जब सैकड़ो माँ की कोख सुनी हो गयी. मुजफ्फरपुर की पूरे देश में बदनामी का सबब भी याद आयेगा जब बिहार सरकार की जबरदस्त किरकिरी हुई. पिछले बरस की कई माँ का दुख अभी कम भी नहीं हुआ था अबकी दुबारा कई माँ का नंबर आने का आसार है.

मौत का अस्पताल नाम से मशहूर मुजफ्फरपुर के एस.के.एम.सी.एच् में सकरा निवासी माँ के 3 वर्षीय लाल आदित्य कुमार की चमकी बुखार से मौत हो गयीं, पिछले बार की हुई घटना से शायद सरकार ने सबब नही लिया अगर लिया तो क्या हो गया उन तैयारियों का जिसकी खबरो की रोज अखबारबाजी होती थी.

चमकी बुखार से कब तक बच्चे मरते रहेंगे अभी 3 बच्चें औऱ वेंटिलेटर पर है, ऐसा ना हो कि हर बार की तरह इस बार भी मुजफ्फरपुर में मौत का तांडव हो. अभी कोरोना माहमारी का डर खत्म भी नहीं हुआ था कि मुजफ्फरपुर पर दोहरी मार पड़ी है.

मुजफ्फरपुर में हुई पहली मौत से हड़कंप मच गया है, ऐसा ना हो कि ये सिलसिला हर बार की तरह बढ़ता चला जाये. ऐसे में सरकार और प्रशासन को वक्त रहते सबब लेना होगा, ऐसा ना हों कि इस बार फिर कई कोख उजर जाए.

सरकार मरने वाले बच्चों के माता पिता को मुआवजा देने में जो पैसे खर्च करती है उन पैसो को व्यवस्था और जागरूकता पर लगा दे ताकि बच्चों की जान बचाई जा सके.

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...