गरीबी को बचपन में झेलने वाला एक शख्स लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान दाने-दाने को मोहताज हो रहे 200 परिवारों के लिए मसीहा बनकर सामने आया. खास बात ये है कि इस शख्स ने पहले खुद सर्वे किया फिर 10 दिनों का राशन और दूसरी आवश्यक सामग्री इन जरूरतमंदों तक पहुंचाई. इस दौरान उन्होंने खुद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और राहत पाने वाले लोगों को भी इसी राह पर चलने को प्रेरित किया. इस शख्स की यह मुहिम तब सामने आई है जब दैनिक मजदूरी करनेवाले परिवारों के घरों में जमा राशन खत्म हो गए और अब उनके घरों में चूल्हे तक नहीं जल रहे थे. इस शख्स का नाम है भगवान लाल महतो.
दरअसल 14 दिनों से जारी लॉकडाउन की वजह से शहरी क्षेत्र के कई परिवार दो जून की रोटी के लिए परेशान हैं. खासकर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले परिवारों के लिए लॉकडाउन संकट की घड़ी बन कर आया है. ऐसे में इस शख्स ने गरीबों में भी सबसे अधिक गरीब परिवारों को 10 दिनों का भोजन मुहैया कराया है.
भगवान लाल का बचपन गरीबी में बीता
मुजफ्फरपुर के सिकन्दपुर इलाके में रहने वाले भगवान लाल महतो की सरैयागंज टावर पर रेडीमेड कपड़ों की दुकान है. उन्होंने बचपन में गरीबी को काफी नजदीक से देखा है. उनकी मां लोगों के घरों में दाई का काम करती थीं और पिता ठेला चलाकर परिवार का गुजर बसर करते थे. जब उन्होंने देखा कि 21 दिनों के लॉकडाउन में रोजाना कमाकर घर चलाने वाले परिवारों की किसी ने सुध नहीं ली तो वे आगे आए.
सर्वे कर जरूरतमंदों को राहत पहुंचाई
कुछ कार्यकर्ताओं की मदद से शहर में अत्यंत गरीब परिवारों का इस शख्स ने खुद सर्वे किया. फिर सबसे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले वैसे परिवार, जिनके घरों में कुछ दिनों से चूल्हे नहीं जले थे, उन्हें मदद पहुंचाने का निर्णय लिया. फिर चिह्नित परिवारों को टोकन देकर अपने घर बुलाया और हरेक परिवार को अगले 10 दिनों के लिए पर्याप्त राशन, साबुन और अन्य सामान दिए.
गरीबों को लॉकडाउन में जान जोखिम में डालकर घरों से निकलना नहीं पड़े इसके लिए उन्होंने हरेक परिवार को 5 किलो चावल, 5 किलो आटा, 5 किलो आलू और 1 किलो प्याज समेत 10 दिनों के राशन का सारा सामान देकर संकट की घड़ी में मदद की.
सोशल डिस्टेंसिंग और सफाई का रखा ध्यान
जिन परिवारों को मदद पहुंचाई गई, उसके लिए गली से लेकर राशन मिलने वाले स्थान तक एक मीटर की दूरी वाले सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया. साबुन और सेनेटाइजर के साथ ही ग्लब्स और मास्क लगाकर कार्यकर्ताओं ने सेवाभाव के साथ गरीब परिवारों के बीच खाद्यान्न का वितरण किया.
बता दें कि दिहाड़ी करने वाले और ऑटो चालकों की ओर से प्रशासन से दो जून की रोटी की मांग की जाती रही है, लेकिन शहर में 3 जगहों पर चलाये जा रहे सामुदायिक किचेन में दूसरे राज्यों के फंसे लोगों को ही खाना दिया जा रहा है. हालांकि कई ऐसे स्थानीय परिवार हैं जिनके यहां पिछले 2 से 3 दिनों से यहां चूल्हा नहीं जला था.
लॉकडाउन की वजह से काम नहीं मिल रहा है. जिसके कारण घर के कमाने वाले सदस्य घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. पहले से जमा किए गए अनाज और पैसों से 11 दिनों तक किसी तरह काम चल गया ।लेकिन अब संकट शुरू हो गया था. ऐसे में 10 दिनों का राशन मिल जाने से अत्यंत गरीब परिवारों ने राहत की सांस ली है और मदद पहुंचाने वाले शख्स को दिल से धन्यवाद दिया है.
Input : News 18