INDIA
मृतक के स्पर्म पर पिता या उसकी विधवा पत्नी का अधिकार? कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक पिता द्वारा अपने मृत बेटे के जमा किए हुए स्पर्म पर पेश की दावेदारी को ठुकरा दिया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह कहा कि मृतक के अलावा सिर्फ उसकी पत्नी के पास इसे प्राप्त करने का अधिकार है। न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास अपने बेटे के संरक्षित शुक्राणु को पाने का कोई मैलिक अधिकार नहीं है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके बेटे की विधवा को इस मामले में ‘नो ऑब्जेक्शन’ देने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए या कम से कम उसके अनुरोध का जवाब देना चाहिए। अदालत ने हालांकि वकील के इस अनुरोध को खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि दिल्ली के एक अस्पताल में रखे गए शुक्राणु मृतक के हैं और चूंकि वह मृत्यु तक वैवाहिक संबंध में थे, इसलिए मृतक के अलावा सिर्फ उनकी पत्नी के पास इसका अधिकार है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उनका बेटा थैलेसीमिया का मरीज था और भविष्य में उपयोग के लिए अपने शुक्राणु को दिल्ली के अस्पताल में सुरक्षित रखा था। वकील के अनुसार, याचिकाकर्ता, अपने बेटे के निधन के बाद, अस्पताल के पास मौजूद उसके बेटे के शुक्राणु पाने के लिए संपर्क किया। अस्पताल ने उन्हें सूचित किया कि इसके लिए मृतक की पत्नी से अनुमति की आवश्यकता होगी, और विवाह का प्रमाण देना होगा।
भारत में 2009 में पहली बार हुई थी दिबंगत पति के स्पर्म से संतान सुख की प्राप्ति
भारत में वर्ष 2009 में दिवंगत पति की के शुक्राणु से पहली बार किसी भारतीय महिला को संतान सुख प्राप्त हुआ है। पति की मौत के दो साल बाद पूजा नाम की एक महिला गर्भवती हुई और उसने कोलकाता के एक अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था। पूजा ने अपने दिवंगत पति राजीव के शुक्राणुओं की मदद से गर्भ धारण किया था। नि:संतान दंपति ने 2003 कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रयास शुरू किए थे। इससे पहले पूजा मां बन पाती, 2006 में राजीव की मौत हो गई।
दो साल बाद पूजा को पता चला कि उसके पति के शुक्राणु अस्पताल के स्पर्म बैंक में सुरक्षित है। पूजा ने डॉक्टर से संपर्क किया और फिर वकीलों से भी कानूनी मशवरा लिया। इसके बाद डॉ. वैद्यनाथ चक्रवर्ती ने पूजा का इलाज शुरू किया और वह गर्भवती हो गई। मां बनने के बाद पूजा ने कहा था, ‘मैं चिल्लाकर पूरी दुनिया को बताना चाहती हूं कि मेरे पति लौट आए हैं।’
Input: Live Hindustan
INDIA
OTT और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए सरकार ने गाइडलाइंस जारी की

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने OTT, न्यूज पोर्टल और सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस का ऐलान कर दिया है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावडेकर ने इन गाइडलाइंस के बारे में जानकारी दी.
भारत में व्यापार करने के लिए सोशल मीडिया का स्वागत है, लेकिन सोशल मीडिया में ऐसे ऐसे प्रेजेंटेशन आ रहे हैं, जो किसी भी तरह से सभ्य नहीं कहे जा सकते हैं, ऐसी शिकायतें हमारे पास बहुत आईं थीं. सोशल मीडिया यूजर्स की समस्या के लिए फोरम होना चाहिए. सोशल मीडिया का इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है. सोशल मीडिया का इस्तेमाल आतंकी भी कर रहे हैं. सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल की कई सालों से शिकायतें आ रही हैं, फेक न्यूज की ये हालत है कि कई न्यूज चैनल फैक्ट चेक से बनाना होगा.
नई गाइडलाइंस के मुताबिक
आपत्तिजनक पोस्ट 24 घंटे में हटाने होंगे
एक चीफ कंप्लेंट ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी
सबसे पहले पोस्ट डालने वाली की जानकारी देनी होगी
एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति भी करनी होगी
तीन महीने के अंदर सोशल मीडिया के नए नियम लागू होंगे
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि मीडिया के हर प्लेटफॉर्म के लिए नियम जरूरी है. उन्होंने बताया कि OTT कंपनियों से कहा गया था कि वो न्यूज मीडिया की तरह एक सेल्फ रेगुलेशन बनाएं, लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकीं.
जावडेकर ने कहा कि मीडिया की आजादी लोकतंत्री का आत्मा है, फिल्मों के लिए एक सेंसर बोर्ड होता है, लेकिन OTT के लिए ऐसा कोई मैकेनिज्म नहीं है. इसलिए एक मैकेनिज्म तैयार होना चाहिए. डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को झूठ और अफवाह फैलाने का कोई हक नहीं है.
OTT कंटेंट की पांच कैटेगरी बनाई जाएंगी. U, U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+, और A कैटेगरी होगी.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कैपिटल हिल हिंसा का विरोध हुआ तो लाल किले की हिंसा का भी विरोध होना चाहिए, सोशल मीडिया इसमें डबल स्टैंडर्ड नहीं अपना सकती.
Source : Zee News
INDIA
नहले पे दहला- बंगाल में मुफ्त मिलेगा तृणमूल के अंडा-चावल के जवाब में भाजपा का मछली-चावल

बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल-भाजपा की सियासी जंग अब थाली तक पहुंच गई है। दरअसल तृणमूल कांग्रेस सरकार ने मां प्रोजेक्ट नाम से पांच रुपए में लोगों को अंडा-चावल की थाली परोसने का कार्यक्रम शुरू किया है। इसके जवाब में अब भाजपा ने बंगालियों का पसंदीदा मछली-चावल की थाली मुफ्त में परोसने का फैसला किया है।
बताते चलें कि सत्तारूढ़ तृणमूल तीसरी बार सत्ता संभालने के लिए बेताब है। इसलिए, सत्ताधारी पार्टी एक के बाद एक मास्टरस्ट्रोक का इस्तेमाल कर रही है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गरीबों के लिए मां परियोजना शुरू की है। इसके अंतर्गत लोगों को अंडा-चावल की थाली केवल पांच रुपये में मिलेगी।
इसमें 200 ग्राम चावल के साथ सब्जी और दाल भी होगी। अब भाजपा कहां पीछे रहने वाली है। उसने तृणमूल के मां प्रोजेक्ट के जवाब में गरीब लोगों को मछली-चावल की थाली परोसने का फैसला किया है और वह भी मुफ्त में।
इसका शुभारंभ मंगलवार को पूर्व मेदिनीपुर जिले के एगरा में भाजपा नेताओं ने आम लोगों के साथ जमीन पर बैठकर दोपहर का भोजन कर किया। इस दिन दोपहर के भोजन में मछली, चावल, दाल, आलू की भुजिया तथा चटनी शामिल थी। कहने की जरूरत नहीं है कि भाजपा विधानसभा चुनावों में बंगाल के लोगों के दिलों और दिमागों को जीतने के लिए बंगाली संस्कृति को बढ़ावा देना चाहती है।
बंगालियों के पसंदीदा मछली-चावल से सभी परिचित हैं। यही कारण है कि भाजपा ने तृणमूल के अंडा-चावल के जवाब में मछली-चावल पेश किया है। यह कार्यक्रम शुरुआत में कोलकाता तथा उसके आसपास के जिलों में चलेगा। दूसरी ओर कोलकाता के 144 वार्डों में मां प्रोजेक्ट के तहत ममता सरकार की ओर से गरीब लोगों को पांच रुपए में अंडा-चावल की थाली परोसी जा रही है।
Source : ABP News
BIHAR
IT हार्डवेयर सेक्टर में पीएलआई स्कीम को मोदी कैबिनेट की मंजूरी, पौने दो लाख नए रोजगार की उम्मीद

इस स्कीम का फ़ायदा लैपटॉप, टैबलेट्स, ऑल इन वन टेबल कम्प्यूटर और सर्वर बनाने वाली कम्पनियों को मिलेगा. स्कीम को 2025 तक के लिए मंज़ूरी दी गई है और इसमें क़रीब 7,350 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.
हार्डवेयर सेक्टर में पीएलआई यानि Productivity Linked Incentive स्कीम को मंज़ूरी दे दी. टेलिकॉम और मोबाइल सेक्टर के बाद आईटी हार्डवेयर तीसरा ऐसा क्षेत्र है जिसमें पीएलआई स्कीम को मंज़ूरी मिली है.
इस स्कीम का फ़ायदा लैपटॉप, टैबलेट्स, ऑल इन वन टेबल कम्प्यूटर और सर्वर बनाने वाली कम्पनियों को मिलेगा. स्कीम को 2025 तक के लिए मंज़ूरी दी गई है और इसमें क़रीब 7,350 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.
पीएलआई स्कीम का फ़ायदा उन कम्पनियों को मिलेगा जो भारत में ही अपना माल बनाएंगी. दूसरे शब्दों में ये कहा जा सकता है कि भारत में ही उत्पादन करने वाली कम्पनियों को ही इस स्कीम का लाभ मिल सकेगा. स्कीम के तहत कम्पनियों को टैक्स में छूट जैसी सुविधाएं दी जाएंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मंज़ूर हुए इस स्कीम से 5 सरकार के इस स्कीम से 5 बड़ी विदेशी और 10 बड़ी देशी कम्पनियों को फ़ायदा होने का अनुमान लगाया गया है. साथ ही , इस स्कीम से मोदी सरकार को नए रोज़गार के अवसर पैदा होने की भी उम्मीद है. आईटी और टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद के मुताबिक़ स्किम से 1,80,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोज़गार मिलने की संभावना है.
Source : ABP News
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