पटना/आरा: कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए सरकार द्वारा बिना किसी तैयारी व योजना के अचानक लॉकडाउन कर देने के दुखद परिणाम सामने आने लगे हैं.
लॉकडाउन के चलते काम बंद होने से सूबे की राजधानी पटना से महज 60 किलोमीटर दूर भोजपुर जिले के आरा शहर के जवाहर टोले की मलिन बस्ती में रहने वाले आठ वर्षीय राकेश की कथित तौर पर भूख से मौत हो गई.
महादलित समुदाय (मुसहर) से आने वाला राकेश मुसहर कबाड़ चुनकर बाजार में बेचता था. उसके पिता दुर्गा प्रसाद मुसहर मोटिया मजदूर हैं.
कोरोनावायरस के संक्रमण की आशंका के मद्देनजर केंद्र सरकार ने 24 मार्च से तीन हफ्ते के लिए लॉकडाउन किया है.
राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने अपने सूबों में लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराएं. लॉकडाउन के कारण दोनों का काम बंद था, जिससे घर में खाने-पीने की किल्लत थी.
राकेश की मां सोनामती देवी ने द वायर को फोन पर बताया, ‘जब से बंदी शुरू हुआ था, तब से घर में खाना नहीं बन रहा था. राकेश की तबीयत भी खराब थी. जिस दिन से कर्फ्यू शुरू हुआ था, उसी रात उसने थोड़ी रोटी खाई थी. इसके बाद घर में खाना नहीं बनता था. खाना तब न बनाते, जब घर में अनाज होता.’
दोनों की रोजाना की कमाई 200 से 250 रुपये थी. ‘इसी पैसे से खाने का सामान आता और खाना पकता. कर्फ्यू के कारण काम बंद हुआ, तो दुकानदारों ने उधार सामान देना भी बंद कर दिया था,’ सोनामती देवी कहती हैं.
राकेश को बुखार था और दस्त भी हुए थे. 26 मार्च को ही उसे सदर अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे एक सिरप और टेबलेट लिखकर दिए.
सोनामती देवी ने बताया, ‘हमारे पास दवाई का भी पैसा नहीं था, तो पड़ोसी से कुछ पैसा उधार लिया और दवाई ले आई. लेकिन, दवा खिलाने से पहले ही उसकी मौत हो गई.’
राकेश को बुखार था और दस्त भी हुए थे. 26 मार्च को ही उसे सदर अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे एक सिरप और टेबलेट लिखकर दिए.
सोनामती देवी ने बताया, ‘हमारे पास दवाई का भी पैसा नहीं था, तो पड़ोसी से कुछ पैसा उधार लिया और दवाई ले आई. लेकिन, दवा खिलाने से पहले ही उसकी मौत हो गई.’
राकेश की बुआ सुनीता देवी ने भी इस बात की तस्दीक की कि कर्फ्यू शुरू होने के बाद से घर में खाना नहीं बन रहा था.
Input : The Wire