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वह मप्र में जन्मे और भोपाल में रह रहे
जिले के गाडरवारा के साईखेड़ा में जन्मे आदित्य विक्रम पेठिया के पिता सिविल सर्विस में थे। 26 जनवरी 1973 को युद्ध में अदम्य वीरता के लिए उन्हें वीरता चक्र से सम्मानित किया गया है। वे 1983 में विंग कमांडर बने। 1971 युद्ध में हिस्सा लेने वाले रिटायर्ड एयर मार्शल आदित्य विक्रम पेठिया को पाकिस्तानी जेलों […]
जिले के गाडरवारा के साईखेड़ा में जन्मे आदित्य विक्रम पेठिया के पिता सिविल सर्विस में थे। 26 जनवरी 1973 को युद्ध में अदम्य वीरता के लिए उन्हें वीरता चक्र से सम्मानित किया गया है। वे 1983 में विंग कमांडर बने। 1971 युद्ध में हिस्सा लेने वाले रिटायर्ड एयर मार्शल आदित्य विक्रम पेठिया को पाकिस्तानी जेलों में पांच महीने गुजारने पड़े थे। पेठिया रिटायरमेंट के बाद से भोपाल में रह रहे हैं। भास्कर की ऋतु शर्मा ने उनसे बातचीत की।
”मुझे आज भी 5 दिसंबर 1971 का वो दिन याद है। मैं तब फ्लाइट लेफ्टिनेंट के रूप में पश्चिमी सेक्टर में तैनात था। मुझे पाकिस्तान की चिश्तिया मंडी इलाके में टैंकों को ध्वस्त करने का आदेश मिला था। फ्लाइट के दौरान ही पता चला कि बहावलपुर में 15 टैंकों को लेकर एक ट्रेन गुजर रही है। मैंने दो बार उड़ान भर कर टारगेट हिट किया और ट्रेन के साथ ही वहां मौजूद गोला-बारूद का एक डिपो भी उड़ा दिया। हमारे लड़ाकू विमानों पर हमला कर रही एंटी-एयरक्राफ्ट गन को टारगेट करने के लिए मैंने फिर उड़ान भरी, लेकिन एक गन ने मेरे ही विमान को पीछे से हिट कर दिया। जलते विमान से मैंने अपने आप को इजेक्ट किया और पैराशूट से जहां उतरा, वह पाकिस्तान की सीमा थी। बस यही गड़बड़ हो गई और युद्धबंदी बना लिया गया। इसके बाद पाकिस्तानी आर्मी ने मेरे साथ बेइंतेहा यातना का दौर शुरू किया। मुझे अगर यह पहले पता होता तो मैं हवा में ही जलतेे हुए फाइटर प्लेन को किसी पाकिस्तान टारगेट पर गिरा देता और जान दे देता। युद्धबंदी के तौर पर मुझे रावलपिंडी जेल में रखा गया। पाकिस्तानी जेलें नर्क से भी बदतर हैं। जहां ठंड में पत्थर के प्लेटफाॅर्म पर नंगे बदन सोना पड़ता था। हाथ-पैर रस्सी से बंधे रहते थे। खाने में एक दो रोटी मिल जाए तो बहुत था। जेल का कोई भी अफसर या कर्मचारी कभी भी आकर सिगरेट दाग देता था तो कभी बंदूक के बट से या फिर लाठियों से लगातार पिटाई की जाती थी। एक समय तो ऐसा भी आया जब हथेलियों पर चारपाई रखकर जेल कर्मचारी चारपाई पर खड़े होकर कूदने लगते थे। इतने टार्चर के बाद तो दर्द का अहसास ही खत्म हो गया था, लेकिन हमारी ट्रेनिंग ऐसी थी कि पाकिस्तान हमसे कुछ भी उगलवा नहीं पाया। जब वे टार्चर करते थे तो मैं अपना माइंड लॉक कर लेता था। जिससे एक शब्द भी बाहर न निकले। इस बीच सरकार लगातार पाकिस्तान के साथ बातचीत कर रही थी। अंतत: पाकिस्तान से समझौते के बाद 8 मई 1972 काे मुझे रेडक्राॅस के सुपुर्द किया गया। उस समय मेरी रिब्स टूटी हुई थीं, मल्टीपल फ्रैक्चर थे और लंग्स में इंफेक्शन था।”
1971 के युद्ध में पाकिस्तान में थे वॉर प्रिजनर
”पांच महीने की इस यातना से पाकिस्तान के प्रति इतनी नफरत हो गई थी कि विमान में वापस आते समय रेडक्रास की टीम ने पीने के लिए कोकाकोला दिया, मैंने पूछा- क्या पाकिस्तान में बना हुआ है। उन्होंने कहा ‘नहीं, स्विस मेड है’। उसके बाद ही मैंने उसे हाथ लगाया। मेरे पिता सिविल सर्विस में थे और चाहते थे कि हम भी वही करें। लेकिन मैं जब फौज में गया, तब बहुत कुछ सोचा नहीं था। एयरफोर्स की ट्रेनिंग ने यह सिखाया कि दिल, दिमाग, ईमान, जाति, धर्म, आत्मा सब कुछ देश के लिए है। इसी कारण हमें किसी भी देशद्रोही को कहीं भी बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। फौजी होने के बावजूद मुझे लगता है, युद्ध अंतिम विकल्प होना चाहिए। सबसे पहले पाक को आर्थिक रूप से कमजोर किया जाए। दूसरा- डिप्लोमेसी, जैसा अभी किया गया है। इसका संदेश बिलकुल साफ है कि हम आतंकवाद के खिलाफ हैं और जो भी आतंकवाद का साथ देगा, उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे।”
Input : Dainik Bhaskar
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मुजफ्फरपुर शहर से हटाए गए चार हजार बैनर-पोस्टर

मुजफ्फरपुर : शहर से अवैध बैनर-पोस्टरों को हटाने का अभियान मंगलवार से शुरू हो गया। पहले दिन नगर निगम की टीम ने कंपनीबाग, मोतीझील, हरिसभा चौक,इमलीचट्टी, बटलर रोड व अन्य इलाकों में चार हजार से अधिक बैनर-पोस्टर हटाए। पोल व अन्य जगहों पर लगाए गए बैनर-पोस्टर को हटाने के बाद ट्रैक्टर में लोडकर डंप कर दिया गया।
सड़कों पर लगाए गए बैनर-पोस्टर पर धूल जमा हो जाती है। इस कारण हवा चलने या बड़े वाहनों के गुजरने पर सड़क के साथ बैनर-पोस्टर पर जमा धूल भी उड़ने लगती है। हालात की गंभीरता को देखकर नगर आयुक्त के आदेश पर कार्रवाई की जा रही है। नगर आयुक्त नवीन कुमार के मुताबिक, अवैध तरीके से लगाए गए बैनर-पोस्टर को हटाया जा रहा है।
Source : Hindustan
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समाधान यात्रा के दौरान सिटी पार्क व नगर भवन भी जा सकते हैं सीएम नीतीश

मुजफ्फरपुर : 14 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी समाधान यात्रा पर मुजफ्फरपुर आयेंगे। इस दौरान सीएम की समाधान यात्रा की तैयारी को लेकर डीएम ने सभी अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंप दी है। बताया जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार शहर में कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के उद्घाटन के साथ–साथ सिटी पार्क एवं नवनिर्मित नगर भवन का भी निरीक्षण कर सकते हैं।
इसको लेकर डीएम प्रणव कुमार ने अधिकारियों को अलग-अलग टास्क सौंपे हैं। सभी कार्यक्रमों का वरीय प्रभार डीडीसी आशुतोष द्विवेदी को सौंपा गया है। शहर के बाद सीएम सकरा के लिए रवाना रवाना होंगे। जहां वो मनरेगा पार्क, जीविका, आईसीडीएस, स्वास्थ्य विभाग एवं कृषि विभाग के स्टॉल का निरीक्षण करेंगे। संभावना जताई जा रही है कि उसी दिन पीएम आवास योजना के अंतर्गत भूमिहीनों को जमीन आवंटित किया जाएगा।
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पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ किया लड़ाई का ऐलान

KANTI : प्रशासनिक भ्रष्टाचार व गरीबों पर जोर जुल्म के खिलाफ गुरुवार को पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने कांटी प्रखंड मुख्यालय पर जन प्रदर्शन किया। इस दौरान पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने आर-पार की लड़ाई लड़ने का भी ऐलान किया। इससे पहले कांटी के रातल मैदान में भारी संख्या में जुटे प्रदर्शनकारियों ने उनके नेतृत्व में प्रखंड कार्यालय तक जुलूस निकाला। वहां इंद्रमोहन झा की अध्यक्षता में प्रतिरोध सभा हुई।
इसमें पूर्व मंत्री ने कहा कि पूरा जिला प्रशासनिक भ्रष्टाचार से त्रस्त है। बिना रिश्वत दिए कहीं कोई काम नहीं हो रहा है। खासकर प्रखंड-अंचल कार्यालय पूरी तरह बिचौलिए की गिरफ्त में हैं। सभी जगह भ्रष्टाचारियों के संरक्षक अधिकारी बने हैं। गरीब लूटे जा रहे हैं। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांटी थर्मल में स्थानीय मजदूरों के साथ बड़े पैमाने पर भेदभाव बरता जा रहा है। प्रबंधन छाई से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कारगर कदम उठाए। टीम अजीत कुमार ने 11 सूत्री खुला मांग पत्र पेश किया। सभा को सामाजिक कार्यकर्ता शंभू नाथ चौबे, मो. शमीम, मुरारी झा, अंकेश ओझा, नंदकिशोर सिंह, पैक्स अध्यक्ष रंजीत सिंहआदि ने संबोधित किया।
पूर्व मंत्री अजीत कुमार, रवि कुमार व शिवनाथ साह और 500 अज्ञात के विरुद्ध केस दर्ज कराया गया है। दंडाधिकारी सह प्रखंड कृषि पदाधिकारी विनय कुमार के बयान पर कांटी थाने में केस दर्ज हुआ है। भीड़ को उकसाने समेत अन्य आरोप है। कांटी थानाध्यक्ष संजय कुमार ने केस दर्ज होने की पुष्टि की है।
Source : Hindustan
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