कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT) ने वॉट्सएप (WhatsApp) की नई गोपनीयता नीति पर आपत्ति जताई है। इस नीति के माध्यम से वह भारत के 20 करोड़ उपयोगकर्ता के सभी प्रकार के व्यक्तिगत डेटा, भुगतान, लेनदेन, संपर्क, स्थान और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां जरिए हासिल कर उसका किसी भी उद्देश्य के लिए उपयोग कर सकता है। इस मुद्दे पर केंद्रीय सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री विशंकर प्रसाद को भेजे गए पत्र में कैट ने मांग की है कि सरकार वॉट्सएप को नई गोपनीयता नीति को लागू करने से तुरंत रोके या उसे और उसकी मूल कंपनी फेसबुक (Facebook) पर तुरंत प्रतिबंध लगाएं। विदित हो कि नए नियमों को अगले महीने से लागू किया जाएगा।

भारत के व्यापार और अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करना है एजेंडा

पत्र के अनुसार भारत में फेसबुक के 20 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं और वह प्रत्येक के डेटा को अपनी नीति के माध्यम से जबरन प्राप्त कर लेगा। इसस न केवल अर्थव्यवस्था, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। यह हमें ईस्ट इंडिया कंपनी के उन दिनों की याद दिलाता है, जब इस कंपनी ने केवल नमक का व्यापार करने के लिए भारत में प्रवेश किया और देश को गुलाम बना लिया। वर्तमान समय में डेटा अर्थव्यवस्था एवं देश की सामाजिक संरचना के लिए महत्वपूर्ण है। बिना किसी शुल्क के फेसबुक और वॉट्सएप का उपयोग करने की सुविधा देने के पीछे का असली मकसद अब सामने आ रहा है। उद्देश्य प्रत्येक भारतीय के डेटा को हासिल करना है। छिपा हुआ एजेंडा भारत के व्यापार और अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करना है।

भारतीय संविधान के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ वॉट्सएप की नीति

कैट के बिहार चैप्टर के चेयरमैन कमल नोपानी, अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा व महासचिव डाॅ. रमेश गांधी  ने कहा की वॉट्सएप भारत में अगले महीने से अपनी बदली हुई निजी नीति को लागू करने वाला है। य‍ह वॉट्सएप का उपयोग करने वाले लोगों को मनमानी और एकतरफा शर्तों को स्वीकार करने के लिए बाध्य करेगा। यदि वे शर्तों को मानने से इनकार करते हैं तो वॉट्सएप का उपयोग नहीं कर पाएंगे। वॉट्सएप की बदली नीति को व्यक्ति की निजता का अतिक्रमण बताते हुए उन्‍होंने इसे भारत के संविधान के मूल बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ बताया है।

ज्यादातर लोग बिना पढ़े सामान्य व्यवस्था मानकर स्वीकार कर लेते शर्तें

कैट बिहार प्रमन्डल अध्यक्ष पिंस कुमार राजू व वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकेश नन्दन  ने कहा कि अपनी नई गोपनीयता नीति के माध्‍यम से वॉट्सएप उपयोगकर्ता को नई शर्तों को स्वीकार करने के लिए मजबूर कर रहा है। अक्सर देखा जाता है कि ज्यादातर लोग बिना शर्तों को पढ़े केवल सामान्य व्यवस्था मानकर उसे स्वीकार कर लेते हैं। उन्हें मालूम ही नहीं होता कि उन्होंने अपने लिए क्या मुसीबत मोल ले ही है। कोई व्यक्ति संशोधित शर्तों को स्वीकार नहीं करता तो उस स्थिति में वह वॉट्सएप का उपयोग नहीं कर सकता। उन्होंने कहा की यह व्यक्ति की स्वतंत्रता का अतिक्रमण है। भारत में काम करने वाली कंपनी उपयोगकर्ताओं को अपनी मनमानी और एकतरफा शर्तों को स्वीकार करने के लिए कैसे बाध्य कर सकती है?

Input: Dainik Jagran

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