महाराष्ट्र का अंबरनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है इसे अंबरेश्वर नाम से भी जाना जाता है। यहां के निवासी इस मंदिर को पांडवकालीन मानते हैं। यह प्राचीन हिन्दू शिल्पकला की अद्भभुत मिसाल है। ग्यारहवीं शताब्दी में बने अंबरनाथ मंदिर को यूनेस्को ने सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है। मंदिर में मिले एक शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण राजा मांबणि ने करवाया था। इस मंदिर के बाहर दो नंदी बने हैं। मंदिर की मुख्य मूर्ति त्रैमस्ति की है, इसके घुटने पर एक नारी है, जो शिव -पार्वती के स्वरूप को दर्शाती है। शीर्ष भाग पर शिव नृत्य मुद्रा में दिखते हैं। वलधान नदी के तट पर बना मंदिर इमली और आम के पेड़ों से घिरा हुआ है। मंदिर की वास्तुकला उच्चकोटि की है। यहां वर्ष 1060 ई. का एक प्राचीन शिलालेख भी पाया गया है।

Image of Ambernath Shiv Mandir / Shiva Temple Built In 1060 Ad ...

एक ही पत्थर से हुआ था निर्माण

इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया है, लेकिन पौराणिक कथा के अनुसार इसे पांडवों ने एकल पत्थर से बनाया था। पांडवों ने अपने अज्ञातवास के सबसे दूभर कुछ वर्ष अंबरनाथ में बिताए थे और यह पुरातन मंदिर उन्होंने एक ही रात में विशाल पत्थरों से बनवा डाला था। कौरवों द्वारा लगातार पीछा किए जाने के भय से यह स्थान छोड़कर उन्हें जाना पड़ा । मंदिर के आस-पास कई नैसर्गिक चमत्कार हैं। गर्भगृह के पास गर्म पानी का कुंड है। इसके साथ ही पास भूगर्गीय गुफा का मुहाना है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसका रास्ता पंचवटी तक जाता था।

Shiv Mandir, Ambarnath - Wikipedia

लुभाती है खूबसूरत नक्काशी

अंबेश्वर मंदिर का निर्माण हेमाडपंथी शैली जैसा प्रतीत होता है। ऐसी कला उस समय के दौरान बनाए गए कई प्राचीन मंदिरों में देखी जा सकती है। अंबेश्वर मंदिर में तीन पोर्च हैं, जो मुख्य द्वार से केंद्रीय हॉल तक पहुंचाते हैं। केंद्रीय हॉल के अंदर विभिन्न देवी-देवताओं की पत्थर से बनी नक्काशीदार मूर्तियां है। मंदिर की खास बात है कि, यहां शिवलिंग भूमिगत रखा गया है और वहां जाने के लिए एक संकीर्ण रास्ता है। इस मंदिर का आंतरिक संवेदक आकाश के लिए खुला है और शिवलिंग को बीच में रखा गया है।

Travelogue Unlimited: Ambarnath Temple : A Photo Feature

मंदिर के बाहरी हिस्से में मंदिर में मौजूद देवताओं की सुंदर मूर्तियां आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। शिव के जीवन से संबंधित नक्काशी भी यहां की गई हैं। इन मूर्तियों में विभिन्न पौराणिक कथाओं, शिव -पार्वती विवाह समारोह, नटराज, महाकाली, गणेश नृत्यमूर्ति , नरसिंह अवतार आदि का चित्रण किया है। माघ के महीने में शिव रात्रि के अवसर पर प्रतिवर्ष यहां विशाल मेले का आयोजन होता है।

Input : Dainik Bhaskar

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