शुक्रवार, 30 अगस्त को भाद्रपद मास की अमावस्या है। इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि पर कुश यानी पूजा में उपयोग की जाने वाली घास को एकत्रित किया जाता है। इस घास का विशेष उपयोग श्राद्ध कर्म में किया जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए इस अमावस्या पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
- महालक्ष्मी और विष्णु की करें पूजा
हर माह अमावस्या तिथि पर देवी लक्ष्मी का विशेष पूजन करने की परंपरा है। कुशग्रहणी अमावस्या पर भी सूर्यास्त के बाद घर के मंदिर में देवी लक्ष्मी के साथ विष्णुजी की पूजा करें। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पूजा में दक्षिणावर्ती शंख से भगवान का अभिषेक करें।
- शिवलिंग के पास दीपक जलाएं
अमावस्या तिथि पर चांदी के लोटे से शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं और पूजा करें। शिवलिंग के पास दीपक जलाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
- पितर देवताओं की पूजा करें
अमावस्या तिथि पर घर के मृत सदस्यों को याद किया जाता है। पुरानी मान्यता के अनुसार परिवार के मृत सदस्यों को ही पितर देवता कहा गया है। अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए। इस दिन पितरों के श्राद्ध और तर्पण आदि पुण्य कर्म किए जाते हैं।
- पवित्र नदी में स्नान करें
अमावस्या तिथि पर पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं घर पर पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को धन का और अनाज का दान करें।
- कुश घास का धार्मिक महत्व
धार्मिक कार्यों में कुश नाम की घास से बना आसन बिछाया जाता है। पूजा-पाठ करते समय हमारे अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा एकत्रित होती है। ये ऊर्जा शरीर से निकलकर धरती में न समा जाए, इसलिए कुश के आसन पर बैठकर पूजन करने का विधान है। कहा जाता है कि कुश के बने आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाते हैं।
Input : Dainik Bhaskar